किताब गली…पुस्तक प्रचार अभियान

किताबें साहित्य की हों या साहित्य से इतर, हर पुस्तक का अपना महत्व है और उपयोगिता भी। हर साल लाखों किताबें छपती हैं और गुम भी हो जाती हैं। हम हर बार बात करते हैं कि अंग्रेजी में महँगी बिकने वाली किताबों की मगर हम इस बात पर ध्यान देना भूल जाते हैं कि बेस्ट सेलर के इस टैग के पीछे एक सटीक मार्केटिंग हैं..रणनीति है और लेखकों का वह उत्साह है जो उनको पुस्तक के लिए हर जगह ले जाता है और वे आम आदमी से जुड़ते हैं। लेखक जब आम जनता के बीच जाए…उस वर्ग के बीच जाए और उसी तरीके से काम करे जिस तरीके से अन्य क्षेत्रों में पेशेवर तरीके से काम होता है।
ठोस प्रचार व मार्केटिंग तथा वितरण  रणनीति ही समाधान है
.लोहे को लोहा काटता है इसलिए .जाहिर है कि हमें अंग्रेजी या दुनिया की किसी भाषा के सामने अगर खड़ा होना है या हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं  को खड़ा करना होगा तो हमें एक ठोस रणनीति को लेकर काम करना होगा…यह जरूरी इसलिए है क्योंकि इसी से हिन्दी का रोजगारपरक हित जुड़ा है और कहीं न कहीं सम्मान भी…जो लोग कहते हैं कि हिन्दी में क्या है..वह खुद आकर नहीं देखने वाले कि हिन्दी में क्या लिखा जा रहा है, क्या पढ़ा जा रहा है, क्या प्रकाशित हो रहा है…हमें उनको पढ़वाना होगा…और अपने स्तर पर किताबों को चाहे वह साहित्य हो या साहित्येतर…हिन्दी की हर पुस्तक का प्रचार करना ही होगा क्योंकि बाजार का सीधा फलसफा है…जो दिखेगा, वह बिकेगा…और जब बिकेगा तो स्थिति सुधरेगी…हिन्दी व भारतीय भाषाओं का विकास होगा तो उनका प्रसार होगा…आम जनता जुड़ेगी और इसका माध्यम पुस्तकें ही बनेंगी।
किताब वहाँ तक पहुँचे जिसके लिए वह लिखी गयी है
आज पुस्तकों के प्रचार का मतलब प्रकाशन और प्रचार के लिए दो – चार गोष्ठियाँ और पुस्तक को ऑनलाइन उपलब्ध करवा देना है..मगर पहले तो यह लेखक और प्रकाशक दोनों के लिए खर्चीला है और दूसरा यह कि अमेजन जैसी वेबसाइटों पर हजारों -लाखों लेखक और उनकी पुस्तकें उपलब्ध हैं और प्राथमिकता भी बेस्ट सेलर लेखकों को मिलती हैं तो किताबों की भीड़ में आपकी पुस्तक न जाने कितनी पीछे चली जाती है..तो आप इसे बार – बार कहाँ से तलाशेंगे? इससे बेहतर है कि किताबों को वहाँ ले जाया जाए…जहाँ यह जानी चाहिए।
यह सम्भव है अगर
देश भर के लेखकों का एक नेटवर्क तैयार हो…पुस्तक प्राप्ति स्थान हर शहर में हो…और स्थानीय स्तर पर हम एक दूसरे के साथ काम करें। कहने का अभिप्राय यह है कि हम एक दूसरे की पुस्तकों को उपलब्ध करवाने में और कार्यक्रम आयोजित करने में सहायक बनें…ऐसा सम्पर्क जाल बनायें…जहाँ कोई भी नया लेखक आसानी से पहुँच सके। गतिविधियों में युवा पीढ़ी को विशेष रूप से अवसर दिया जाए और पारिश्रमिक के साथ दिया जाये जिससे उनकी रुचि बनी ही नहीं रहे बल्कि बढ़ती भी रहे…।
और यही से आते हैं हम…यानी शुभ सृजन नेटवर्क 
किसी भी छोटे प्रकाशक या नये लेखक के लिए सम्भव नहीं है कि वह हर शहर में अपनी किताबें ले जा सके…या हर बार महँगी संगोष्ठियाँ आयोजित करे मगर ये काम सहभागिता से सम्भव है…मतलब उस पुस्तक की विषय – वस्तु को ध्यान में रखकर ऐसे उत्पादों, कम्पनियों, उत्पादों या संस्थानों का चुनाव किया जाये…जहाँ से यह सम्बन्धित है और उनसे ही जुड़े कार्यक्रम तथा गतिविधियाँ आयोजित की जायें। मसलन युवाओं के लिए लिखी गयी पुस्तक किसी शिक्षण संस्थान तक पहुँचे….अगर उसमें किसी सुन्दरता का जिक्र है तो नैसर्गिक सौन्दर्य उत्पाद बनाने वाले मझोले स्तर के उद्यमी हों या ऐसा कोई व्यक्ति जिसने अपनी हिम्मत से ऐसी चुनौतियों का सामना किया है और यह सम्भव होगा जब ऐसी कड़ी या नेटवर्क हो…और सारे देश में हो…और यही हमने आरम्भ किया है।
तो क्या है शुभ सृजन नेटवर्क
शुभ सृजन नेटवर्क की शुरुआत हिन्दी व भारतीय भाषाओं को रोजगारपरक बनाने के अभियान के फलस्वरूप हुई है। शुभ सृजन नेटवर्क शुभजिता डॉट कॉम के नाम से एक वेबपत्रिका प्रकाशित करता है जो 4 साल पूरे कर चुकी है। इसके अतिरिक्त कस्टमाइज्ड स्टेशनरी भी इसके तहत बनायी जाती है। पुस्तकों व साहित्यिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रचार इसी मुहिम का एक हिस्सा है और इससे युवा पीढ़ी को हम लगातार जोड़ रहे हैं और इसे केन्द्र में रखकर ही गतिविधियाँ संचालित की जाती हैं।
पुस्तक पंजीकरण, वितरण तथा कार्यक्रम आयोजन
हम अपनी वेबसाइट shubhjita.com के माध्यम से किताब गली में किताबों पर बात करते हैं…शुभ सृजन नेटवर्क में आप 500 रुपये का शुल्क देकर पंजीकरण करवा सकते हैं..हमारे शहर में पुस्तक पहुँचाने का दायित्व हमारा है.  हम कार्यक्रम तथा गतिविधियाँ और कार्यशालाएँ भी आयोजित कर रहे हैं…। आप न सिर्फ पुस्तकों का बल्कि अपनी ब्रांडिंग भी हमारे जरिए कर सकते हैं। अगर पूरा नेटवर्क बने तो हम सब एक दूसरे की और पुस्तकों की ब्रांडिंग आसानी से कर सकते हैं। पूरा पुस्तक प्रचार विपणन पैकेज इस प्रकार है और आपके पास है चयन की सुविधा –
पाठकों के लिए – हमारा उद्देश्य पुस्तकों को वहाँ तक पहुँचाना है जहाँ तक जाने के लिए वे लिखी गयी हैं यानी आप तक। शुभ सृजन पर उपलब्ध किताबों की विशेषता यही है कि आप यहाँ सीधे लेखक तक जाते हैं…बीच में कोई नहीं आता। पुस्तक लिखना लेखन का परिश्रम है…और बाजार की दृष्टि से देखा जाए तो उत्पाद तो हमारी दृष्टि से यह लेखक का अधिकार है कि वह पाठक तक पहुँचे। अगर कोई पुस्तक खरीदता है और पूरा मूल्य देकर खरीदता है तो यह अच्छी बात है मगर कई बार ऐसा नहीं होता तो पाठक क्या करे, शुभ सृजन नेटवर्क के पास पाठकों के लिए विकल्प हैं..
1.  तुलनात्मक रूप से कम कीमत पर खरीदें –  पुस्तकें बाजार द्वारा तय कीमत से कम कीमत में खरीदिए। आपको शुभ सृजन नेटवर्क पर जो भी पुस्तक मिलेगी, वह कहीं कम कीमत पर मिलेगी और छूट मिलेगी।
2. पुस्तक किश्तों में खरीदें –  अगर आपको लगता है कि पुस्तक आपके बजट के बाहर है मगर आपको खरीदनी है तो आप उसे किश्तों में खरीद सकते हैं मतलब हम पुस्तक की कीमत का अंश धीरे – धीरे चुकाइए, ठीक वैसे ही जैसे आप अपने घर में कोई महँगा सामान खरीदते हैं। मूल कीमत पुस्तक की कीमत के आधार पर तय होगी। यह विद्यार्थियों तथा शोधार्थियों के लिए विशेष उपयोगी है जो पुस्तकें पढ़ना तो चाहते हैं। यह कीमत 50 से 100 रुपये के बीच होगी…और अवधि 6 महीने।  शुभ सृजन सम्पर्क के सदस्यों को इस शुल्क में थोड़ी छूट मिलेगी मगर इस दौरान अगर पुस्तक को किसी प्रकार की क्षति पहुँची तो आपको पूरी कीमत भरनी पड़ेगी।  
3. पुस्तकें किराये पर लें –  कई बार आपका बजट इजाजत नहीं देता मगर आपको किताब पढ़नी है और कई बार पुस्तकालयों में भी वह पुस्तक नहीं मिलती। ऐसी स्थिति में अगर  वह पुस्तक हमारे पास आती है तो आप  100 रुपये शुल्क देकर पढ़ सकते हैं। पुस्तक 15 दिनों के भीतर लौटानी होगी और अगर आप इसे दोबारा इश्यू करवाते हैं 50 रुपये देकर रीइश्यू करवा सकते हैं। शुभ सृजन सम्पर्क के सदस्यों के लिए यह राशि 70 रुपये है औऱ रीइश्यू करवाने के लिए आपको 30 रुपये देने होंगे। इस दौरान अगर पुस्तक को किसी प्रकार की क्षति पहुँची  या किसी प्रकार का निशान पाया गया तो  आपको  पुस्तक की पूरी कीमत भरनी पड़ेगी।  
4. पुस्तकें बेचें –  कहते हैं कि ज्ञान बाँटने से बढ़ता है तो  आपके पास आलमारी में ढेर सारी पुस्तकें हैं और आप उसे पढ़ चुके हैं औऱ आपको नयी पुस्तकें खरीदने के लिए जगह बनानी है तो  हम आपके लिए खरीददार उपलब्ध करवाने में सहायता करेंगे। पुस्तक की स्थिति के आधार पर  आप पुस्तक की कीमत तय कर सकते हैं। इससे पुस्तक किसी जरूरतमंद छात्र या पाठक के हाथ मे ं होगी और वह कबाड़ में जाने से बचेगी तथा ज्ञान का प्रसार होगा।
लेखकों और प्रकाशकों के लिए
पैकेज –  1 – 250 रुपये से 500 रुपये
अगर आप लेखक या किसी भी प्रकार की परिसेवा दे रहे हैं
शुभ सृजन सम्पर्क ई डायरेक्टरी में 250 रुपये शुल्क देकर पंजीकरण करवा सकते हैं…जिसका लिंक यह रहा – http://www.shubhjita.com/directory/
सुविधा – यह एक सम्पर्क माध्यम है। कई बार हम कार्यक्रम करते हैं मगर  हमें लेखक नहीं मिलते…या विशेषज्ञ नहीं मिलते..यह इस समस्या का समाधान करने वाला माध्यम है…आपकी जानकारी..जब इस मंच पर रहेगी तो आपके बारे में लोग जानेंगे। इसके साथ ही आपके विषय से सम्बन्धित कोई कार्यक्रम होता है या कोई लेख हमें चाहिए तो हम आपसे ही सम्पर्क करेंगे। इसके लिए हमारे या कार्यक्रम के बजट के अनुसार आयोजक की ओर से मानदेय की व्यवस्था भी होगी।
शुभजिता में 500 रुपये पंजीकरण शुल्क के साथ आप अपनी पुस्तक का पंजीकरण करवा सकते हैं। इसमें हम आपके लिए पुस्तक की जानकारी देने व्यवस्था करेंगे..बेची गयी पुस्तक की कीमत पर 10 प्रतिशत कमिशन लेकर..आप पुस्तक का वितरण करवा सकेंगे,,। यह सुविधा वैकल्पिक है।
आपकी पुस्तक की समीक्षा शुभजिता में प्रकाशित होगी। इसे या तो हम लिखेंगे या किसी से लिखवायेंगे…औऱ इस शुल्क में पारिश्रमिक शामिल है।
पैकेज 2 – 2500 रुपये
पैकेज में शामिल है – पंजीकरण शुल्क, एक समीक्षा तथा आपकी पुस्तक पर आधारित एक वीडियो।
पैकेज 3 – 4000 रुपये
पैकेज में शामिल है – पंजीकरण शुल्क, एक समीक्षा, एक प्रोमो तथा आपकी पुस्तक पर आधारित एक वीडियो, एक साक्षात्कार तथा एक परिचर्चामूलक गोष्ठी
 पैकेज 4 – 
पैकेज में शामिल है – पंजीकरण शुल्क, एक समीक्षा, एक प्रोमो तथा आपकी पुस्तक पर आधारित एक वीडियो साक्षात्कार तथा एक परिचर्चामूलक गोष्ठी का आयोजन प्रबन्धन।
आयोजन प्रबन्धन कार्यक्रम के बजट और आपकी परिकल्पना और इसमें भाग लेने वाले युवाओं की संख्या पर निर्भर करता है और इसका पैकेज 4000 हजार रुपये से शुरू होता है…। इसके बाद आपके बजट के अनुसार ही कार्यक्रम और साझेदारी होगी जिसमें हमारे युवा साथी शामिल होंगे और उनको हम मंच और मानदेय, दोनों देंगे।
अगर हम आपके शहर में आते हैं तो हमारे ठहरने और आवास की सुविधा की व्यवस्था हम आपसे चाहेंगे। आयोजन में हम आपकी सहभागिता के आकाँक्षी हैं। आप चाहें तो स्थानीय कलाकारों अथवा विद्यार्थियों के साथ हमारे शहर के युवाओं की सेवा भी ले सकते हैं।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।