युवा मन की चाह

-नेहा जायसवाल

है ज़िद
है ज़िद, है ज़िद
कुछ करने की, कुछ बनने की।
है ज़िद, है ज़िद
उन उम्मीदों पर खरा उतरने की।।
है ज़िद, है ज़िद
आसमान को छूने की ।
है ज़िद, है ज़िद
उसकी असीमता को पहचानने की।।
है ज़िद, है ज़िद
जल बनने की, स्थल बनने की ।
है ज़िद,है ज़िद
जल के समान रंगहीन बनने की
स्थल के समान सुपथ प्रदर्शक बनने की ।।
है ज़िद,है ज़िद
समस्त इच्छाओं को पूर्ण करने की।
है ज़िद,है ज़िद
उन इच्छाओं को सीमित रखने की ।।

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रोज़गार की चाहत

खाली कंधों पर थोड़ा सा भार चाहिए, बेरोजगार हूं साहब रोजगार चाहिए।

जेब में पैसे नहीं है डिग्री लिए फिरती हूं,
दिनोदिन अपनी ही नजरों में गिरती हूं।
कामयाबी के घर में खुले किवाड़ चाहिए, बेरोजगार हूं साहब मुझे रोजगार चाहिए।।

प्रतिभा की कमी नहीं है भारत की सड़कों पर ,
दुनिया बदल देंगे भरोसा करो इन युवतियों पर।
लिखते-लिखते मेरी कलम तक घिस गई,
नौकरी कैसे मिले जब नौकरी ही बिक गई।
नौकरी की प्रक्रिया में अब सुधार चाहिए,
बेरोजगार हूं साहब मुझे रोजगार चाहिए।।

दिन रात करके मेहनत बहुत करती हूं,
सूखी रोटी खाकर ही चैन से पेट भरती हूं।
भ्रष्टाचार से लोग खूब नौकरी पा रहे हैं,
रिश्वत की कमाई खूब मजे में खा रहे हैं।
नौकरी पाने के लिए यहां जुगाड़ चाहिए,
बेरोजगार हूं साहब मुझे रोजगार चाहिए।।

शुभजिता

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