एमएसएमई उद्यमियों की सहायता के लिए आया एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम

पश्चिम बंगाल में खुला नया अध्याय, डॉ. ममता बिनानी बनीं अध्यक्ष
कोलकाता । एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) डेवलपमेंट फोरम का पश्चिम बंगाल चैप्टर शुरू हो गया है। डॉ. ममता बिनानी इसकी अध्यक्ष बनी हैं। इस चैप्टर की घोषणा के अवसर पर पश्चिम बंगाल के एमएसएमई डेललपमेंट फोरम की अध्यक्ष डॉ. ममता बिनानी ने कहा, पश्चिम बंगाल चैप्टर का प्रमुख लक्ष्य, विभिन्न श्रेणी से ताल्लुक रखने वाली महिलाओं के लिए आदर्श स्टार्ट-अप प्रोग्राम तैयार करना है। इसमें महिला उद्यमियों, अनुसूचित जाति से जुड़ी महिलाओं को स्टार्ट-अप के लिए सूचना देना और इनको समर्थन देने के साथ सरकार द्वारा बनाई गई नीति का इन्हें फायदा पहुंचाना है। एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम एक गैर सरकारी संगठन है। भारत सरकार के एमएसएमई मंत्रालय बोर्ड के सदस्य रजनीश गोयनका द्वारा स्थापित किया गया हैं। वे इस फोरम के अध्यक्ष भी हैं। फोरम ने वर्ष 2014 में सक्रिय रूप से काम करना शुरू किया।
इस फोरम का अगला एक्सपो “15 से 17 सितंबर 2022” को नयी दिल्ली में आयोजित होने जा रहा है। वैसे तो एमएसएमई डेवलपमेंट फोरम, पश्चिम बंगाल में पिछले 5 वर्षों से सक्रिय है। अब इस राज्य में एमएसएमई को बढ़ावा देने के लिए इससे जुड़े जागरूकता कार्यक्रम को आयोजित करने का फैसला लिया गया है, इसके लिए 40 से अधिक कार्यकारी दल के सदस्यों को लेकर डॉ. ममता बिनानी के नेतृत्व में एक नयी टीम का गठन किया जा गया है।

इस कार्यक्रम में सुरेश करमाली (मुख्य महाप्रबंधक राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी), कोलकाता), देबब्रतो मित्रा (संयुक्त निदेशक, एमएसएमई विकास संस्थान, कोलकाता), प्रमोद कुमार गोयनका, (महासचिव, एमएसएमई विकास मंच, पश्चिम बंगाल), सिद्धार्थ मंडल (सहायक महाप्रबंधक- भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक, सिडबी) समेत कई गणमान्य अधिकारी मौजूद थे। इन सभी ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएसई), के तहत भारत सरकार द्वारा इस सेक्टर को प्रदान की जाने वाली सुविधाओं के बारे में विस्तृत से अवगत बताया।
एमएसएमई छेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त करनेवाला क्षेत्र साबित हुआ हैं। इसने देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में बहुत योगदान दिया है। यह न केवल रोजगार के अवसर पैदा करता है, बल्कि देश के पिछड़े और ग्रामीण क्षेत्रों को विकास की दिशा में आगे ले जाने का भी काम करता है। 90 प्रतिशत उद्योग एमएसएमई के अन्तर्गत ही आते हैं।
वर्ष 2022-2025 के लिए पश्चिम बंगाल का एमएसएमई विकास मंच इन मिशन के तहत काम करेगा, जो निम्नलिखित है:
• शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में नए – नए कार्यक्रम आयोजित करके एमएसएमई की योजनाओं के बारे में जागरूकता पैदा करना।
• स्टार्टअप और स्वयं सहायता समूहों के साथ महिलाओं और युवा उद्यमियों के बीच जाकर सरकार की एमएसएमई नीतियों के बारे में उनको जानकारी देना।
• एमएसएमई को अपने व्यवसाय में नई तकनीक अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना।
• एमएसएमई को सरकारी ऋण योजनाओं और विपणन सहायता योजनाओं का लाभ उठाने के लिए सूचित करना और उनकी मदद करना।
• कॉर्पोरेट कानूनों और अन्य प्रतिभूति बाजार कानूनों में प्रख्यात पेशेवरों के साथ कार्यक्रम और सेमिनार आयोजित करना।
• फोरम अपने मासिक ई-समाचार बुलेटिन, पत्रिकाओं या पत्रिकाओं के माध्यम से एमएसएमई को हालिया प्रौद्योगिकियों, नए विधानों, नोटिस, परिपत्रों, नियमों और विनियमों के विकास के बारे में शिक्षित और सूचित करना शामिल है।
एमएसएमई के ​​बारे में: भारत सरकार ने 2006 के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एमएसएमईडी) अधिनियम के समझौते में एमएसएमई या सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की शुरुआत की है। ये उद्यम मुख्य रूप से माल और वस्तुओं के उत्पादन, निर्माण, प्रसंस्करण और संरक्षण में लगे हुए हैं। सरकार की वार्षिक रिपोर्ट (2018-19) के अनुसार, भारत में लगभग 6,08,41,245 एमएसएमई हैं जो इस देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 8%, विनिर्माण उत्पादन का लगभग 45% और देश के निर्यात में लगभग 40% का योगदान करते हैं।

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