स्वास्थ्य और त्वचा के लिए फायदेमंद है योग

जानिए शहनाज हुसैन के हेल्थ टिप्स

यदि आप अपने शरीर को डिटॉक्सीफाई करना चाहते हैं , अपनी माँस पेशियों को मजबूत बनाना चाहते हैं तथा जिन्दगी के रोजमर्रा के तनाव से मुक्ति चाहते है तो आप केवल योग और प्राणायाम कीजिये। योग से चेहरे पर असली आभा का निखार आता है और आपकी रंगत भी निखार आती है तथा आपका चेहरा के कारण आपका व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक और मनमोहक दिखता हैं।

रोज सुबह प्राणायाम , अनुलोम विलोम ,शीर्षाशन ,मत्स्य आसान से शरीर से विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं, जिससे शरीर की पाचन प्रणाली सामान्य हो जाती है और रक्त का बहाव सही हो जाता है जिसके परिणाम स्वरुप त्वचा में खिंचाव आता है और झुर्रियां हट जाती हैं। आप सुन्दर और स्वस्थ दिखने लगते हैं ।

योग आसनों से आप गहरी नींद पा सकते हैं, कोर्टिसोल स्तर कम हो जाता है, कोलेजन में वृद्धि होती है जिससे आपकी स्वास प्रणाली मजबूत होती है, आपके जोड़ों को चिकनाहट मिलती है, आपकी मांस पेशियाँ मजबूत होती हैं। योग में सांस लेने बाली क्रियायों तथा शरीर के विभिन्न आसनों से हार्मोन्स सन्तुलित होते हैं तथा आंतड़ियों में जमा गन्दगी बाहर आ जाती है। जिससे आप हल्का और स्वस्थ महसूस करते हैं। इसे आंतरिक सौन्दर्य का नाम दिया जाता है।

शायद आप यह जानकर भी हैरान होंगे कि कोरोना से लड़ाई जीतने में योग महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है। वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है की अगर आप लगातार योग करते हैं तो आपकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है जो कि कोरोना से जंग में अहम भूमिका अदा कर सकती है तथा आपके स्वास्थ्य ,सेहत और तंदरुस्ती को बढ़ाता है। योग से प्रतिरोधक क्षमता में बढ़ावा निश्चित माना जाता है। इसके लगातार अभ्यास से सेहत , सौन्दर्य और प्रतिरोधक क्षमता को बल मिलता है।

अगर आप शारीरिक रूप से सुन्दर हैं तो आपका सौन्दर्य चेहरे पर स्वभाविक रूप से झलकेगा। कुछ योग आसनों के नियमित अभ्यास से आप प्राकृतिक सुन्दरता , दमकती त्वचा तथा शारीरिक आकर्षण ग्रहण कर सकते है। वास्तव में अगर आप योग साधना को अपने जीवन से जोड़ लें तो शरीर को स्वस्थ रखने के साथ ही प्राकृतिक तौर पर स्थाई रूप से सुन्दर तथा प्रभावशाली भी बनाया जा सकता है तथा महंगे सौन्दर्य प्रसाधनों ,ब्यूटी सैलूनों के महंगे उपचार तथा समय को बचाया जा सकता है।

भारतीय आयुर्वेदिक पद्धति योग के साधारण आसनों के जरिए आप स्थाई आन्तरिक तथा बाहरी सौन्दर्य से मुफ्त में हीआसानी से पा सकते है। प्रतिदिन महज आध घण्टा सुबह तथा शाम सूर्य नमस्कार, प्राणायाम, उत्थान आसन, कपालभाति, धनुरासन तथा सांसो की क्रिया के माध्यम से आप अपने यौवन, सौन्दर्य तथा प्राकृतिक आकर्षण को जीवनभर बनाऐ रख सकते है।

बालों तथा त्वचा के लिए फायदेमंद प्राणायाम

प्राणायाम से जहां तनाव कम होता है वहीं दूसरी ओर शरीर में प्राण वायु का प्रभावी संचार होता है तथा रक्त का प्रभाव बढ़ता है। प्राणायाम सही तरीके से सांस लेने की बेहतरीन अदा है। प्रतिदिन 10 मिनट तक प्राणायाम से मानव शरीर की प्राकृतिक क्लीजिंग हो जाती है।

प्राणायम के फायदे

प्राणायाम का आज पूरे विश्व में अनुसरण किया जाता है। प्राणायाम से मानव खोपड़ी में व्यापक आक्सीजन तथा रक्त संचार होता है। जिससे बालों की प्राकृतिक रूप से वृद्वि होती है तथा बालों का सफेद होना तथा झड़ने जैसी समस्या को रोकने में भी मदद मिलती है। योगा का मानसिक शारीरिक, भावनात्मक तथा मनोभाव पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है जिससे आत्मविश्वास बढ़ता है। योगा से आप आत्मिक तौर पर शान्त महसूस करते हैं। जिससे आपके बाहरी सौन्दर्य में भी निखार आता है।

आमतौर पर अनिद्रा, तनाव आदि में पैदा होने वाली कील, मुहांसे, काले धब्बों आदि की समस्याओं के स्थाई उपचार में योग महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। उत्थान आसन के लगातार उपयोग से आप कील, मुंहासे, काले धब्बों आदि की समस्याओं का स्थाई उपचार पा सकते है। कपालभाति से शरीर में कार्बन डाईक्साईड को हटाकर खून को साफ करने में मदद मिलती है। उससे शरीर में हल्कापन महसूस होता है।

धनुरासन करने के फायदे

धनुरासन से शरीर में रक्त का प्रभाव बढ़ता है तथा शरीर से विषैले पदार्थो को बाहर निकालने में मदद मिलती है इससे शरीर की त्वचा में प्राकृतिक चमक आती है तथा त्वचा की रंगत में निखार भी आता है।योग के लगातार अभ्यास से त्वचा तथा शरीर में यौवन को दीर्घ कालीन तौर पर बनाए रखने में मदद मिलती है। योगासन से रीढ़ की हड्डी तथा जोड़ों को लचकदार बनाकर रखा जा सकता है। जिससे शरीर लम्बे समय तक लचीला तथा आकर्षक बनता है, योग से शरीर के भार को कम करने में भी मदद मिलती है तथा इससे मांसपेशियां नरम तथा मुलायम हो जाती है। योग से थकान में भी मुक्ति मिलती है तथा शरीर में ऊर्जा का प्रभावी संचार होता है।

 

सूर्य नमस्कार आसन के फायदे

सूर्यानमस्कार आसन से पूरे शरीर में नवयौवन का संचार होता है। सूर्य नमस्कार से शरीर पर बढ़ती आयु के प्रभाव को रोका जा सकता है तथा यह चेहरे तथा शरीर पर बुढ़ापे की भाव मुद्राओं के प्रभाव को रोकने में मददगार साबित होता है।इससे नाड़ी तंत्र को स्थिर रखने में मदद मिलती है। इससे तनाव को कम करने तथा मानसिक संतुलन में भी लाभ मिलता है। योग प्राचीन भारतीय विद्या है तथा इसके निरन्तर अभ्यास से संयमित व्यक्तित्व तथा वृद्वावस्था की भाव मुद्राओं को रोकने में मदद मिलती है। योग का दूसरा महत्वपूर्ण पहलू यह है कि इससे सांसों पर नियन्त्रण रहता है तथा योगाभ्यास के दौरान सांस खींचने तथा सांस बाहर निकलाने की उचित विधि से शवास को संयमित करने में मदद मिलती है जिससे शरीर में आक्सीजन को नियन्त्रित करने में सहायक सिद्ध होती है। योग से शारीरिक तथा मानसिक उल्लास की असीम अनुभूति प्राप्त होती है। भाग-दौड़ वाली जिंदगी से परेशान होकर हर कोई जिंदगी को आसान बनाना चाहता है। ऐसी स्थिति में क्या आप अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए थोड़ा समय योग को नहीं दे सकते? योग एक ऐसी विधा है जिससे अपने मन को स्थिर कर सकते हैं। जब तक मन शुद्ध या स्थिर नहीं होता, तन भी अशुद्ध रहता है। योगाभ्यास द्वारा ही तन व मन की शुद्धि होती है और तन-मन निरोगी हो जाता है। योगाभ्यास से मन को स्वस्थ्य और शांत बनाया जा सकता है।

शरीर को स्वस्थ बनाने में तन और मन का बेहतर योगदान होता है। आमतौर पर देखा गया है कि शारीरिक बीमारियों के मानसिक आधार होते हैं। क्रोध आपके मन को विकृत करता है जिससे आप विभिन्न प्रकार की बीमारियों से घिर जाते हैं फिर भी क्रोध से बिल्कुल अनभिज्ञ रहते हैं। योगाभ्यास क्रोध पर नियंत्रण रखने में अहं भूमिका निभाता है।

सौंदर्य को बढ़ाता है योग

जब सौंदर्य की बात करते है तो केवल बाहरी चेहरे की सौंदर्य की ही बात नहीं करते बल्कि इसमें आकृति सूरत भी शामिल होती है जिसमें लचकपन हावण्भाव तथा शारीरिक आर्कषण होना बहुत ही आवश्यक होता है। जहां तक बाहरी सौंदर्य का सम्बन्ध है वहां छरहरे बदन से व्यक्ति काफी युवा दिखाई देते हैं जो कि लम्बे समय तक यौवन बनाए रखने में सहायक होता है। योग से शरीर के हर टिशू को ऑक्सीजन प्राप्त होती है जिसे शरीर में सौंदर्य तथा स्वास्थ्य प्राप्त होता है। यदि आप ऐसी जीवनशैली से गुजर रहे हैं जिसमें शारीरिक गतिविधी नगण्य है तो आप वास्तव में बुढ़ापे को नियंंत्रण दे रहे है। योग तथा शारीरिक श्रम से आदमी को यौवन की स्थिति को लम्बें समय तक बनाए रखने में मदद मिलती है क्योंकि इससे शरीर सुदृढ़ होता है तथा शरीर सुव्यवस्थित तथा तन्दरूस्त रखने में भी मदद मिलती है। योग आसनों से रीढ़ की हड्डी तथा हड्डियों के जोड़ों को लचकदार एवं कोमल बनाने में मदद मिलती है। इससे शरीर सुदृढ़ तथा फुर्तीला बनता है। मांसपेशियों में रंगत आती है, रक्त संचार में सुधार होता है, प्राण शक्ति का प्रवाह होता है तथा सौंदर्य एवं अच्छे स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है।

तनाव दूर करेगा योग

अनेक सौंदर्य समस्याएं मानसिक तनाव की वजह से उत्पन्न होती है। योग से तनाव को कम करने तथा स्वछन्द मानसिक उन्मुक्त वातावरण तैयार करने में मदद मिलती है । योग के लगातार अभ्यास से कील मुंहासों और बालों के झड़ने की समस्यांए, सिर की रूसी आदि समस्याओं का स्थाई उपचार मिलता है योग तथा शारीरिक क्रियाएं करने वाले युवाओं पर किए गए अध्ययन में यह पाया गया हैं उनके व्यक्तित्व में भावनात्मक स्थिरताओं आत्म विश्वास उचित मनोभाव जैसे सकारात्मक बदलाव महसूस किये जाते है। जिसका दिमाग एवं भावनाओं तथा मिजाज पर सीधा प्रभाव दिखाई देता है। वास्तव में योग नियमित रूप से तनाव से मुक्ति प्रदान करता है। जिससे त्वचा पर रंगत वापिस आ जाती है।

योग का महत्व

वास्तव में योग से बाहरी शारीरिक सौंदर्य को निखारने तथा संवारने में काफी मदद मिलती है। आज का समय लगातार बढ़ती जटिलताओं और गति का समय है। जीवन यापन के लिए हर कोई लगातार गतिमान है। भागदौड़ की इन स्थितियों में एक सुसंगत ,संयमित ,और स्वस्थ्य जीवन दृष्टि की खोज हर व्यक्ति को है। हर कोई अपने शरीर को स्वस्थ्य रखना चाहता है। भारतीय परंपरा हमेशा से ही जीवन को समग्र और संतुलित रूप से जीने की दृष्टि देती रही है। भारतीय चिंतन और परंपरा का आधार रहा है योगशास्त्र। योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं है, यह जीवन को संतुलित रूप से जीने का शास्त्र है। यह निरंतर बढ़ती हुई भागदौड़ में व्यक्तित्व को एक ठहराव एक गहराई देने की विद्या है। ऐसे में आज न केवल भारत बल्कि विश्व के दूसरे देश भी योग को जीवन शैली में सुधार लाने का एक प्रमुख उपाय मान रहे हैं। जीवन की भाग.दौड़ वाली जिंदगी से परेशान होकर हर कोई जिंदगी को आसान बनाना चाहता है। ऐसी स्थिति में क्या अपने जीवन को सुखी बनाने के लिए थोड़ा समय योग को नहीं दे। योग एक ऐसी विधा है जिससे आप अपने मन को स्थिर कर सकते हैं। जब तक मन शुद्ध या स्थिर नहीं होता तब तक तन भी अशुद्ध रहता है। योगाभ्यास द्वारा ही तन व मन की शुद्धि होती है और तन.मन निरोगी हो जाता है। योगाभ्यास से मन को स्वस्थ्य और शांत बनाया जा सकता है।

योग से नियंत्रित रहेगा क्रोध

शरीर को स्वस्थ बनाने में तन और मन का बेहतर योगदान होता है। आमतौर पर देखा गया है कि हमारी शारीरिक बीमारियों के मानसिक आधार होते हैं। क्रोध आपके मन को विकृत करता है जिससे आप विभिन्न प्रकार की बीमारियों से घिर जाते हैं फिर भी क्रोध से बिल्कुल अनभिज्ञ रहते हैं। योगाभ्यास क्रोध पर नियंत्रण रखने में अहम भूमिका निभाता है।

लेखिका अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त सौंदर्य विशेषज्ञ है और हर्बल क्वीन के रूप में लोकप्रिय हैं।

(माध्यम – डेली हंट)

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