किसानों को सियासत की बैसाखी मत दीजिए…खुद आगे चलने दीजिए

विमर्श का दौर चल पड़ा है और इन दिनों किसान विमर्श केन्द्र में है। किसान यानी अन्नदाता..बात तो सही है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने भी जय जवान, जय किसान का नारा भी दिया था लेकिन इस नारे का सम्मान करते हुए 26 जनवरी 2021 की घटना को जब हम याद करते हैं तो मन में सवाल उठने लगते हैं। तब शायद शास्त्री जी ने भी नहीं सोचा होगा कि वे जिनकी जय लगाने का नारा दे रहे हैं…एक दिन उनके नाम पर राजनीति होगी और देश के तिरंगे को भी किसान आन्दोलन के नाम पर अपमानित करने का घृणित प्रयास होगा। लाल किले पर जिस दिन तिरंगे को हम सम्मान देते हैं…उसी दिन तिरंगे के बगल में कोई और झंडा लगाया जायेगा…यह दृश्य तो हर भारतीय की कल्पना से बाहर था…मगर यह हुआ..और अब इस पर लीपापोती करने की पूरी कोशिश की जा रही है..अपनी जान देकर हमारे जिन शहीदों ने हमें आजादी दी….तिरंगे के लिए हमारे वीर जवानों ने अपना जीवन न्योछावर कर दिया…क्या खूब सम्मान मिल रहा है इनको। हम एक बात और कहना चाहेंगे….सहयोग की कामना करनी चाहिए…जरूरत से अधिक दिया गया सहारा बैसाखी बन जाता है और वह सिर्फ पंगु ही बनाता है क्योंकि ऐसी स्थिति में पाने वाले को इन बैसाखियों की आदत पड़ जायेगी और वह इनकी आदत कभी नहीं छोड़ेगा। एक समय के बाद तो माता – पिता भी अपने बच्चों को अकेला छोड़ते हैं कि वह अकेले चलना सीखे…पक्षी अपने बच्चों तो तब छोड़ देते हैं जिससे वह दाना चुगने के लिए आसमान में उड़ान भर सके…मगर इस देश में सब्सिडी की ऐसी बैसाखी दी है कि किसान पर इन पर निर्भर है…किसान ही क्यों…हर जगह..सब्सिडी देना गलत नहीं है मगर इसकी अवधि तो तय होनी ही चाहिए जिससे अपनी आय को बढ़ाने के लिए आधुनिक उपकरणों को ही नहीं बल्कि सोच को भी लोग अपना सकें…..आज उन्नत सोच, तकनीक के साथ सही उद्देश्य के जरिए ऐसे किसान भी हमने देखे जो लखपति भी बन रहे हैं। यह भी एक सत्य है कि हर किसान अगर अमीर नहीं है तो हर किसान गरीब भी नहीं है…क्या हर किसान या हर किसी को सब्सिडी मिलनी चाहिए या इसका कोई मापदंड तय होना चाहिए। हमें ठहरकर सोचना होगा कि जय जवान, जय किसान के नाम पर हम कहीं दूसरे क्षेत्रों के साथ अन्याय तो नहीं कर रहे,,इस देश को जवान और किसान के साथ श्रमिक भी चाहिए..विज्ञान चाहिए…चिकित्सक और इंजीनियर चाहिए…शिक्षक चाहिए और सबकी जय होनी चाहिए इसलिए हमें एक बार ठहरकर सोचने की जरूरत है कि कहीं हम दूसरे क्षेत्रों को तो हाशिये पर नहीं ले जा रहे…किसानों को अब आगे बढ़ने की जरूरत है…विर्मशों और राजनीति से भी आगे…तभी उनकी जय हो सकेगी।

शुभजिता

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