दुर्गोत्सव 2021: सन्तोष मित्रा स्क्वायर में दिखेगी लक्ष्मी नारायण मंदिर की झलक

कोलकाता : इतिहास और बऊबाजार का एक गहरा रिश्ता है। जब हम दुर्गापूजा परिक्रमा पर निकले तो यहाँ की गलियों से गुजरते रहे। माँ दुर्गा के आगमन का उल्लास हर तरफ नजर आ रहा है। दुर्गापूजा कमेटियों के सदस्य बेहद व्यस्त हैं। जो सड़कें और गलियाँ खाली दिख रही हैं, वह गुलजार होने जा रही हैं। यह सही है कि कोरोना का भय है मगर बात जब 2020 की करें तो 2021 कहीं बेहतर होता नजर आ रहा है। थीम के रूप में भी कोरोना इस बार भी दुर्गा पूजा आयोजकों की पसन्द है। कुछ पंडाल तो दूर से ही कोरोना के प्रति सजग हैं और जागरुकता लाने में जुटे हैं। शुभजिता दुर्गोत्सव में आज हम आपको नींबूतला के दो मंडप दिखाने जा रहे हैं और आज का फोकस है सन्तोष मित्रा स्क्वायर सार्वजनीन दुर्गोत्सव समिति। अलग – अलग थीम पर बने इस पूजा के मंडप कोलकाता ही नहीं बल्कि कोलकाता के बाहर भी लोगों को लुभाते रहे हैं। इस साल संतोष मित्रा स्क्वायर में दुर्गा पूजा आयोजन के 86 साल पूरे हो रहे हैं। सन्तोष मित्रा स्क्वायर सार्वजनीन दुर्गोत्सव समिति अपनी बेहतरीन थीम पूजा के लिए विशेष स्थान रखती है। यह पूजा 1936 में स्थापित हुई थी और कोलकाता के बेहतरीन दुर्गा पूजा मंडपों में इस दुर्गोत्सव का विशेष स्थान है।सन्तोष मित्रा स्क्वायर यानी नींबूतला दुर्गापूजा के माध्यम से आप कोलकाता में बैठे – बैठे राजस्थान के जयपुर का भव्य लक्ष्मी नारायण मंदिर देख सकते हैं। इस मंदिर की प्रतिकृति ही होगा सन्तोष मित्रा स्क्वायर का दुर्गा पूजा मंडप। इस दुर्गोत्सव समिति के अध्यक्ष कांग्रेस नेता प्रदीप घोष हैं। इस दुर्गापूजा की विशेषता यह है कि आपको थीम अलग – अलग दिखेगी मगर प्रतिमा पारम्परिक बांग्ला साज वाली ही होती है और इस बार भी प्रतिमा मिंटू पाल ने बनायी है। प्रतिमा में माँ की सज्जा साबेकीयाना होगी। यहाँ हर पंडाल के बार मेला भी लगता है जो कोरोना के कारण इस साल नहीं हो रहा है।

सन्तोष मित्रा स्क्वायर सार्वजनीन दुर्गोत्सव समिति के महासचिव नवकुमार हाइप ने बताया कि पूजा के अतिरिक्त यह दुर्गापूजा समिति काफी सामाजिक कार्य करती है। ठाकुरपुकुर कैंसर अस्पताल में समिति की तरफ से 2 निःशुल्क बेड उपलब्ध करवाये गये हैं। क्रांतिकारी सन्तोष मित्र के नाम पर इस समिति का नाम रखा गया है। कमेटी ने यहाँ स्थित 100 साल पुराने शिक्षण संस्थान का पुनरुद्धार करवाया है। पास ही की चटर्जी बाड़ी में पहली बार यह पूजा स्थापित हुई। पूजा से ज्ञान प्रकाश घोष, चारू प्रकाश घोष, मृंगाक मोहन सूर, रायचंद बड़ाल, आलोक कुमार दे समेत कई हस्तियाँ इस पूजा से जुड़ी रही हैं। 1993 में पहली बार थीम पूजा की शुरुआत यहाँ से हुई। यहाँ कई कलाकार निःशुल्क प्रस्तुति देते हैं।
कोरोना को लेकर यह दुर्गापूजा समिति काफी सक्रिय है। सैनेटाइजर और मास्क की व्यवस्था करने के साथ ही लोगों को सजग भी किया जा रहा है। आयोजक चाहते हैं कि भीड़ एकत्रित न हो.यानी पूजा देखिए मगर सेल्फी या तस्वीरों के लिए अधिक देर तक खड़े न रहिए।

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