घरेलू औरतों को आमदनी का जरिया देकर मीशो ने लिखी सफलता की कहानी

विदित आत्रे और संजीव बरनवाल आईआईटी दिल्ली के सहपाठी हैं। 2015 में विदित इनमोबी कंपनी में और संजीव सोनी कंपनी में नौकरी करते थे, जब उन्होंने कुछ अपना शुरू करने का फैसला किया। जून 2015 में दोनों ने इस्तीफा देकर फाशनियर (Fashnear) ऐप बनाया। इस ऐप के जरिए लोग स्थानीय बाजारों के किसी स्टोर से कोई भी प्रोडक्ट खरीद सकते थे। तमाम कोशिशों के बाद भी किसी ने इनके ऐप का इस्तेमाल नहीं किया।

मीशो यानी मेरी शॉप का शॉर्ट फार्म

मार्केट रिसर्च के दौरान इन्हें एक रोचक बात पता चली। कई महिलाएं वॉट्सऐप के जरिए अपना खुद का फैशन ब्रांड चला रही हैं। इनमें ज्यादातर ऐसी महिलाएं थीं जिन्होंने शादी या बच्चा होने के बाद नौकरी छोड़ दी थी, लेकिन उनका फैशन सेंस अच्छा था। इनके रास्ते में पूंजी एक बड़ा रोड़ा थी। वो होलसेल मार्केट में जाकर प्रोडक्ट खरीदना चाहती थीं और उन्हें रीसेल करना चाहती थीं, लेकिन जब परिवार से पूंजी के लिए पूछतीं तो इनकार ही मिलता। विदित और संजीव ने नोटिस किया कि कई दुकानदार भी अपने कस्टमर को वॉट्सऐप ग्रुप में ऐड कर लेते हैं। कोई भी नया प्रोडक्ट आने पर वो   कस्टमर को भेजते हैं और वहीं से ऑर्डर मिल जाता है। उन्हें एहसास हुआ कि सोशल मीडिया पर भारत में 50 करोड़ लोग हैं। अगर इन्हें ई-कॉमर्स की तरफ मोड़ दिया जाए तो उनका काम बन सकता है। यहीं से फाशनियर को बदलकर मीशो उतारा गया। मीशो यानी मेरी शॉप।

खरीदारी के साथ मिला आमदनी का जरिया

मीशो के जरिए रीसेलर्स को कमाई का एक जरिया मिल गया जिसमें ज्यादातर महिलाएं थीं। ये एक ऐसा प्लेटफॉर्म बन गया जिसमें प्रोडक्ट, लॉजिस्टिक सर्विस, पेमेंट इंटिग्रेशन और मार्केटिंग टूल सब एक जगह आसानी से मिलने लगे। मसलन कोई गृहिणी है। मीशो के प्रोडक्ट का कैटलॉग वो अपने कस्टमर्स को वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम पर आसानी से दिखा सकती है। वहां से ऑर्डर लेकर मीशो के थोक विक्रेता से ऑर्डर प्लेस कर सकती है। सामान सीधा कस्टमर के घर पहुंच जाएगा और बीच में गृहिणी 10-15% का कमीशन आसानी से हासिल कर सकती है। छोटे शहरों, कस्बों, छोड़े बिजनेस और गृहणियों के बीच ये कॉन्सेप्ट बेहद पॉपुलर हो रहा है।

बिजली की रफ्तार से बनी 35,000 करोड़ की कम्पनी

2016 में विदित और संजीव ने पहली बार 2 करोड़ रुपये की फंडिंग जुटाई। इसके बाद अब तक 6 राउंड की फंडिंग में कुल करीब 8 हजार करोड़ की फंडिंग जुटाई है। लॉन्चिंग के महज 6 साल में ही मीशो की वैल्युएशन करीब 35 हजार करोड़ रुपये पहुंच गई है। मीशो ने 2020 में 315 करोड़ रुपये राजस्व जुटाये हैं।

तीन सोशल कॉमर्स कंपनियों से मीशो का मुकाबला

मीशो का मुकाबला इस वक्त तीन सोशल कॉमर्स कंपनियों से हैः- डील शेयर, ग्लो रोड और शॉप 101। इन तीनों ऐप्स का मॉडल मीशो जैसा ही है। तीनों ने अच्छी खासी फंडिंग जुटा ली है। अमेजन और ई-बे का भी भारत के रीसेल मार्केट में एक बड़ी हिस्सेदारी है। भारत के बढ़ते ई-कॉमर्स मार्केट में मीशो ने भले ही पिछले कुछ सालों में अच्छी विकास दर दर्ज की हो, लेकिन आने वाला वक्त बेहद चुनौती भरा है।

10 करोड़ लोगों को मीशो पर जोड़ने की चाहत

सोशल कॉमर्स के बाजार को लेकर शुरुआत में इन्वेस्टर्स आश्वस्त नहीं थे, लेकिन अब इस तरफ रुझान बढ़ रहा है। मीशो के फाउंडर विदित का कहना है कि वो अपने ऐप पर 10 करोड़ छोटे बिजनेस और एंटरप्रेन्योर को जोड़ना चाहते हैं। उदित का कहना है कि वॉट्सऐप हमारे लिए सिर्फ गो टु मार्केट स्ट्रैटजी थी। अब हम यूट्यूब और अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर भी काम कर रहे हैं। इसका असर भी देखने को मिल रहा है।
(साभार – दैनिक भास्कर)

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