निर्देश: तीन साल से ज्यादा बैंक की एक शाखा में नहीं रहेंगे अधिकारी

बैंकों द्वारा भेजे गए अधिकारियों के नियमित आवर्तन (रोटेशन) के निर्देश में कहा गया है कि सीवीसी के निर्देशों के मुताबिक हरेक अधिकारी का प्रत्येक तीन वर्ष में रोटेशन होना चाहिए। ऐसे में बैंक स्थानांतरण के नियमों के मुताबिक कोई भी अधिकारी एक पद पर तीन साल से ज्यादा एक शाखा में नहीं रहना चाहिए। यानी हरेक अधिकारी का स्थानांतरण तीन साल में अनिवार्य तौर पर होगा। क्लर्क समेत अन्य स्टाफ की सेवाएं भी पांच वर्ष से अधिक एक ब्रांच में नहीं होनी चाहिए। विभिन्न बैंकों द्वारा यह निर्देश सभी महाप्रबंधकों, उप महाप्रबंधकों, क्षेत्रीय प्रबंधक , उप क्षेत्रीय प्रबंधक और प्रबंधकों को भेजे गए हैं।
‘हिन्दुस्तान’ को मिले बैंक ऑफ इंडिया के निर्देश पत्र में उन अधिकारियों की सूची को भी संलग्न किया गया है, जो अधिकारी एक ही बैंक कार्यालय में तीन साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं।

सीवीसी ने 31 दिसंबर 2017 को दिए थे निर्देश  
सीवीसी ने 31 दिसंबर 2017 में बैंकों के अधिकारियों के रोटेशन के संबंध में दिशा-निर्देश जारी किए थे। इनमें कहा गया था कि 31 दिसंबर की तारीख से तीन साल पूरा करने वाले सभी अधिकारियों का सार्वजनिक बैंक अन्यत्र कहीं स्थानांतरित करें। अन्य स्टाफ को भी पांच साल पूरा होते ही स्थानांतरित किया जाए। बैंकों को यह दिशा-निर्देश जारी कर सीवीसी ने उसे तत्काल सूचित करने को भी कहा था। हालांकि वित्त मंत्रालय के सूत्रों की माने बैंकों की ओर से अब तक सीवीसी को इस बारे में सूचित नहीं किया गया।

अधिकारी कर रहे हीलाहवाली 
एक अधिकारी के मुताबिक सार्वजनिक बैंकों के शीर्ष अधिकारी इस तरह के निर्देशों पर लचर रवैया अपनाते हैं। इसलिए उनका अनुपालन नहीं हो पाता है। माना जा रहा है कि बैंकों के शीर्ष अधिकारियों से जब सीवीसी के दिशा-निर्देशों के अनुपालन के बारे में मंत्रालय द्वारा पूछा गया तो इक्का-दुक्का को छोड़कर सभी की ओर से निराशाजनक जवाब दिया।

सीवीसी सख्त
अधिकारियों के निराशाजनक जवाब के बाद सीवीसी के दिशा-निर्देशों का अनुपालन सख्ती से किए जाने को कहा गया। इसके बाद ही बैंक प्रबंधनों ने तीन साल में अनिवार्य रोटेशन के संबंध में निर्देश जारी किए।

साखपत्रों पर रिपोर्ट तलब 
मंत्रालय की ओर से एलओयू और एलओसी के संबंधित दस्तावेज भी सार्वजनिक बैंकों से तलब किए गए हैं। दरअसल सरकार यह जानने का प्रयास कर रही है कि पीएनबी की तरह अन्य बैंकों में भी कहीं इस तरह के हजारों करोड़ के घोटाले तो नहीं हुए हैं। हालांकि, अभी तक ऐसा अन्य कोई मामला सामने नहीं आया है।

दिव्यांगों को छोड़ सभी पर सख्ती बरतें : अश्वनी 
नई दिल्ली। नेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर के उपाध्यक्ष अश्वनी राणा ने कहा कि अधिकारियों के तीन साल के अनिवार्य स्थानांतरण के मामले में दिव्यांगजनों का ख्याल रखा जाए। उनके स्थानांतरण में नरमी बरती जाए, ताकि वह सुचारु अपना काम कर सकें। शेष अधिकारियों के लिए सीवीसी के दिशा-निर्देशों का सख्ती से अनुपालन कराया जाए। जबकि स्टाफ का पांच साल में अनिवार्य स्थानांतरण के निर्देश का सख्ती से पालन कराया जाए।

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