अन्तर्द्वन्द्वों, आकांक्षाओं..आशा – निराशा, हर एक भाव का दर्पण ‘अभिव्यक्ति भावों की’

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हम सब खुद को अभिव्यक्त करना चाहते हैं, बहुत कुछ कहना चाहते हैं और अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है कविता। कविता हमारे मन के भावों के साथ हमारे अन्तर्द्वन्द्वों, हमारी आकांक्षाओं..आशा – निराशा, हर एक भाव का दर्पण है। कविता खुद से किया गया संवाद है जो समाज से प्रभावित भी होता है और समाज को प्रभावित भी करता है। संवाद की इसी परम्परा का अनूठा गीत है प्रो. प्रेम शर्मा का काव्य संग्रह ‘अभिव्यक्ति भावों की’। इस पुस्तक की भूमिका डॉ. अरुण कुमार अवस्थी ने लिखी है। वे लिखते हैं, ‘संग्रह की सभी कवितायें कवयित्री के शुद्ध अन्तर -वेगों की निर्मल अभिव्यक्ति हैं।’
इस काव्य संग्रह का आरम्भ ही सरस्वती वन्दना से होता है – ‘हे श्वेत वरणी हंसवाहिनी/ कर्म कुशलता बुद्धि बल दे/ शुद्ध आचरण मन पवित्र कर दे/ शब्दों में स्नेह सुधा भर दे।’ कवयित्री मन की असीम शक्ति को समझती हैं। ‘मेरी मांग’ कविता में तभी तो वह लिखती हैं – ‘माँग रही हूँ तुमसे मैं तो/शुद्धि, मन और विचारों की। मांग है मुझको मानस बल दो/ चाह है उज्ज्वल भावों की।’

बचपन को याद करते हुए वे बाल जीवन की समस्याओं पर भी बात करती हैं -‘पर हम तो सपने देखते नहीं/ मधुर स्वप्न लुप्त हुए/टेस्ट की दहशत में/ दिन रात हम तो पिस रहे।’ कवयित्री का दार्शनिक मन कुछ कविताओं में प्रकट होता है। ‘नवीन प्रयास’ नामक इस कविता को देखिए – ‘प्राप्तियाँ कम हुईं तो क्या हुआ/ आलोचनाएँ हुईं तो क्या हुआ, उन्नति पथ पर चलने की कोशिश तो की, गति धीमी हुई तो क्या हुआ’।
पुस्तक में 64 कविताएं हैं। भाषा तत्सम शब्दों से ओत – प्रोत है परन्तु सहज एवं बोधगम्य है और कई प्रश्नो के उत्तर तलाशती है तो कुछ प्रश्न उठाती भी है। प्रो. प्रेम शर्मा अध्यापिका रही हैं और उनका दीर्घ अनुभव इन कविताओं में नजर आता है, उनकी बेचैनी और सुकून सब आप इन कविताओं में देख सकते हैं।
कवयित्री जो आस – पास देखती हैं, महसूस करती हैं, सब अपनी कलम में उतार देती हैं। इस संग्रह में हर एक भाव की कविता है, समसामायिक परिस्थितियों को उकेरती कविता है और राष्ट्रीय भाव को अभिव्यक्त करने वाली कविताएँ भी हैं – ‘रचो नया इतिहास क्योंकि, युग बदल रहा/ नूतन विधान छेड़ दो कि जग बुला रहा, निष्फल हुआ हर एक स्वप्न अब साकार हो।’ कविता को सरलता से समझने और गुनने के लिए यह पुस्तक पढ़ी जानी चाहिए।
पुस्तक का नाम – अभिव्यक्ति भावों की
विधा – काव्य संग्रह
कवयित्री- प्रो. प्रेम शर्मा
समीक्षक – सुषमा त्रिपाठी कनुप्रिया

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