क्या होता है पकड़ुआ बियाह, जानिए

जो लोग बिहार या पूर्वांचल के हैं वे पकड़ुआ बियाह से भली-भांति अवगत हैं, लेकिन विवाह की यह प्रक्रिया देश के बाकी हिस्सों में रहने वाले लोगों की उत्सुकता बढ़ाने वाली है। इन्हीं लोगों की उत्सुकता को शांत करने के लिए आइए समझने की कोशिश करते हैं कि पकड़ुआ बियाह क्या होता है, क्यों होता है, कैसे होता है, कब से शुरू हुआ।
पकड़ुआ बियाह क्या होता है
पकड़ुआ बियाह में शादी योग्य लड़के का अपहरण करके उसकी जबरन शादी करवाई जाती है। इस विषय पर बॉलीवुड में अगस्त 2019 में ‘जबरिया जोड़ी’ नाम से एक फिल्म रिलीज हो चुकी है। इसके अलावा कलर्स चैनल पर ‘भाग्यविधाता’ नाम से एक टीवी सीरियल भी प्रसारित हो चुका है। इन दोनों में ही काफी हद तक पकड़ुआ बियाह की सच्चाई को दिखाने की कोशिश की गई है।
पकड़ुआ बियाह की शुरुआत कहां से हुई इसकी कोई पुख्ता जानकारी तो नहीं है, लेकिन माना जाता है कि दूल्हे को अगवा कर उसकी शादी रचाने का चलन बेगूसराय जिले से शुरू हुआ है। बेगूसराय से सटे पटना जिले के हिस्से मोकामा, पंडारख, बाढ़, बख्तियारपुर जैसे इलाके में एक समय इसका खूब चलन था। पकड़ुआ बियाह में गांव या परिवार के दबंग लोग इलाके के किसी पढ़े-लिखे और धन-संपदा से संपन्न शादी योग्य युवक का अपहरण कर लेते हैं। इसके बाद जबरन उसकी शादी किसी लड़की से करा दी जाती है। विरोध करने पर युवक की पिटाई भी की जाती है। कई बार हथियार वगैरह दिखाकर युवक को डराया धमकाया भी जाता है।
इतना ही नहीं, शादी कराने वाले दबंग दूल्हे और उसके परिजनों को इतना डरा धमका देते हैं कि वह मजबूरी वश जबरिया विवाह को स्वीकार कर लेते हैं। आमतौर पर दबंग पहला बच्चा होने तक दूल्हा और उसके परिजनों पर नजर रखते हैं। 1970 से 1990 के दशक में किसी युवक की अगर अच्छी नौकरी लगती तो घर वाले सबसे पहले उसका घर से निकलना बंद कर देते। नौकरी लगने वाली बात काफी गुप्त रखा जाता। नौकरीपेशा लड़के को अकेले घर से निकलने नहीं दिया जाता, डर होता कि कहीं उसका पकड़ुआ बियाह ना करा दिया जाए। 1970 के दशक में बेगूसराय के मटिहानी एरिया में सबसे ज्यादा इस प्रकार की शादी का रिवाज था।
क्यों होता है पकड़ुआ बियाह?
पकड़ुआ बियाह की शुरुआत की मुख्य वजह दहेज प्रथा को माना जाता है। लेकिन इसे बारीकी से समझेंगे तो पता चलता है कि पकड़ुआ बियाह की शुरुआत के पीछे कई और वजहें हैं। दरअसल, 70-80 के दशक में बिहार में शिक्षा और जागरुकता के अभाव में जन्मदर काफी अधिक रही। इससे उन परिवारों ने भी ज्यादा बच्चे कर लिए जिनकी आर्थिक स्थिति उतनी बेहतर नहीं थी। इसके साथ ही बिहार के समाज में उच्च जाति के लोगों में स्टेटस दिखाने का चलन शुरू से ही रहा है। इस स्थिति अगर किसी परिवार में चार बेटियां हैं, लेकिन उसके पिता की इतनी हैसियत नहीं है वह मोटा दहेज देकर अच्छे परिवार में उनकी शादी करा पाए। ऐसे में वह अपनी बेटी की शादी पढ़े-लिखे और धन-संपदा से योग्य दूल्हे से कराने के लिए पकड़ुआ बियाह जैसे विकल्प को तलाशते हैं।
दबंगों ने पकड़ुआ बियाह को बनाया धंधा
पकड़ुआ बियाह का चलन शुरू होने पर इलाके के दबंगों ने इसे धंधा बना लिया। अगर किसी पिता को पकड़ुआ बियाह के जरिए अपनी बेटी की शादी करानी है तो वह इन दबंगों के पास जाते हैं। यहां लड़की के पिता और दबंग के बीच में सौदा होता है। सौदे के मुताबिक पकड़ुआ बियाह कराने और दुल्हन को उसके ससुराल में मान-सम्मान के साथ स्थापित करने के एवज में दबंग को फीस के तौर पर कुछ रकम दी जाती है। साथ ही दूल्हा डॉक्टर, इंजीनियर, बैंककर्मी, रेलवे आदि जिस भी विभाग में नौकरी कर रहा होगा उसके हिसाब से दबंग दुल्हन के पिता से रकम की माँग करते हैं। ऐसे में अगर कोई इंजीनियर दूल्हा 20 लाख रुपये नकद दहेज मांग रहा है तो दबंग दो लाख-दो लाख लेकर पकड़ुआ बियाह करा देते हैं। ऊपर से शादी के तामझाम का भी खर्च बचता है। इस तरह लड़की का पिता महज दो से ढाई लाख रुपये में अपने लिए इंजीनियर दूल्हा पा लेता है। शुरुआत में 5 से 10 हजार रुपये में लड़का उठाया जाता बाद में यह लाख-दो लाख रुपये तक पहुंच गया।
किसी करीबी या परिवार के लोग ही करवाते हैं पकड़ुआ बियाह
पकड़ुआ बियाह में दूल्हे को अगवा कराने में उसके किसी परिवार या रिश्तेदार का ही रोल होता है। करीबी या रिश्तेदार दूल्हे के शहर से गांव आने की पूरी विस्तृत जानकारी देता है। उसके बाद ही दबंग समय और परिस्थिति देखकर युवक का अपहरण करते हैं। शादी होने के बाद दुल्हन को ससुराल में स्थापित कराने में भी उसी रिश्तेदार या करीबी का रोल होता है। क्योंकि जबरन शादी के बाद दुल्हन के साथ उसके ससुराल में क्या व्यवहार हो रहा है इसकी जानकारी वही दबंग तक पहुंचाता है।?
पकड़ुआ बियाह पर पुलिस क्यों नहीं करती कार्रवाई?
1970-80 के दशक में बिहार में आमतौर पर माना जाता था कि अगर लड़का इंटरमीडिएट की परीक्षा दे रहा है तो उसे सरकारी नौकरी हो ही जाएगी। इसलिए इंटरमीडिएट की परीक्षा देने के दौरान युवकों का सबसे ज्यादा अपहरण किया जाता और उसका पकड़ुआ बियाह करा दिया जाता। जानकारों का दावा है कि करीब-करीब पकड़ुआ बियाह सफल ही होते हैं। क्योंकि पकड़ुआ बियाह में आमतौर पर कच्ची उम्र के लड़कों को अगवा किया जाता है। शादी के बाद जबरन ही सही, कुछ दिन दुल्हन के साथ रहने से उन दोनों के बीच मानसिक रूप से भी पति-पत्नी का रिश्ता स्थापित हो जाता है। परिवार वालों को सामाजिक दबाव में समझाबुझा दिया जाता है। एकाध ही पकड़ुआ बियाह के मामले होते हैं जो थाने तक पहुंचते हैं। क्योंकि पकड़ुआ बियाह में लड़के को कुछ घंटों के लिए ही अगवा किया जाता है उसके बाद उसे ससम्मान दुल्हन के साथ उसके घर भेज दिया जाता है। समाज की सहभागिता के चलते पुलिस भी ऐसे मामलों में स्वेच्छा से खास दिलचस्पी नहीं लेती है।


पकड़ुआ बियाह के चर्चित मामले
1. पेशे से इंजीनियर विनोद कुमार की जबरन शादी का वीडियो साल 2017 के दिसंबर महीने में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। समाज और दबंगों के लाख डराने धमकाने के बाद भी विनोद ने इस शादी को मानने से इनकार कर दिया। विनोद ने पटना के परिवार न्यायालय में शादी की वैधता को चुनौती दी, जिस पर मई 2019 में प्रिंसिपल जज कृष्ण बिहारी पाण्डेय ने फ़ैसला देते हुए शादी को अमान्य ठहरा दिया।

2. साल 2013 में शेखपुरा जिले के रवीन्द्र कुमार झा के 15 साल के बेटे की शादी जबरन 11 साल की बच्ची से करा दी गई थी। रवीन्द्र कुमार झा ने इस शादी को मानने से इनकार किया तो लड़की वालों ने उनके परिवार के खिलाफ दहेज प्रताड़ना का केस कर दिया था। हालांकि कोर्ट ने रवीन्द्र झा के परिवार को अग्रिम जमानत दे दी, लेकिन तकनीकी दिक्कतों के चलते शादी को अमान्य करार देने से इनकार कर दिया।

3. दरभंगा जिले की रहने वाली कमला के पिता ने उसकी पकड़ुआ बियाह कराया था। सामाजिक दबाव में ससुराल वालों ने कमला को अपना तो लिया लेकिन वह आज भी डरी सहमी रहती है। ससुराल की महिलाएं आए दिन ताने मार देती हैं। कमला मजबूरी में ऐसी जिंदगी जीने को मजबूर है।

4. सहरसा जिले के रहने वाले आलोक को मई 2012 में उसके दोस्त पार्टी का लालच देकर अपने साथ ले गए फिर बंदूक के बल पर मंडप पर बैठाया और पकड़ुआ बियाह करा दिया था।

5. इसी साल जून में बेगूसराय के तेघड़ा थाना क्षेत्र में शिवम कुमार को बिहट खेमकरणपुर पूर्वी टोला के रहने वाले यदुनंदन सिंह ने गांव के लोगों के साथ मिलकर अगवा कर लिया था। इसके बाद युदुनंदन अपनी बेटी प्रिया भारती से शिवम की जबरन शादी करवा रहे थे। मौके पर पहुंची पुलिस ने कार्रवाई करने के बजाय दोनों पक्षों को समझा बुझाकर दोनों की शादी करवा दी।
पकड़ुआ बियाह का सबसे ज्यादा नुकसान किसे?
पकड़ुआ बियाह जैसे सामाजिक बुराई से सबसे ज्यादा लड़का लड़की को नुकसान उठाना पड़ता है। लड़की के पिता तो कम पैसे खर्च को बेटी की शादी अच्छी नौकरी या धन-संपदा से संपन्न युवक से करा देते हैं। सामाजिक दबाव में लड़के के परिवार वाले लड़की को अपना भी लेते हैं, लेकिन जीवनचर्या में उन्हें कितने ताने मारे जाते हैं इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं, कई बार तो लड़की को पूरे जीवन काल में पति का ठीक से प्यार नसीब नहीं हो पाता है। वहीं लड़का भी ऐसी शादी के बाद मानसिक रूप से परेशान हो जाता है। कई बार वह दिल से पत्नी को कभी स्वीकार ही नहीं पाता है। ऐसी स्थिति में प्यार की डोर से बनने वाला पति-पत्नी का रिश्ते नफरत और डर पर स्थापित हो जाता है।
(साभार – नवभारत टाइम्स)

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