एक सलामी उन वीरों को

– शुभम हिन्दुस्तानी,
गाजीपुर, उ.प्र.

एक सलामी उन वीरों को
सरहद के रणधीरों को।
जो लड़ते हमारी भलाई में
जो कुर्बां हुए हमारे लिए
कभी पुलवामा,
तो कभी कारगिल की लड़ाई में।
हंसकर कटा दिए गए उन शीशों को।
एक सलाम उन वीरों को
सरहद के रणधीरों को।।

जब भी दुश्मन ने आंख दिखाया
असहाय जान भारत को ललकारा।
मां के सपूतों (फ़ौज) ने,
हरदम अपना फर्ज निभाया
काट दिया दुश्मन के शीशों को।
एक सलाम उन वीरों को
सरहद के रणधीर ओं को।।

कभी प्रकृति ने ललकारा,
कभी -46 तो कभी 52 डिग्री पहुंचा पारा।
ऊपर से दुश्मन ने ललकारा
पर डिगा नहीं एक भी,फौजी हमारा
लांग गए प्रकृति के थपेड़ों को
मोड़ दिए दुश्मन के मंसूबों को
एक सलाम उन वीरों को ।
सरहद के रणधीरों को।।

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