वाहन विनिर्माण क्षेत्र में भी अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं महिलाएं

कई कम्पनियां दे रही हैं प्रोत्साहन
नयी दिल्ली । पुरुषों के वर्चस्व वाले वाहन विनिर्माण के क्षेत्र में अब महिलाएं भी अपनी प्रतिभा दिखा रही हैं और इसमें उनकी मदद कर रही हैं देश की प्रमुख वाहन कंपनियां। दरअसल टाटा मोटर्स, एमजी मोटर, हीरो मोटोकॉर्प और बजाज ऑटो अपने विनिर्माण संयंत्रों में लैंगिक विविधता की ओर तेजी से बढ़ रही हैं।
भारत में टाटा मोटर्स के छह संयंत्रों में शॉप फ्लोर में 3,000 से अधिक महिलाएं उत्पादन के क्षेत्र में विभिन्न भूमिकाओं में काम कर रही हैं। वे छोटे यात्री वाहनों से लेकर भारी वाणिज्यिक वाहनों तक के उत्पादन के लिए काम कर रही हैं। कंपनी की अपने कारखानों में और महिलाओं को शामिल करने की योजना है।
वहीं, एमजी मोटर इंडिया की दिसंबर, 2023 तक लैंगिक रूप से संतुलित कार्यबल बनाने की योजना है जहां उसके कुल कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत हो। कम्पनी के गुजरात के हलोल संयंत्र में कारखाने में काम करने वाले 2,000 लोगों में से 34 फीसदी महिलाएं हैं।
हीरो मोटोकॉर्प में 2021-22 के अंत तक 1,500 महिला कर्मचारी काम कर रही थीं और निकट भविष्य में इनकी संख्या और बढ़ाने की योजना है।
बजाज ऑटो के पुणे स्थित चाकन संयंत्र में डोमिनार 400 और पल्सर आरएस 200 जैसी महंगी बाइकों का विनिर्माण का जिम्मा पूरी तरह से महिलाओं के हाथों में है। यहां 2013-14 की तुलना में 2021-22 में महिला कर्मियों की संख्या 148 से चार गुना बढ़कर 667 हो गई है।
कम्पनी की 2021-22 की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि विनिर्माण संयंत्रों और इंजीनियरिंग में काम करने वाले कर्मियों में करीब 64 महिलाएं हैं। टाटा मोटर्स के अध्यक्ष एवं मुख्य मानव संसाधन अधिकारी रवींद्र कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘कंपनियों ने महिलाओं को अहम पदों पर लाने के लिए व्यापक रूपरेखा बनाई है लेकिन आंकड़े बताते हैं कि आदर्श स्थिति और वास्तविकता में बड़ा अंतर है। इसी अंतर को पाटने के लिए टाटा मोटर्स अपने तरीके से प्रयास कर रही है।’’
बीते दो साल में कम्पनी के पुणे में यात्री वाहन संयंत्र में महिलाओं की संख्या करीब 10 गुना बढ़ी है। इस कारखाने में अप्रैल, 2020 में 178 महिला कर्मी थीं जो अब बढ़कर 1,600 हो गई है। एमजी मोटर इंडिया में निदेशक-एचआर यशविंदर पटियाल ने कहा, ‘‘हमारा प्रयास है 50:50 का अनुपात हासिल करना।’’

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