सेव स्पैरो फाउंडेशन ने देशभर में बांटे 70 हजार घरौंदे

0
175

संजोया चिड़ियों का घोंसला तो घरों में गूंजने लगी चहचहाहट
हमारे आसपास गौरैया यानी घरेलू चिड़िया की चहचहाहट की गूंज कम सुनाई देने लगी है। इसकी एक वजह है घरेलू चिड़िया के सिमट रहे प्राकृतिक आवास। ऐसे में विलुप्त हो रही गौरैया को बचाने के लिए सेव स्पैरो फाउंडेशन आगे आया। इसके प्रयासों ने न केवल गौरैया की आबादी बढ़ी, बल्कि घर के अंदर ही चहचहाहट बढ़ गई है।

फाउंडेशन ने ऐसे घोंसले तैयार किए, जिन्हें गौरैया ने अपना आशियाना बनाने के लिए चुना। यह सब संभव हुआ तोशाम के राहुल बंसल की बदौलत। उसने सेव स्पैरो फाउंडेशन का गठन कर अब तक देशभर में करीब 70 हजार चिड़ियों के घोंसले बांट दिए। फाउंडेशन अब हर छह माह के दौरान करीब 25 से 30 हजार घोंसले बांटकर चिड़िया की आबादी बढ़ाने में जुटा है।

हरियाणा के भिवानी जिले के तोशाम निवासी राहुल बंसल इनकम टैक्स और जीएसटी के सलाहकार हैं। उन्होंने पांच वर्ष पहले सेव स्पैरो फाउंडेशन की स्थापना की थी। उनका मकसद अपने आसपास गौरैया की आबादी बढ़ाना था। उन्होंने चिड़िया के घोंसले बनाने के लिए कई प्रयोग किए।

शुरूआत में सफल नहीं हुए। बाद में उसने बिना केमिकल युक्त रंगों और प्लायवुड से घोंसला तैयार किया, जो कुछ समय बाद गौरैया को बहुत पसंद आया और उसमें उसकी आबादी फलने-फूलने लगी। ये घोंसले घर के किसी भी हिस्से में आसानी से लगाए जा सकते हैं।

हानिकारक कीड़ों से दिलाती है निजात, किसानों की भी है मित्र
राहुल बंसल बताते हैं कि उनके साथ अमृत अग्रवाल, यश, लक्ष्य, नंदिनी, काव्यांश, नरेंद्र गोयल भी इसी मुहिम में जुड़े हैं। हमारा प्रयास रहता है कि गौरैया को अपने आसपास ही आवास मुहैया कराया जाए। गौरैया हानिकरक कीड़ों को खाती है। इसलिए यह किसान की भी मित्र है। गौरैया का पर्यावरण पर भी सीधा असर पड़ता है। यह ऐसा पक्षी है, जो मनुष्य यानी मानव आबादी के साथ ही रहना पसंद करती है। इसलिए यह हमारे घरों में ही अपना छोटा सा आशियाना बनाने की तलाश में रहती है।

ऐसे लगाएं अपने घरों के अंदर गौरैया के घोेंसले
घोंसले को कम से कम सात से आठ फूट ऊंचाई पर लगाएं।
छायादार स्थान व बारिश से बचाव के स्थान पर लगाएं।
बंदरों व बिल्ली से बचाव के लिए छज्जों के नीचे की जगह व बालकनी उपयुक्त है।
घोंसलों के अंदर खाने-पीने के लिए कुछ नहीं डालें।
दाना व पानी की व्यवस्था घोंसलों से कम से कम आठ से 10 फुट दूर ही रखें।
घोंसलों के ऊपर किसी भी तरह का अलग से पेंट न करें।
घोंसलों की आपस में दूरी कम से कम तीन फूट रहे।
घोंसलों में किसी भी तरह की घास फूस न डालें।
एक बार लगाने के बाद घोंसलों से छेड़छाड़ न करें।
घोंसलों को छत के पंखों से दूर लगाएं।
ये भी ध्यान रखें कि रात के समय इनके घोंसलों के आसपास तेज रोशनी न जलाएं।
जब इनके अंडे देने का समय हो (मार्च से सितंबर) तब इनके 8-10 फुट दूर सूखी घास डाल सकते हैं।
घोंसलों को लगते समय यह भी ध्यान रखे कि इनके ऊपर गर्मियों में दोपहर व शाम की धूप सीधी न पड़े।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

fourteen + sixteen =