दो बहनें

अंकिता साव

बहुत समय पहले एक गांव था उसमें एक अविनाश नाम का एक आदमी भी रहता था उसकी शादी रिधिमा नाम की लड़की से हुई थी। कुछ साल बाद उनको जुड़वा बेटियां हुई उन्होंने एक का नाम जानवी और दूसरे का नाम मानवी रखा । बड़े होने के बाद उन दोनों का स्वभाव एक दूसरे से बिल्कुल अलग था जानवी एक सीधी-सादी लड़की थी । उसका स्वभाव सबके साथ अच्छा रहता था पर मानवी का स्वभाव सबके साथ बुरा रहता वह हमेशा सबके साथ चिड़चिड़ेपन से व्यवहार करती थी । यह बात उसके माता-पिता को अच्छी नहीं लगती थी उन्होंने उसको कई बार समझाया पर मानवी के कानों पर जूं नहीं रेंगती । वह सोचती थी कि उसके माता पिता जानवी से अधिक प्यार करते हैं । एक दिन रिद्धिमा उन दोनों के लिए कपड़े खरीद लायी । उसने जानवी को लाल रंग का एक सूट दिया और मानवी को नीले रंग का सूट दिया पर मानवी को जानवी का कपड़ा अच्छा लगा और उसने इस पर अपनी मां से कहा ” आप हमेशा जानवी को अच्छी चीजें देती और मुझे बेकार सी चीज देती है”। इस पर जानवी ने कहा कि ” नहीं ऐसा मत करो, वह मां है वह कभी ऐसा नहीं कर सकती ।अगर तुम्हें यह अच्छा लगा तुम यह ले लो पर ऐसा मत कहो”। इस पर फिर से मानवी ने कहा “तुम चुप रहो मैंने तुमसे बात नहीं की है” फिर इस पर रिधिमा कहती है ” तुम दोनों अपना यह झगड़ा बंद करो और अपने कमरे में जाओ”। अगले दिन उनके विश्वविद्यालय मे एक सूचना पत्र लगा रहता है जिसमें लिखा रहता है कि विश्वविद्यालय की तरफ से सभी छात्रों को दार्जिलिंग का ले जाया जाएगा । इसे देखकर वह दोनों अत्यंत खुश थी। अगले दिन वह दोनों दार्जिलिंग जाने के लिए अपना सामान बांध रही थी पर मानवी जानवी से पहले घर से निकल जाती है और विश्वविद्यालय जल्दी पहुंच जाती है थोड़ी देर बाद जानवी भी वहां पहुंच जाती है। फिर वह दोनों दार्जिलिंग के लिए निकल जाती है कुछ घंटों बाद वह लोग दार्जिलिंग पहुंच जाते हैं और सभी अपना तंबू लगाते हैं फिर आराम करने के लिए चले जाते हैं। थोड़ी देर बाद जानवी दार्जिलिंग घूमने के लिए निकलती है मानवी उसके पीछे यह सोच कर जाती है कि वह जानवी को पहाड़ों से धक्का दे देगी वहां पर बहुत ही फिसलन थी जिसकी वजह से वह फिसल कर गिर जाती है और एक पेड़ की डाल पर लटक जाती है। फिर वह जोर जोर से चिल्लाती है बचाओ बचाओ यहां कोई है तभी जानवी आती है उसे ऊपर की तरफ से लेकर आती है मानवी ऊपर आकर उससे अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगती है और कहती है कि तुम इतनी अच्छी और मुझे क्यों बचाया । इस पर जानवी कहती है कि तुम मेरी बहन हो और तुम्हें बचाना मेरा फर्ज है इस पर मानवी उसे अपने गले लगाकर फिर से क्षमा मांगती है फिर कुछ दिनों बाद वह दोनों दार्जिलिंग घूमकर अपने घर के लिए निकलते हैं ।दोनों अपने घर खुशी-खुशी जाते हैं यह देखकर उनके माता-पिता भी खुश हो जाते हैं।

शिक्षा- हमें किसी से भी इतनी नफरत नहीं करनी चाहिए कि जिसकी वजह से हमें उसके सामने शर्मिंदा होना पड़े।

कक्षा -६ वर्ग – अ
विद्यालय – सेठ सूरजमल जालान बालिका विद्यालय

शुभजिता

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