साहित्यिकी ने मन्नू भंडारी पर आयोजित की वर्चुअल संगोष्ठी

 कोलकाता । कोलकाता की प्रसिद्ध संस्था साहित्यिकी के तत्वावधान में गत 20 अप्रैल को जूम पर लब्धप्रतिष्ठित साहित्यकार मन्नू भंडारी पर एक वर्चुअल संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संस्था की सचिव श्रीमती मंजूरानी गुप्ता ने अतिथियों और सदस्यों का स्वागत करते हुए मन्नू जी का संक्षिप्त परिचय दिया। गोष्ठी के प्रारंभ में पूनम पाठक ने मन्नू जी की रोचक कहानी “सयानी बुआ” का प्रभावशाली पाठ किया। मन्नू जी की छात्रा रह चुकीं रेणु गौरीसरिया ने मन्नू जी के साथ जुड़े अपने विद्यार्थी जीवन के खुशनुमा अनुभवों को सबके साथ साझा करते हुए मन्नू जी के व्यक्तित्व को साकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वे हम सब छात्राओं की अत्यंत प्रिय शिक्षिका थीं। उनके व्यक्तित्व में कहीं कोई बनावट नहीं थी। भीतर बाहर एक सी थीं और छात्राओं को पढ़ने के लिए प्रेरित करती रहती थीं।

अतिथि वक्ता प्रख्यात कवि -कथाकार सुधा अरोड़ा ने मन्नू जी के दिल्ली स्थित घर से इस संगोष्ठी में भाग लिया और मन्नू जी की पुस्तकें, तस्वीरें आदि सबको दिखाईं। उन्होंने कहा कि मन्नू जी तमाम स्त्री लेखिकाओं में निसंदेह सबसे चर्चित लेखिका हैं। उनकी कहानियां ठीक प्रेमचंद की कहानियों की तरह पाठकों के मन पर अपनी गहरी छाप छोड़ जाती हैं। बेहद सरल- सहज और चित्रात्मक भाषा में वह लिखती थीं। शायद इसीलिए फिल्म निर्देशकों को उनकी कहानियाँ बहुत पसंद आती थीं। बहुत बार अहिंदी भाषी पाठक भी अपने बच्चों के स्कूल की किताबों में “दो कलाकार”, “अकेली” जैसी  उनकी एक आध कहानी पढ़कर अन्यान्य कहानियों को पढ़ने के लिए उत्सुक हो उठते हैं। सुधा जी ने कुछ संस्मरणों के हवाले से बताया कि उनके व्यक्तित्व में जितनी सहजता थी उतनी ही दृढ़ता भी थी। अपनी कहानियों की तरह वह अपनी जिंदगी में बहुत बेबाक थीं। उनके उपन्यास वह चाहे “आपका बंटी” हो या “महाभोज” अपने समय के बहुत पहले की रचनाएं हैं और “एक इंच मुस्कान” भी एक माइलस्टोन होता अगर राजेंद्र जी उसमें दखल नहीं देते।

अध्यक्षीय वक्तव्य में कवयित्री विद्या भंडारी ने मन्नू जी की कहानियों के हवाले से कहा कि उनमें नारी के कई रूप चित्रित हुए हैं। उन्होंने स्त्री को स्त्री की निगाह से देखने का प्रयास किया है। विद्या जी ने तमाम श्रोताओं एवं वक्ताओं समेत सुधा जी को विशेष धन्यवाद दिया कि उन्होंने अपने अंतरंग संस्मरणों से श्रोताओं को मोह लिया। संवाद सत्र में रेवा जाजोदिया, कुसुम जैन, वाणी मुरारका, रचना पांडेय आदि ने अपने सवालों से कार्यक्रम को रोचक बनाया। इस आयोजन में सदस्यों के अलावा शुभ्रा उपाध्याय, प्रियंका सिंह, सुनीता मेहरा आदि अतिथियों ने भी शिरकत की। संगोष्ठी का तकनीकी मोर्चा अत्यंत कुशलतापूर्वक सँभाला नूपुर अशोक ने और संचालन गीता दूबे ने किया।

शुभजिता

शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।