मध्य प्रदेश की लहरी बाई को मिलेट्स एंबेसडर घोषित

डिंडोरी । मध्य प्रदेश के आदिवासी जिला डिंडोरी की रहने वाली आदिवासी महिला लहरी बाई को मिलेट्स एंबेसडर घोषित किया गया है। यूनेस्को ने 2023 को ईयर ऑफ मिलेट्स घोषित किया है। इस लिहाज से लहरी बाई की यह उपलब्धि बेहद खास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उनकी तारीफ की है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि लहरी बाई ने श्रीअन्न के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया है। उनके प्रयासों से दूसरों को भी प्रेरणा मिलेगी।
बैगा जनजाति की लहरी बाई ने बेवर बीज बैंक तैयार किया है। खास बात यह है कि उन्होंने अपने दम पर यह बीज बैंक तैयार किया है। उन्होंने इसके लिए कोई सरकारी मदद नहीं ली है। इसके लिए डिंडोरी के कलेक्टर ने उन्हें जिले का ब्रांड एमबेसडर घोषित किया है। इस साल गणतंत्र दिवस के मौके पर कलेक्टर विकास मिश्रा के साथ लहरी बाई ने भी झंडोत्तोलन किया था। कलेक्टर ने लहरी बाई की फोटो कलेक्ट्रेट के सभागार कक्ष में लगवाया है।लहरी बाई डिंडोरी जिला के बजाग जनपद क्षेत्र अंतर्गत ग्राम सिलपिढी की रहने वाली हैं। वे बताती हैं कि उन्हें बचपन से ही उन्हें उनके पूर्वजों से बेवर खेती करना और उसके बीज को सहेजने की जानकारी मिली है। बेवर बीज की खेती से उत्पन्न होने वाले पौष्टिक अनाज को खाने से शरीर पुष्ट रहता है और आयु भी लंबी होती है। इसके चलते लहरी बाई ने अपने खेत में धान और कोदो की फसल के साथ-साथ सामुदायिक अधिकार वाले जंगल की जमीन में पारंपरिक खेती में इस्तेमाल करने वाले बीजों को सहेजने का काम किया है।लहरी बाई के घर में मिट्टी की जुड़ाई और खपरों से बने तीन कमरे हैं। एक कमरे में उनका परिवार रहता है। दूसरे में घर के अन्य सामान और तीसरे में सामुदायिक बेवर बीज बैंक है जिसमें 150 से ज्यादा वैरायटी के बीज उपलब्ध हैं। इसके लिए लहरी बाई ने बड़ी-बड़ी मिट्टी की कोठी भी बनाई है ताकि उसे सुरक्षित लंबे समय के लिए सुरक्षित रखा जा सके।
लहरी बाई के पास ये बीज मौजूद
उनके बीज बैंक में कांग की चार प्रजाति- भुरसा कांग, सफेद कलकी कांग, लाल कलकी कांग और करिया कलकी कांग मौजूद है। सलहार की तीन प्रजातियां बैगा सलहार, काटा सलहार और ऐंठी सलहार, कोदो की चार प्रजातियां- बड़े कोदो, लदरी कोदो, बहेरी कोदो और छोटी कोदो, मढिया की चार प्रजाति- चावर मढिया, लाल मढिया, गोद पारी मढिया और मरामुठ मढिया, साभा की तीन प्रजाति- भालू सांभा, कुशवा सांभा और छिदरी सांभा, कुटकी की आठ प्रजातियां- बड़े डोंगर कुटकी, सफेद डोंगर कुटकी, लाल डोंगर कुटकी, चार कुटकी, बिरनी कुटकी, सिताही कुटकी, नान बाई कुटकी, नागदावन कुटकी, छोटाही कुटकी, भदेली कुटकी और सिकिया बीज उपलब्ध है। इसके अलावा दलहनी फसल – बिदरी रवास, झुंझुरु, सुतरू, हिरवा और बैगा राहड़ के बीज भी लहरी बाई के पास मौजूद हैं।
बैगा ग्रामीणों में जगा रही पारम्परिक खेती की अलख
लहरी बाई पारंपरिक खेती को बचाने और इसे बढ़ावा देने के उद्देश्य से अब तक 350 से ज्यादा किसानों को बीज बैंक के जरिये बीज वितरित कर चुकी हैं। लहरी बाई ने तीन विकासखंडों समनापुर, बजाग और करंजिया के ग्रामों में बेवर बीज वितरित किये हैं। इनमें किवाड़, चपवार, गौरा, ढाबा, जीलंग, अजगर, लमोठा, धुरकुटा का जामुन, टोला, कांदावानी, तातर, सिलपीढ़ी, डबरा, ठाड़पथरा,पांडपुर, लिमहा, दोमोहनी, केन्द्रा, लदरा, पीपरपानी, बर्थना, कांदाटोला, सैला ग्राम शामिल हैं। लहरी गांव-गांव जाकर बीज बांटती हैं और फसल पैदा होने पर बीज की मात्रा के बराबर वापस ले लेती हैं।
माता पिता की सेवा के लिए नहीं की शादी
लहरीबाई की मां चेती बाई का कहना है कि उनकी बेटी लहरी उनकी बहुत सेवा करती है। साथ ही खेती किसानी कर भरण पोषण के लिए अनाज इकट्ठा करती है। चेती बाई ने बताया कि लहरी बाई समेत उनके 11 बच्चे थे। इनमें पांच बेटे और छह बेटियां थीं, लेकिन धीरे धीरे कर नौ बच्चों की मौत हो गई। अब लहरी और एक अन्य बेटी ही बची है जिसकी शादी हो चुकी है। अपने बूढ़े मां बाप की सेवा करने क लिए लहरी बाई ने शादी नहीं की है।

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