आरा में ‘आईआईटीएन चायवाला’ बेचता है 10 तरह की चाय

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आरा । बिहार का एक छोटा सा लेकिन ऐतिहासिक और महत्‍वपूर्ण शहर है आरा। यह पटना से बहुत अधिक दूर नहीं है। आरा फिलहाल भोजपुर और पुराने शाहाबाद जिले का मुख्‍यालय है। रमना मैदान इस शहर का हृदय स्‍थल कहा जा सकता है, ठीक वैसे ही जैसे पटना में गांधी मैदान का इलाका है। रमना मैदान से सटी कई चाय की दुकानें हैं, लेकिन इन्हीं के बीच आईआईटियन चाय वाला नाम से चल रहा टी-स्टॉल राहगीरों को लुभा रहा है। केवल नाम से ही नहीं, स्वाद से भी यहां की चाय ने अलग पहचान बनाई है। जब चूल्हे से निकले गर्म लाल कुल्हड़ में सुगंधित चाय उड़ेली जाती है, तो उससे निकला स्वाद मन में ताजगी भर देता है। नाम के अनुरूप यह टी स्टॉल आईआईटी और विभिन्न संस्थानों में पढ़ाई कर रहे टेक्नोलॉजी के छात्रों का आइडिया है।
आईआईटी डेटा साइंस का स्‍टार्टअप है आइआइटियन चायवाला
अब आप सोच रहे होंगे कि टेक्नोलॉजी के छात्रों का चाय की दुकान से क्या वास्ता? मद्रास आईआईटी में डेटा साइंस में बीएससी प्रथम वर्ष के छात्र और टी-स्टॉल खोलने वाले रणधीर कुमार बताते हैं- ‘यह उनका स्टार्टअप है। उनके साथ देश के अलग-अलग संस्थानों में पढ़ रहे चार दोस्तों ने रोजगार सृजन के लिए यह स्टार्टअप शुरू किया। इसमें खड़गपुर आईआईटी में प्रथम वर्ष के छात्र जगदीशपुर के अंकित कुमार, बीएचयू में पढ़ रहे इमाद शमीम और एनआईटी सूरतकल में पढ़ रहे सुजान कुमार का आइडिया लगा है।’
कोचिंग में पढ़ाई के दौरान हुई दोस्ती
रणधीर बताते हैं कि वे लोग पहले एक ही कोचिंग संस्थान में पढ़ते थे और वहीं उनकी दोस्ती हुई। उन लोगों ने भविष्य में कुछ ऐसा करने का निर्णय लिया था, जिससे कुछ लोगों को रोजगार देकर उन्हें आत्मनिर्भर बना सकें। एक टी-स्टॉल में दो से तीन लोगों को रोजगार मिला है। अभी आरा में एक स्टॉल है और इसी महीने यहां बमपाली और बाजार समिति में स्टॉल खुलने वाला है। एक टी-स्टॉल पटना में बोरिंग रोड पर खोला गया है।
साल के अंत तक देश में 300 स्‍टॉल खोलने की योजना
उनकी योजना साल के अंत तक देशभर में 300 स्टॉल खोलने की है। स्टार्टअप को आगे बढ़ाने के लिए वे वित्तीय संस्थानों से मदद लेंगे। रणधीर बताते हैं कि इस स्टार्टअप से उनकी पढ़ाई बिल्कुल प्रभावित नहीं हो रही है, यह तो बस एक आइडिया है तो उन लोगों ने धरातल पर उतार दिया, बाकी काम वहां स्टाफ को करना है। पिता मनोज पांडेय गोपालगंज में बिहार पुलिस में एएसआई हैं और बीच-बीच मे आकर निगरानी करते रहते हैं।
स्टार्टअप को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ेंगे
रणधीर बताते हैं कि भविष्य में वे अपने स्टार्टअप को पर्यावरण संरक्षण से जोड़ेंगे। अभी वे लोग स्टॉल पर किसी तरह का प्लॉस्टिक का इस्तेमाल नहीं करते हैं और केवल कुल्हड़ में चाय देते हैं। भविष्य में वे लोग उपयोग में लाये गए कुल्हड़ को हाई प्रेशर पानी से धोने के बाद उसमें पौधा का बीजारोपण कराएंगे और उसे भी स्टॉल के जरिये काफी कम कीमत पर ग्राहकों को देंगे।
10 फ्लेवर में मिलती है चाय
आईआईटियन चाय दुकान में एक-दो नहीं, बल्कि 10 फ्लेवर में चाय मिलती है। इनमें, नीबू, आम, सन्तरा, पुदीना, ब्लूबेरी आदि फ्लेवर की चाय लोग पसंद करते हैं। चाय बना रहे कर्मचारी ने बताया कि 10 रुपये में यहां कुल्हड़ में चाय मिलती है। चाय देने से पहले वे लोग कुल्हड़ को चूल्हे की आग में गर्म करते हैं, जिससे इसमें अनोखा स्वाद आ जाता है। स्टॉल पर चाय की चुस्की ले रहे जिला जदयू के उपाध्यक्ष एवं चर्चित सामाजिक कार्यकर्ता डॉ शशिकांत सक्सेना ने कहा कि युवाओं में सोच बदल रही है, यह स्टॉल उसी सकारात्मक सोच का नतीजा है। और इन युवाओं की सोच उनको सब से अलग करती है और इन लोगों की बनाई हुई चाय भी अलग तरह की स्वाद देती है, तभी तो यहां सुबह से लेकर देर रात तक चाय पीने वालों की भीड़ लगी रहती है
स्टॉल की डिजाइन है खास
टी-स्टॉल की सबसे बड़ी खासियत दुकान की डिजाइनिंग है। केवल 16 वर्ग फीट में पहिये पर स्टॉल इस तरह से डिजाइन की गई है कि चाय बनाने से लेकर जरूरत का सारा सामान इसमे समा जाए। केवल कुल्हड़ को गर्म करने के लिए चूल्हा को स्टॉल से अलग रखना पड़ता है।

 

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