एथेनॉल को पेट्रोल का विकल्प बनाने की तैयारी में है सरकार

सरकार फ्लेक्स फ्यूल इंजन पर बड़ा फैसला लेने जा रही है। ऐसे इंजन को ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए अनिवार्य बनाया जाएगा। फ्लेक्स फ्यूल का मतलब हुआ फ्लेक्सिबल यानी लचीला ईंधन यानी ऐसा ईंधन जो पेट्रोल की जगह ले और वो है एथनॉल। सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि इस वैकल्पिक ईंधन की कीमत 60-62 रुपये प्रति लीटर होगी, जबकि पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर से भी ज्यादा है इसलिए एथनॉल के इस्तेमाल से देश के लोग प्रति लीटर 30-35 रुपये की बचत कर पाएंगे। एक कार्यक्रम में उन्होंने यह बात कही।

नितिन गडकरी ने बताया कि ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में ऑटोमोबाइल कंपनियां फ्लेक्स फ्यूल ईंधन का उत्पादन कर रही हैं। इन देशों में ग्राहकों को 100 प्रतिशत पेट्रोल या 10 परसेंट बायो एथनॉल का विकल्प मुहैया करवाया जा रहा है। नितिन गडकरी ने कहा कि मौजूदा वक्त में प्रति लीटर पेट्रोल में 8.5 प्रतिशत एथनॉल मिलाया जाता है, जो कि 2014 में 1 से 1.5 प्रतिशत हुआ करता था। एथनॉल की खरीदारी भी 38 करोड़ लीटर से बढ़कर 320 करोड़ लीटर पहुँच गयी है। बताया जा रहा है कि एथनॉल, पेट्रोल से कहीं बेहतर बेहतर ईंधन है और यह कम लागत वाला, प्रदूषण मुक्त और स्वेदशी है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने वाला कदम है क्योंकि हमारे देश में मकई, चीनी और गेहूं का अतिरिक्त मात्रा  हैं, इनको खाद्यान्नों में रखने के लिए हमारे पास जगह नहीं है। यह देखते हुए कि खाद्यान्न का अतिरिक्त मात्रा समस्या पैदा कर रही है, हमारी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) अंतरराष्ट्रीय कीमतों और घरेलू बाजार की कीमतों से अधिक है, इसलिए सरकार ने निर्णय लिया है कि खाद्यान्न और गन्ने का उपयोग करके एथनॉल का रस बना सकते हैं।

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