कोरोना संक्रमित मां के दूध में होती है कोरोना की एंटीबॉडी

नयी दिल्ली :  यह बात सब जानते हैं कि मां के दूध में रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है और नवजात शिशु के स्वस्थ जीवन के लिए मां के दूध से बेहतर कोई विकल्प नहीं है। अब एक नये शोध में यह दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमित मां के दूध में नोवेल कोरोना वायरस की एंडीबॉडी होती है और यह दूध बच्चों को जरूर दिया जाना चाहिए।

शोध का आधार : यह एक तथ्य है कि माँ के दूध में एंटीबॉडी की थोड़ी मात्रा रहती है, जिसका स्रोत रक्त होता है। इस तथ्य के आधार पर शोधकर्ताओं ने यह विचार रखा कि कोविड-19 के संक्रमण से ठीक हो जानेवाली माँ के दूध में कोविड-19 की एंटीबॉडी की भी मौजूदगी होनी चाहिए, जो शिशुओं में कोरोना वायरस के खिलाफ रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत कर सकता है।

इस अध्ययन के लिए नोवेल कोरोना वायरस से संक्रमित हुई मांओं के ब्रेस्ट मिल्क के 15  नमूने लिये गये। 10 नेगेटिव कंट्रोल सैंपल भी इस अध्ययन का हिस्सा थे। अध्ययन में अधिकांश सैंपल में संक्रमण के बाद माँ के दूध में एक मजबूत इम्यून रिस्पांस दिखायी दिया। हालांकि अध्ययनकर्ताओं का मामला है कि इस निष्कर्ष का समग्र अध्ययन जरूरी है।

कोरोना संक्रमित माँ नवजात को पिलायें ब्रेस्ट मिल्क : इस अध्ययन का नेतृत्व करनेवाली इकैन स्कूल ऑफ मेडिसिन, माउंट सिनाई, न्यूयॉर्क की डॉक्टर रिबेका पॉवेल का कहना है कि नोबेल कोरोना वारयस से संक्रमित माओं कोविड-19 रोग के दौरान और उसके बाद भी अपने शिशु को दूध पिलाना जारी रखना चाहिए। उनका तर्क है, ‘दूसरे अध्ययनों से यह बात भी सामने आयी है कि यह संक्रमण मां के दूध से नहीं फैलता जबकि हमारे अध्ययन ने मां के दूध में एंटीबॉडी के पाये जाने की पुष्टि हुई है।

हमें उम्मीद है कि ब्रेस्ट मिल्क में एंटीबॉडी का उच्च स्तर होगा और इससे शिशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होना चाहिए।’ पिछले महीने अध्ययन की शुरुआत करने से पहले डॉ पॉवेल ने यह उम्मीद भी जतायी थी कि ब्रेस्ट मिल्क में पायी जानेवाली एंटीबॉडीज को प्यूरिफाई करके, कोविड-19 के गंभीर मामलों का इलाज करने के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

शिशुओं के लिए फायदेमंद है माँ का दूध : मां के दूध में ढेर सारे पोषक तत्व और मिनरल्स होते हैं, जो कि एक नवजात शिशु की विकास के लिए बेहद जरूरी होते हैं। माँ के दूध में ऐसे तत्व (एंटीबॉडी) होते हैं जो कि बच्चों के इम्यून सिस्टम को मजबूत करते हैं ताकि बच्चों का शरीर बैक्टीरिया और वायरस से लड़ सके।

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