केरल:सिकुड़ती जा रही है वेम्बनाड झील

(हरि एम पिल्लई)

तिरुवनंतपुरम । पश्चिम बंगाल में सुंदरबन के बाद भारत में दूसरी सबसे बड़ी आर्द्रभूमि (वेटलैंड) वेम्बनाड झील धीरे-धीरे सिकुड़ती जा रही है। लगभग 20 साल पहले इसे ‘रामसर’ स्थल के रूप में घोषित किया गया था और अब इसकी अनूठी जैव विविधता खतरे में है।
कुट्टनाड के किसानों और मछुआरों के समुदाय के लिए यह झील आजीविका का एक स्रोत है। इसके किनारों पर अनधिकृत निर्माण और प्रदूषण के कारण पारिस्थितिक तंत्र में बदलाव जारी हैं। विशेषज्ञों ने आर्द्रभूमि पारिस्थितिकी तंत्र को बचाने के लिए ‘‘प्रतिबद्ध प्रयास’’ करने का आह्वान किया है।
इस झील का क्षेत्र धीरे-धीरे सिकुड़ रहा है और यह लगभग दो हजार वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली है तथा इसकी लंबाई लगभग 96 किलोमीटर है। यह झील केरल की सबसे बड़ी और देश की सबसे लंबी झीलों में से एक है। यह अलप्पुझा, कोट्टायम और एर्नाकुलम तीन जिलों से घिरी है।
पारिस्थितिकी विशेषज्ञों और वर्षों से किए गए विभिन्न अध्ययनों के अनुसार बार-बार आने वाली बाढ़, बढ़ते प्रदूषण, जल प्रसार क्षेत्र में कमी और खरपतवार वृद्धि के कारण झील गंभीर पर्यावरणीय क्षरण का सामना कर रही है।
आर्द्रभूमि पर राष्ट्रीय समिति के सदस्य और जल संसाधन विकास और प्रबंधन केंद्र (सीडब्ल्यूआरडीएम) के एक पूर्व निदेशक ई. जे. जेम्स का मानना है कि राज्य सरकार जो कदम उठाने का दावा करती है, वे केवल कागजों तक ही सीमित रहते हैं और जमीनी स्तर पर इन्हें लागू नहीं किया जाता है।
हाल में जब सदन में इस मुद्दे को उठाया गया था, तब मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा था कि राजस्व, सर्वेक्षण और स्थानीय स्वशासन विभाग अतिक्रमणों का पता लगाने और उन्हें हटाने और झील की सीमाओं का सीमांकन करने के लिए कार्रवाई कर रहे हैं।
विजयन ने कहा था कि झील के पुनरुद्धार में मछुआरों और किसानों सहित स्थानीय समुदायों की भागीदारी आवश्यक है। जेम्स उस विशेषज्ञ समिति का हिस्सा थे, जिसने वेम्बनाड को ‘रामसर’ स्थल घोषित करने पर जोर दिया था।
उन्होंने कहा कि झील के समक्ष आने वाले पारिस्थितिक क्षय के खतरे का समाधान उतना आसान नहीं है, जितना कि थन्नीरमुकोम बांध में गाद जमा होने से रोकने के लिए अतिक्रमण हटाना या बाहरी बांध बनाना था।
उन्होंने दावा किया, ‘‘इसे रामसर स्थल घोषित किए जाने के बाद, आर्द्रभूमि प्रणाली की रक्षा या वहां पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने के लिए शायद ही कुछ किया गया है।’’
अलप्पुझा से मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सांसद ए. एम. आरिफ ने कहा कि झील को रामसर स्थल घोषित करने के बाद इसकी सुरक्षा या संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया गया। उन्होंने कहा, ‘‘सब कुछ राज्य सरकार पर छोड़ दिया गया है। राज्य सरकार कदम उठा रही है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। झील के संरक्षण के संबंध में कई परियोजनाओं की घोषणा की गई थी, लेकिन उन्हें अभी तक लागू नहीं किया गया है।’’ जेम्स ने कहा झील का प्रबंधन इस तरह से किया जाना चाहिए कि कृषि और मत्स्य पालन दोनों क्षेत्र एक दूसरे के पूरक हो सकें।

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