क्या होती है सांसद निधि; क्यों ये सांसदों के बैंक खाते में नहीं भेजी जाती?

नयी दिल्ली : केंद्र सरकार ने अहम फैसले में सांसद निधि को बहाल कर दिया है। तकनीकी भाषा में इस योजना को संसद सदस्य स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (एमपीलैड) कहा जाता है। इस योजना के तहत देश के प्रत्येक सांसद यानी राज्यसभा और लोकसभा दोनों के सदस्यों को हर साल अपने क्षेत्र में विकास कार्य करवाने के लिए 5 करोड़ रुपये जारी किए जाते हैं। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि से ही योजना को बहाल करने का फैसला किया है। ऐसे में चालू वित्त वर्ष की शेष अवधि के लिए सांसदों को एकमुश्त दो करोड़ रुपये जारी किए जाएंगे। उन्हें अगले वित्त वर्ष यानी 2022-23 से योजना की पूरी राशि मिलेगी।
केंद्र सरकार ने सांसद निधि को बहाल कर दिया है। एमपीलैड योजना को अप्रैल 2020 में कोविड-19 महामारी के कारण अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया था और इसका धन भारत के समेकित कोष में चला गया था। अब केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फिर से इसे बहाल कर दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के साथ ही योजना को बहाल कर दिया गया है। यह योजना 2025-26 तक जारी रहेगी।
कैसे शुरू हुई थी योजना
इस योजना की शुरुआत पहली बार वर्ष 1993 में हुई थी। उस वक्त देश में स्वर्गीय प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार थी। उस वक्त सांसदों को अपने क्षेत्र के विकास के लिए एक करोड़ रुपये सालाना जारी किए जाते थे। कुछ साल बाद इस फंड को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये और फिर 2011-12 में मनमोहन सिंह की सरकार में पांच करोड़ रुपये कर दिया गया।
योजना का उद्देश्य
भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के मुताबिक इस योजना का मुख्य उद्देश्य संसद सदस्यों को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास से जुड़े कार्यों की सिफारिश करने में सक्षम बनाना है। सांसद इस पैसे से अपने क्षेत्र मे पीने के पानी, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता के साथ सड़कों के निर्माण की सिफारिश कर सकते हैं।
सांसदों के खाते में नहीं जाता पैसा
इस योजना से उद्देश्य और दिशानिर्देशों से स्पष्ट है कि सांसद अपने क्षेत्र के विकास से जुड़े कार्यों की सिफारिश कर सकते हैं। इसका बिल्कुल यह मतलब नहीं हुआ कि यह पैसा सांसदों के खाते में जाता है और वह अपने हिसाब से खर्च करते हैं। सरकार के स्तर पर उनकी सिफारिश स्वीकार की जाती है और सरकार प्रशासनिक अमला उसे क्रियान्वित करता है।
इस साल कम मिलेगा फंड
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि 2021-22 की शेष अवधि के लिए हर एक सांसद को एक किश्त में दो करोड़ रुपये की राशि जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि 2022-23 से 2025-26 तक प्रत्येक सांसद को पांच करोड़ रुपये प्रति वर्ष दी जाएगी। इसे साल में 2.5 करोड़ रुपये की दर से दो किश्तों में जारी की जाएगी। कोविड-19 महामारी के दौरान मंत्रिमंडल ने निर्णय लिया गया था कि साल 2020-21 से 2021-22 तक, एमपीलैड योजना के धन का उपयोग महामारी से निपटने में किया जाएगा।

आर्थिक स्थिति में सुधार के कारण योजना बहाल
सरकार का कहना है कि आर्थिक परिदृश्य में सुधार के मद्देनजर, जिस तरह से आर्थिक सुधार हुआ है और विभिन्न क्षेत्रों में भी विकास देखा गया है। वित्तीय वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के लिए एमपीलैड योजना को बहाल करने का निर्णय लिया गया है। वित्‍त वर्ष 2021-22 के शेष महीनों के दौरान सांसद स्‍थानीय क्षेत्र विकास योजना को बहाल करने और 15वें वित्त आयोग की अवधि के साथ-साथ वित्‍त वर्ष 2025-26 तक इसे जारी रखने को मंजूरी दे दी है।
योजना पर 2025-26 तक 17 हजार करोड़ से अधिक खर्च
एमपीलैड को वित्त वर्ष 2021-22 की शेष अवधि के लिए फिर से शुरू करने और इसे 2025-26 तक जारी रखने पर कुल वित्तीय परिव्यय 17417 करोड़ रुपये होगा। अप्रैल 2020 से अब तक योजना निलंबित थी। इस कारण कुल 7,900 करोड़ रुपये की धनराशि का उपयोग बुनियादी स्वास्थ्य ढांचे में सुधार और कोविड-19 महामारी से निपटने में किया जाएगा। सरकार ने सांसदों के वेतन में भी 30 फीसदी की कटौती की थी।
क्या है योजना
इस योजना के तहत सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों में हर साल पांच करोड़ रुपये तक के विकास कार्यों की सिफारिश कर सकते हैं। सरकार ने एक बयान में कहा है कि एमपीलैड योजना को फिर से शुरू करने और इसके क्रियान्वयन को जारी रखने से क्षेत्र में सामुदायिक विकास परियोजनाओं, कार्यों की फिर से शुरूआत होगी जो एमपीलैड के तहत धन की कमी के कारण रुक गयी थीं। इससे स्थानीय समुदाय की आकांक्षाओं और विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने और स्थायी परिसंपत्तियों के निर्माण की फिर से शुरुआत होगी। सरकार ने कहा कि सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्‍वयन मंत्रालय ने 2021 के दौरान देश भर के 216 जिलों में एमपीलैड कार्यों का मूल्यांकन, तीसरे पक्ष के द्वारा करवाया है। मूल्यांकन रिपोर्ट में एमपीलैड को जारी रखने की सिफारिश की गयी है। बयान के मुताबिक इस योजना की शुरुआत से लेकर अब तक कुल 19.86 लाख से ज्यादा कार्य, परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं जिन पर 54171.09 करोड़ रुपये की वित्तीय लागत आई है।

(साभार – न्यूज 18 डॉट कॉम)

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