तुलसी को पढ़ना समूची भारतीय वांग्मय परम्परा को पढ़ना है : डॉ. ऋषिकेश राय

सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय में मनायी गयी तुलसी जयन्ती
कोलकाता : कोविड -19 का पालन करते हुए सेठ सूरजमल जालान पुस्तकालय में इस वर्ष तुलसी जयन्ती मनायी गयी। इस अवसर पर पर मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित तुलसी साहित्य के अध्येता तथा टी बोर्ड के सचिव डॉ. ऋषिकेश राय ने तुलसी साहित्य की समन्वय भावना, लोकभावना तथा संवादधर्मिता पर विशेष रूप से अपनी बात रखी। उन्होंने वरिष्ठ आलोचक डॉ. रामविलास शर्मा के कथन का उल्लेख करते हुए तुलसीदास को विश्व का सर्वश्रेष्ठ कवि बताया। डॉ. ऋषिकेश राय ने कहा कि तुलसी भारतीय साहित्य के सबसे बड़े संवादधर्मी कवि हैं। अपनी परम्परा से उन्होंने बहुत सुन्दरता से पढ़ा है। तुलसी को पढ़ने का मतलब समूची भारतीय वांग्मय परम्परा को पढ़ना है। बहुत से लोग कहते हैं, कि तुलसी ने शास्त्रों की नकल की है पर तुलसी ने पूर्ण प्रवेश रचना यानी उसका पुनर्पाठ किया है। शास्त्रों में जो दूषण है, उसे भूषण कैसे बनाना है, यह तुलसी जानते हैं। तुलसीदास नीति और साहित्य के साथ राजनीतिशास्त्र के भी ज्ञाता हैं। तुलसी का राम राज्य एक यूटोपिया है जहाँ सब सुखी हैं। तुलसी के राम वाल्मिकी के राम से अलग हैं। तुलसी के राम परात्पर ब्रह्म हैं। तुलसी पर अध्यात्म रामायण का प्रभाव है। तुलसी ने सांस्कृतिक समन्यवय से अपना साम्राज्य स्थापित किया। वे संस्कृत के भी बड़े कवि हैं जो पूरी संस्कृत परम्परा को समझते हैं। रामविलास शर्मा ने तुलसीदास को विश्व का सर्वश्रेष्ठ कवि मानते हैं पर प्रगतिवादियों ने उनकी इस बात को खारिज कर दिया। तुलसी को अवहेलित किया गया है। समारोह की अध्यक्षता कर रहे पश्चिम बंगाल के डी.जी. होमगार्ड मृत्युंजय कुमार सिंह ने कहा तुलसी लोक के हृदय पर राज करते हैं। उन्होंने तुलसीदास के काव्य कला कौशल पर भी चर्चा की। तुलसी जयन्ती समारोह का आरम्भ वरिष्ठ गायक ओमप्रकाश मिश्र द्वारा श्रीराम वन्दना की समधुर प्रस्तुति से हुआ। पुस्तकालय की मंत्री दुर्गा व्यास ने पुस्तकालय की गतिविधियों का ब्योरा दिया। इस अवसर पर विद्यालय की सेवानिवृत शिक्षिका प्रेम शर्मा के मार्गदर्शन में रामलला नहछू की प्रस्तुति विद्यालय की पूर्व छात्रा सुषमा त्रिपाठी ने की। कार्यक्रम में स्वागत भाषण तथा संचालन डॉ.प्रेमशंकर त्रिपाठी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन पुस्तकालय के अध्यक्ष भरत कुमार जालान ने किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में पुस्तकालय के पुस्तकाध्यक्ष श्रीमोहन तिवारी, विजय तिवारी समेत अन्य कर्मचारियों की विशेष भूमिका रही। समारोह का आनन्द आभासी माध्यम से जुड़े लोगों ने भी उठाया।

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