” ‘साहित्यिकी’ द्वारा होली प्रीति मिलन समारोह “

कोलकाता । ‘साहित्यिकी’ की ओर से होली प्रीति मिलन संगोष्ठी ‘ जनसंसार ‘ के सभाकक्ष में आयोजित की गई । कार्यक्रम का आरंभ मंजु रानी गुप्ता के स्वागत संभाषण से हुआ। उन्होंने कहा कि होली की धूम समाप्त हो गई है किन्तु फागुनी बयार अभी भी हृदय के तारों को झंकृत कर रही है।
कार्यक्रम का संचालन संस्था की वरिष्ठ सदस्या दुर्गा व्यास ने कवि पद्माकर की चंद पंक्तियों से किया। उन्होंने अपने वक्तव्य में स्पष्ट किया कि हमारी लोक-संस्कृति त्योहारों से ही जीवित है। त्योहार सौहार्द्र ,प्रेम और एकता को बढ़ावा देते हैं । रेखा ड्रोलिया ने रचना पाठ करते हुए राधा-कृष्ण की प्रेमाभिव्यक्ति को शब्द दिया। वसुंधरा मिश्रा ने ‘होली आई’ गीत में कान्हा-राधा के प्रेम को मधुर कंठ से गीतबद्ध किया। श्रद्धा टिबड़ेवाल ने काव्य पाठ किया और सविता पोद्दार ने ‘ बसंत ओ बसंत घर मेरे आना ‘ काव्य पाठ कर बसंत की प्रतीक्षा की। गीता दूबे ने अपने वक्तव्य में कहा कि होली मन की अर्गलाओं को खोलने का त्योहार है।, सामूहिकता का उत्सव है। उन्होंने अवधी लोकगीत का मधुर गायन किया। सरिता बैंगानी ने राधा-कृष्ण की प्यार- मनुहार भरी होली पर गीत प्रस्तुत किया । मंजु गुटगुटिया ने राजस्थानी लोकगीत गाया तथा विद्या भंडारी ने लज्जाशील स्त्री की प्रेमाभिव्यक्ति, लोकगीत के माध्यम से की । मंजु रानी गुप्ता ने स्वरचित रचना ‘फागुनी बयार’ द्वारा प्रकृति सौंन्दर्य को जीवंत कर दिया। मीतू कनोड़िया ने अपने काव्य पाठ में प्रेम रंग को सबसे मधुर बताया।
जहाँ रजनी शर्मा ने राधा-रुक्मिणी के साथ कृष्ण की प्रेमरस पगी होली का चित्रण किया, वहीं संगीता चौधरी ने स्वप्न में श्याम संग होली खेलने का दृश्य, मधुर गीत में प्रस्तुत किया । चंदा सिंह ने हनुमान संग श्री राम की होली खेलने का सचित्र काव्य पाठ प्रस्तुत किया।
रेणु गौरीसरिया ने केदारनाथ अग्रवाल की सुप्रसिद्ध रचना ‘बसंती हवा’ का तथा सुषमा हंस ने कविता तिवारी की रचना ‘आज़ादी का क्या मतलब है ‘ काव्य- पाठ किया ।
विद्या भंडारी ने धन्यवाद ज्ञापन करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि पर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं और ये प्रेम व एकता का प्रसार करते हैं । हास-परिहास, लोकगीतों व काव्यपाठ जैसे विविध रंगों से कार्यक्रम सफल व सार्थक रहा। कार्यक्रम के आरंभ में पद्मश्री से सम्मानित डॉ कृष्ण बिहारी मिश्र जी के निधन पर एक मिनट का मौन रखा गया।

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