कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज में साम्प्रदायिक सौहार्द पर सेमिनार

कोलकाता । कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज में साम्प्रदायिक सौहार्द पर एक सेमिनार आयोजित किया गया। इस अवसर कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्या डॉ. सत्या उपाध्याय ने शिक्षण संस्थानों में साम्प्रदयिक सौहार्द की आवश्यकता पर जोर दिया एवं मनुष्यता को सभी धर्मों की आत्मा बताया । उन्होंने कहा अनुशासन साम्प्रदायिक सौहार्द का सबसे महत्वपूर्ण स्तम्भ है जो अन्दर से आता है और जिसका पालन स्वप्रेरणा से ही किया जाता है । इस लिहाज से स्त्रियों की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि यदि वह अपनी भूमिका का पालन सही तरीके से करें तो देश या समाज को कोई भी नहीं तोड़ सकता ।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित एनसीसी की 2 बंगाल गर्ल्स बटालियन के कमांडिग ऑफिसर कर्नल सुनीत सिंह ने साम्प्रदायिक सौहार्द एवं शिक्षण संस्थानों में एनसीसी की भूमिका पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि हमारे अन्दर एक दूसरे के धर्म के प्रति आदर और उसके प्रति समझ होनी चाहिए, जैसा सेना में होता है । उन्होंने सेना का उदाहरण देते हुए कहा सेना में सभी न सिर्फ एक दूसरे के धर्म का सम्मान करते हैं बल्कि एक दूसरे की धार्मिक गतिविधियों में भी शामिल होते हैं। इस अभ्यास के लिए जिस प्रयास की आवश्यकता पड़ती है, वह एनसीसी में सिखाया जाता है। उन्होंने छात्राओं को सोशल मीडिया की खबरों को बगैर सत्यता जाँचे आगे प्रसारित न करने की सलाह भी दी । इस अवसर पर प्रधान अतिथि के रूप में उपस्थित बेथुन कॉलेज के पॉलिटिकल साइंस विभाग की सेवानिवृत्त प्राध्यापिका एवं कवयित्री डॉ. कुमकुम चट्टोपाध्याय ने एकता एवं साम्प्रदायिक सौहार्द बनाये रखने पर जोर दिया । उन्होंने कहा कि सभी प्रकार के जाति – धर्म समेत अन्य भेदभावों को समाप्त करना होगा एवं साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए सकारात्मक संतुलन बनाना होगा। स्वागत भाषण पॉलिटिकल साइंस विभागाध्यक्ष प्रो. चन्द्रनाथ साहा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन प्रो. मंद्रिता राय एवं शेख राज अली ने किया ।

 

कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज में मध्य एशिया एवं भारत के सम्बन्धों पर अन्तरराष्ट्रीय वेबिनार


कोलकाता । कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज में भारत एवं मध्य एशिया के सम्बन्धों पर एक दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय वेबिनार आयोजित किया गया। कॉलेज के इतिहास विभाग द्वारा आयोजित इस वेबिनार में भारत के साहित्यिक एवं सांस्कृतिक सम्बन्ध के सन्दर्भ में मध्य एशिया एवं ऐतिहासिक कालखंड की चर्चा की गयी । वेबिनार को सम्बोधित करते हुए कलकत्ता गर्ल्स कॉलेज की प्राचार्या एवं सचिव डॉ. सत्या उपाध्याय ने कहा कि किसी भी देश में मनुष्य की प्रवृत्ति एक ही होती है, बस अभिव्यक्ति का तरीका अलग होता है। साहित्य एवं संस्कृति के माध्यम से मध्य एशिया एवं भारत के सम्बन्ध मजबूत हुए हैं और अनुवाद के माध्यम से साहित्य और संस्कृति के क्षेत्र में निकटता आई है। वेबिनार में उज्बेकिस्तान की ताशकंद स्टेट यूनिवर्सिटी ऑफ ओरियेंटल स्टडीज के महात्मा गाँधी इंडोलॉजी सेंटर की निदेशक एवं दक्षिण एशियाई विभाग की अध्यक्ष प्रो. उल्फत मुखीबोवा ने दोनों देशों के सम्बन्धों की ऐतिहासिक यात्रा पर प्रकाश डाला । उन्होंने कहा कि दोनों ही संस्कृतियों ने एक दूसरे को प्रभावित किया है। उज्बेकी साहित्य में बीसवीं सदी के दिग्गज साहित्यकारों. जैसे – मुंशी प्रेमचंद, यशपाल की रचनाएं अनूदित होकर प्रकाशित हुईं। राजनीतिक स्तर पर भी दोनों देशों के सम्पर्क रहे हैं । भारतीय – उज्बेकी लोगों के जीवन, व्यवहार एवं आचरण में भी समानता है । इसी संस्थान के अनुवाद अध्ययन एवं अन्तरराष्ट्रीय पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. नीलोफर खुजाएवा ने कहा कि हिन्दी एवं उर्दू में बहुत सी उज्बेकी रचनाओं का अनुवाद हुआ है । यह वेबिनार आभासी माध्यम पर आयोजित किया गया था । इस वेबिनार में प्रो. नन्दिनी भट्टाचार्य समेत कई अन्य शिक्षिकाओं ने विचार रखे ।

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