‘देवी आराधना’ में दिखे महिला सशक्तीकरण के अनूठे रंग

भारत सरकार संस्कृति मंत्रालय और कोलकाता अनुभव का साझा आयोजन

कोलकाता : भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और कोलकाता अनुभव के तत्वावधान में सांस्कृतिक आयोजन हुआ जिसमें नृत्य, संगीत, नृत्य, नाटिका, मूक अभिनय, गीत आदि के द्वारा माँ दुर्गा की आराधना ‘देवी द सेलिब्रेशन ऑफ विमेनवुड ‘की गई। कार्यक्रम का उद्घाटन किया पश्चिम बंगाल स्टेट अकादमी ऑफ डांस ड्रामा म्युजिक और विजुअल आर्ट्स कोलकाता की मेंबर सेक्रेटरी डॉ. हेमंती चट्टोपाध्याय ने। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में संस्कृति ही मानवता को बचा कर रख सकती है और कोलकाता अनुभव के सभी सदस्यों को हार्दिक बधाई दी। प्रधान अतिथि एवं उपस्थित विशिष्ट अतिथि गणों  ध्रुव मित्र, नौशाद मल्लिक, प्रो तारक सेनगुप्तु, अभिजीत साँतरा, डॉ देवांशु दास ने वक्तव्य रखे। श्री नौशाद मल्लिक ने कविता पाठ भी किया।उद्घाटन के आरंभ में माधुर्य भाव से पूर्ण नृत्य प्रस्तुति ‘कोलकाता अनुभव’ की कलाकार छात्रा आयुष्मी साँतरा ने किया। कार्यक्रम के प्रथम चरण में सभी अतिथियों का स्वागत किया गया।
कार्यक्रम के द्वितीय चरण में सांस्कृतिक कार्यक्रम में थीम ‘देवी द सेलेब्रेशन ऑफ विमनवुड ‘ के अंतर्गत कई नृत्य, संगीत की प्रस्तुति दी गयी। इसका संचालन ओडिसी के प्रख्यात गुरु केलुचरण महापात्र और गुरु पौषाली मुखोपाध्याय की शिष्या प्रसिद्ध ओडिशी नृत्यांगना विजया दत्त और राजीव दत्त, जिनके गुरु केलुचरण महापात्र और गुरु रथिकांत महापात्र ने किया। विषय भावना, चित्र नाट्य आदि के संकलनकर्ता श्रीमती कृष्णा दत्त सुमना घोष दोस्तिदार पवित्र कुमार घोष, देवयानी सेनगुप्तु और विजया दत्त ने किया। कोलकाता अनुभव की संस्थापक विजया दत्त और राजीव भट्टाचार्य ने अपने युगल नृत्य मनमोहक और गूढ़ रहस्यों से पूर्ण माँ गूढ़ सौन्दर्य को नृत्य भंगिमाओं द्वारा मनोहर और ताल लय संगीत के सौन्दर्य तत्वों द्वारा उजागर किया गया जो बहुत ही पसंद किया गया। कोलकाता अनुभव की संस्थापक और प्रख्यात कलाकार कृष्णा दत्त द्वारा परिचालित ‘नारी, शक्ति का उत्स’ एक नाटिका प्रस्तुत की जिसमें समाज की नारी के प्रति वास्तविकता और पाशविकता पूर्ण स्थितियों को अपनी भाव भंगिमाओं और स्वरों की ध्वन्यात्मक उतार चढाव द्वारा सशक्त प्रस्तुति दी। जिसमें आयुष्मि साँतरा और मास्टर उद्भव दास ने भी भाग लिया। मुख्य चरित्र अभिनेत्री कृष्णा दत्त के संवादों, संलापों की भंगिमाएँ, सटीक स्वर निक्षेप, संवेदनाओं का ताल लय का सावलील से भरे स्पर्श ने अपने सर्वश्रेष्ठ अभिनय का परिचय दिया। नाटक के पश्चात ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की मूक प्रस्तुति की गई जिसका रूपायन सदीप भट्टाचार्य ने किया। संजीव घोष द्वारा समूह गीत प्रस्तुति किया गया।
नृत्यांगना प्रो मीनाक्षी चतुर्वेदी द्वारा देवी थीम पर आधारित
देवी दुर्गा के सभी रूपों को भाव पूर्ण ताल लय के साथ बेहतरीन हृदयग्राही नृत्य प्रस्तुति दी जिसे दर्शकों ने बहुत पसंद किया।नृत्य के बाद एक सुन्दर मूक अभिनय वैद्यनाथ चक्रवर्ती, जित चक्रवर्ती और सुजय राय द्वारा एवं दूसरा मूक अभिनय किया रतन चक्रवर्ती ने, एकल अभिनय मूक अभिनय किया सायन दत्त ने। वहीं शिवप्रिया सेनगुप्त ने एक आवृत्ति और दो असाधारण मूक अभिनय किया जिसमें मूक और बधिर सदस्य दिलीप भट्टाचार्य और निर्वाक शांतिपुर के रूपायन चौधरी के छात्र छात्राओं ने किया। तनुश्री मित्र ने गायन और विष्णु दास के नृत्य ने सभी दर्शकों का मन मोह लिया वहीं प्रसिद्ध टेलीफिल्म परिचालक नौशाद मल्लिक ने कोलकाता के धर्मतल्ला पर स्वरचित कविता पाठ किया। कार्यक्रम के अंत में सविता घोष और शिला चट्टोपाध्याय के द्वारा किया गया’ घैंटे घ ‘नाटक ने दर्शकों को मुग्ध कर दिया। पंचानन दालाल ने सिन्थेसाइजर बजाया। स्त्री विषयक विभिन्न विषयों पर कला के माध्यम से संयोजन किया कृष्णा दत्त और विजया दत्त ने।विजया दत्त ने अपने पिता प्रसिद्ध कलाकार पीलू भट्टाचार्य को कविता के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम का संचालन किया सुदीप्त राय ने और कार्यक्रम की जानकारी दी डॉ. वसुंधरा मिश्र ने ।

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