अर्चना संस्था ने की माँ दुर्गा की आराधना

कोलकाता ।  दुर्गा ए मैया थारा रूप हजार /थार चरणां म शीश नवाऊं म्हारी मात।संगीता चौधरी ने लोकसंगीत में माँ दुर्गा के प्रति भक्ति प्रकट की, मृदुला कोठारी ने मांँ तुम्हारे रूप की छवि दिखलाओ एक बार, पार लगा दो सबकी नैया /स्वर्ण माता पकड़ो बइया गीत सुनाया वहीं हिम्मत चोरड़़िया प्रज्ञा ने कुण्डलिया में माता की महिमा बताई माता तेरे नाम की,महिमा अपरम्पार।/जाप जपे जो प्रेम से, ले सपने आकार।।और गीत माँ शुभंकर, माँ सहारा।माँ हमें ही दे किनारा।।अहमदाबाद से भारती मेहता ने कविता मैं धरती हूँ , माँ हूँ जन्मदात्री हूँ , पालनहारी हूँ…, शशि कंकानी ने मांँ उतरो धरा पर फिर एक बार,नया रूप ले नया अवतार।।, पत्थर को मैं क्यूँ पूजूंँ जब देवी स्वरूपा दिखती मांँ ।।, विद्या भंडारी ने अपनी माँ के साथ बिताए समय पर कविता सुनाई – समय बताती एक घङी थी माँ और दल बादल बिच चमकै जी तारा राजस्थानी लोक गीत शैल भवानी म्हाने लागै जी प्यारा सुनाया।
इंदु चांडक ने आदिशक्ति जगदीश्वरी,सकल जगत आधार।
नमन करूँ तव चरण में,कर लेना स्वीकार।। भजन सुनाकर माँ के प्रति भक्ति प्रकट की। जूम पर हुए इस कार्यक्रम में नौरतनमल भंडारी ने माँ दुर्गा का आवाह्न करते हुए दो गीत सुनाए हे स्वर लहरी/सरगम की देवी/वर दे,मुझे वर दे,वरद और होके सिंह पर /सवार/ करके सोलह श्रंगार आई मैया/सुनकर भक्तों की/पुकार/आई मैया।वसुंधरा मिश्र ने तुम्हारा आना कविता सूर्य की पसरी धूप में तुम्हारा आना चाँदनी सा लगा /मन के झंकृत तारों ने नई रागिनी गाई सुनाई। अर्चना संस्था के सभी सदस्यों ने स्वरचित रचनाएँ और गीत पढे़ ।संस्था सृजनात्मकता और मौलिक रचनाकारों के लिए जानी जाती है। धन्यवाद ज्ञापन दिया विद्या भंडारी ने और कार्यक्रम का संचालन किया मृदुला कोठारी ने ।सूचना दी डॉ वसुंधरा मिश्र ने ।

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