आश्वासन

0
39
प्रतीकात्मक चित्र
आनंद श्रीवास्तव

हर बार तुम्हारा
आश्वासन
मुझे एक नई उम्मीद से बांध देता है
और हर बार तुम मुझे हमेशा की तरह छल जाते हो ।
जो हो रहा है उसमें कुछ भी नया नहीं
तयशुदा जाना पहचाना सा
सब कुछ है
कुछ भी अनजान नहीं
ना तुम बदलोगे ना मैं
हर बार तुम आश्वासन बनकर आओगे और मुझसे छल करोगे
हमेशा की तरह
हर बार मैं तुम पर यकीन करूंगा
और खुद को एक नये धोखे को सहने के लिए तैयार रखूंगा।
तुम्हारे ह्रदय में कितनी कटुता है जिसका शमन सदियों से
नहीं हो रहा।
सहजता का ढोंग किये
दोमुंहा मुखौटा ओढ़े तुम सबसे जटिल क्यों हो ?
घोषित करते रहो तुम मुझे जो
घोषित करना है
तुम्हारी उठाई उंगली और बदनामी मुझे छू भी नहीं सकती।
तुम प्रत्याख्यान करते जाओगे
पर हर मोड़ पर हर राह में मैं साबुत खड़ा मिलूंगा
उम्मीद बांधे हुए कि कभी तो तुम्हारा दिल भी पिघलेगा
खुली आंखों से कभी तो चाटुकारिता के चश्मा उतार के
वास्तविकता तुम्हें दिखेगी।।
यकिन मानो सच का सामना तुम्हें भी शर्मिंदा कर देगा
और पछताओगे अपने हर उस आश्वासन पर
जिसके पीछे तुम निर्वस्त्र नग्न खड़े हो
सिर्फ और सिर्फ मेरी उम्मीद की
परछाई में।

Previous articleबंगाल में कामधेनु कलर मैक्स शीट को मिलेगी मजबूती
Next articleन्यायमूर्ति शिवगणनम बने कलकत्ता हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश
शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

five × four =