अपराजिता से शुभजिता तक का सफ़र-मेरी नज़र में

निखिता पांडेय

‘अपराजिता’ के आज पांच वर्ष पूरे हो रहे हैं, जो आज ‘शुभजिता’ का रूप ग्रहण कर चुकी है। आज का यह दिन बहुत यादगार और गौरवपूर्ण है।इसकी सफ़लता के पीछे एक सशक्त, स्वतंत्र और एक सफ़ल स्त्री है-सुषमा दीदी।
इन्होंने कभी भी भीड़ में खुद को शामिल नहीं किया,बल्कि भीड़ से अलग बनकर अपनी करनी से खुद को स्थापित किया और कई लोगों को खड़ा और स्वावलंबी बनाया। आज ‘अपराजिता’ की झलक ‘शुभजिता’ में दिखाई पड़ती है,सुषमा दी ने इसे अपने खून-पसीने की मेहनत से सींचा और इसकी शाखा को वृहत्त कर दिया। कहते हैं न कि जब आप कोई नेक काम करने निकलेंगे,तो आपका साथ देने वाला कोई नहीं होगा और जैसे ही आप सफ़ल हो जाएंगे,तो लोग आपके पीछे-पीछे चलेंगे। सच्चाई की यही शैली है। यही सनातन सत्य भी है। मैं 1 वर्ष से इससे जुड़ी हूं और इस एक वर्ष में इन्होंने मुझमें आत्म-विश्वास भर दिया।

अब किसी भी जगह यदि प्रस्तुति करनी हो,तो अब संकोच नहीं होता और ये आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं और आने वाले दिनों में इसका रूप और विस्तृत होगा। इससे और लोग जुड़ेंगे,आज इसे लगभग 2 लाख लोग देख चुके हैं। इसके पीछे लक्ष्य यही है कि आपको खुद में हुनर की तलाश करनी होगी और जब आप इसे पहचान लेंगे,तो आप एक सक्रिय दिशा की ओर बढ़ने लगेंगे और तब आपके मार्ग में कितनी भी बाधाएं आये,आप उसका डटकर सामना करने के लिए तत्पर रहेंगे और दीदी का यह प्रयास क़ाबिल-ए-तारीफ़ है। इसकी जितनी प्रशंसा करूँ कम ही है। मेरे अंतर्मन में भावनाओं की तरंगे दौड़ रही है……और अभी मैं शब्दहीन हो चुकी हूं।बस इतना ही कहना चाहूंगी दी कि आप मेरे जीवन में सफ़ल परिवर्तन की कड़ी बनी है,आपको हृदय तल की गहराई से कोटि-कोटि प्रणाम करती हूं और यूंही आगे की राह में आपका साथ और सान्निध्य चाहती हूं………आपके अंदर मैंने एक माँ, बहन, एक दोस्त,एक मददगार के रूप पाये है….आप एक सुदृढ़ महिला है,जो लोगों को जीवन में प्रगति और महत्वाकांक्षी बनाती है। एक बार फिर से इस सुनहरे 5 सालों के वर्षपूर्ति की हार्दिक बधाई!

 

निखिता पांडेय