शुभजिता को जब शुरू किया था तो बहुत से लोगों की दृष्टि में सन्देह था..और एक लापरवाह किस्म की उदासीनता…’क्या उखाड़ लेगी’ टाइप। पर उखाड़ना तो हमें था ही नहीं..हमें तो रचना था…अपने हिस्से का संसार …जहाँ हम सांस ले सकें…वह कह सकें…जो आप हमें कहने नहीं देते….वो सच बता सकें जिसके लिए आपके अखबारों में कोई जगह ही नहीं….उन अवसाद भरे क्षणों में आत्मविश्वास की बूँद भर डाल सकें जो अपनी प्रतिभा और उड़ान के सिमटने से दबी जा रही हैं…पर हमारी दुनिया इतनी सी तो नहीं है न…हमें आंगन का कोना नहीं….पूरा संसार…पूरा विश्व…पूरा ब्रह्मांड चाहिए….हम आधी दुनिया या आधी आबादी भर नहीं बनना चाहते….उससे थोड़ा आगे जाना है। हमें पता है कि सनी लियोनी साड़ी में बेहद खूबसूरत लग सकती हैं जिसे आप बिकनी के अतिरिक्त किसी और वस्त्र में देखना ही नहीं चाहते। अब सपने का वही एक टुकड़ा आपके सामने हैं..।
शुभजिता लड़कियों की वही दुनिया है…मतलब हमारी टीम में सिर्फ लड़कियाँ होंगी…मगर ऐसा नहीं है कि लड़के लिख नहीं सकते…उनका स्वागत है…वे लिखेंगे…वैसे ही जैसे लिखते आ रहे हैं। आपकी रचनाओं का स्वागत हमेशा की तरह है मगर उनका प्रबन्धन किसी न किसी महिला पत्रकार अथवा संसाधन प्रदाता के हाथ में ही होगा। लड़कियों के स्कूल न होते तो कई अभिभावक तो बच्चियों को स्कूल तक न भेजते और अब यही सुविधा शुभजिता में भी है।
हम टीम बनाने की तैयारी में हैं और इसमें हर मोर्चे पर लड़कियाँ ही आपको मिलेंगी..खबरों से लेकर मार्केटिंग…ब्रांडिंग तक…और भविष्य में कभी कोई प्रकाशन कार्य हुआ तो वह भी लड़कियों के जिम्मे ही होगा। इनको वेतन की जगह मानदेय मिलेगा..और ये संसाधन प्रदाता होंगी..जिनमें सीनियर…दीदियाँ..समान उम्र और पद होने पर सखी और जूनियर होने पर बहनें होंगी।

शुभ सृजन नेटवर्क के शुभादि, शुभ सृजन फीचर्स और शुभ सृजन सम्पर्क में आप पुरुषों और भाइयों का स्वागत है।
यही अपनी दुनिया है… हमारा उद्देश्य है लड़कियाँ खबरों के मैदान में ही नहीं बल्कि हर उस जगह पर हों,,,जहाँ उनको होना चाहिए और वे नहीं हैं…मतलब पत्रकार से लेकर प्रबन्धन और मार्केटिंग में भी…और एक चीज हमारे यहाँ कर्मचारी जैसी कोई चीज नहीं होने जा रही। ऐसा मान लिया गया है कि पेशेवर स्तर पर सर और मैडम के सम्बोधन के बगैर काम ही नहीं चलेगा मगर हमारी दुनिया में दीदी, सखी और बहनें ही होंगी..मतलब जो वरिष्ठ है…वह दीदी….जो समान आयु में है…वह सखी और जितनी युवा लड़कियाँ सहयोग देंगी…उनको हम बहन ही कहेंगे…वह संसाधन प्रदाता हैं…अंशधारक हैं,,,,इसलिए अंश ही उनका मानदेय है…अगर किसी को हमारी इस दुनिया में रुचि हो वह इसका हिस्सा बन सकती हैं…क्योंकि यहाँ आपको अनुशासन मिलेगा मगर बन्धन नहीं…उड़ान मिलेगी…बस मुहिम सकारात्मकता की होगी…न तो धर्म और न ही राजनीति।

अनुभव ने बताया कि अभिभावक बेटियों को इसलिए मीडिया में नहीं जाने देना चाहते क्योंकि इनके सामने समय और स्त्रियों की स्थिति एक अड़चन है। हम यह नहीं कहते कि हम किसी को सफल पत्रकार बना सकते हैं मगर इतना जरूर कह सकते हैं कि इस राह में थोड़ी मदद अवश्य कर सकते हैं और रास्ता, वह तो सबको खुद ही बनाना पड़ता है…शुभजिता इस दृष्टि से एक प्री प्राइमरी स्कूल की तरह ही है।
4 साल में शुभजिता को आज पौने 2 लाख लोग देखते हैं और जहाँ तक पता है यह आँकड़ा हर माह लगभग डेढ़ लाख का है…और लोग लौटते भी हैं…। जो लोग ये समझते हैं कि बगैर धर्म और राजनीति के मीडिया में कुछ नहीं चल सकता…उनके लिए शुभजिता एक प्रमाण है। सोशल मीडिया पर भी अलग – अलग पेज देख लें तो लगभग 800 लोग पसन्द करते हैं और यू ट्यूब चैनल के सदस्यों का आँकड़ा भी 100 पार कर चुका है और मैंने इसके लिए कोई कोशिश नहीं की..।
शुभजिता युवा प्रतिभा सम्मान, शुभजिता युवा सृजन चुनौती, बोलते अवशेष, हर हाथ में किताब और शुभजिता क्लासरूम को लेकर बहुत अधिक प्रचार नहीं किया…जो किया…उन युवाओं ने किया जो कुछ करना चाहते थे…उनको बस एक मंच चाहिए था…। अब आपके बढ़ते प्रेम ने जिम्मेदारी बढ़ा दी है तो इस माह से हमारी कोशिश भी बढ़ रही है।
शुभजिता हर सप्ताह एक बार अपडेट होती है…अब से दो बार होगी। अब तक शुभजिता युवा प्रतिभा सम्मान के लिए प्रतिभागी प्रमाणपत्र पाते थे…अब हम अपने सभी अभियानों में भाग लेने वालों को ई प्रमाणपत्र देंगे…।

 

संस्थापक एवं सम्पादक – सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया

 

सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया

 पत्रकारिता के क्षेत्र में गत 16 वर्ष से सक्रिय। महानगर कोलकाता में प्रख्यात मीडिया संस्थानों में काम करने के बाद अब सामाजिक उद्यमी के रूप में कार्यरत। 2016 में अपराजिता की स्थापना, जो अब शुभजिता है और 2019 में शुभ सृजन नेटवर्क की स्थापना, जिसका उद्देश्य हिन्दी व भारतीय भाषाओं को रोजगारपरक बनाना है।

सम्मान –    साहित्यिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए कई संस्थाओं द्वारा सम्मानित। पत्रकारिता के क्षेत्र में योगदान के लिए बिहार फाउंडेशन द्वारा वर्ष 2013 में बिहार पत्रकारिता सेवा सम्मान 25 अप्रैल 2013 को वर्ष 2012 का एच एंड जी जर्नलिज्म अवार्ड और 1 जनवरी 2015 को युगल किशोर सुकुल पत्रकारिता सम्मान। कविता कोश – मुक्तांगन में नव प्रतिभा प्रोत्साहन पुरस्कार (आलेख) का प्रथम पुरस्कार। 2018 का वीरांगना तथा 2019 में बीएनआई का उद्यमी (आन्ट्रेप्रेनियर) अवार्ड

प्रकाशित पुस्तकें  – अब वो आसमान तोड़ रही है (2016)

                        कथा काव्य सँग्रह – फिर इतिहास लिखूँगी (2018)

                         कहानी संग्रह – 740 रुपये (ई पुस्तक)

                           ब्लॉग संकलन – सुषमा की बतकही (ई पुस्तक)

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