घर की रसोई को बनाइए बच्चों का क्लासरूम

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तस्वीर - गूगल से

जिस उम्र में बच्चों का दिमाग़ तेज़ी से विकास कर रहा होता है, अगर उस समय उन्हें कुछ सिखाया जाए, या उनकी रुचि को तराशा जाए, तो वे ना सिर्फ तेज़ दिमाग़ इंसान बनेंगे बल्कि नए प्रयोगों को करने में उनकी रुचि भी बनेगी। यह वे गुण हैं, जो जीवन में उनके बहुत काम आएंगे। रसोई घर में काम करके उन्हें यह सहजता से मिल जाएंगे। सामान्य ज्ञान, विज्ञान की समझ, गणित को बुनियादी मज़बूती तो ख़ैर मिलेगी ही। अगर आप हैरान हैं, तो जानें कि 3 से शुरु करके बच्चों के साथ अभिभावक हफ्ते में एक या दो बार अगर रसोई के कामों में मदद लें, तो इन लक्ष्य को पाया जा सकता है।
आकार-स्वाद की समझ
रोटी गोल होती है और समोसा त्रिकोण होता है, ये आकार बच्चा रसोई घर में आसानी से सीख सकता है। तीखा क्या है, मीठा क्या है, ये भी जानेगा। खाना बनाते हुए आकार के नाम लें, जैसे गोल रोटी, चौकोर पराठा आदि। इसके अलावा भिंडी गोल या लंबी, आलू मोटा या छोटा काटते हुए आकार समझाए जा सकते हैं।

शब्द और भाषा का विकास
6-8 साल की उम्र से बच्चा जब व्यंजन विधि पढ़ता है और बारी-बारी क्या करना है, यह बताता जाता है, तो उसे वस्तुओं के बारे में जानकारी मिलती है। सामग्रियों के बीच अंतर पहचानकर उनके नाम और अंतर याद रखता है, जैसे कि सफ़ेद नमक और काले नमक के बीच का अंतर। इससे बच्चा नए शब्द भी सीखता है। वहीं जब रेसिपी की हर स्टेप पढ़कर खाना बनाने में मदद करता है, तो उसकी भाषा का विकास होता है। जब बच्चे के साथ खाना बनाएं, तो उससे पूछें कि अगला क़दम क्या होगा। इस तरह वह योजना बनाना, समय का सही इस्तेमाल और व्यंजन विधि का सही अनुपालन करना सीखेगा। जब तक खाना बन नहीं जाता, तब तक धैर्य भी रखना होगा। इससे ध्यान और सब्र दोनों गुणों का विकास होगा।

व्यावहारिक गुण बेहतर होंगे
दस साल से बड़ी उम्र के बच्चों के लिए सामग्रियां मिलाना, आटे की लोइयों को बेलना बच्चों के हाथों को मज़बूत और नियंत्रित करता है, जैसे वो जानेगा कि हाथों का कितना ज़ोर लगाकर बेलना है और सही आकार कैसे लाना है। आंखों और हाथों का समन्वय कौशल किसी चीज़ को बेलने, मिलाने और फैलाने से विकसित होते हैं।

अंकों का ज्ञान
नाप-तौल सीखना तो स्वाभाविक ही है। आप जब बच्चे से आटा बोल में डालने के लिए कहें, तो साथ में कप की गिनती भी करें। हर बार जब आप कप या चम्मच से सामग्री निकालें तो ज़ोर से गिनें। 5 साल से ऊपर के बच्चे को शुरुआती जोड़-घटाना समझा सकते हैं। थोड़े बड़े बच्चे नापकर व्यंजन बनाने के स्वाद पर असर को समझ जाएंगे।

जो पसंद है वही कराएं
आमतौर पर बच्चों को चीज़ों को काटना और गैस जलाने जैसे काम ही पसंद आते हैं। अगर बच्चा किसी ज़िद का बहाना बनाकर रसोई से जाने का रास्ता ढूंढे, तो उसे उसकी दिलचस्पी का काम दे दें, जैसे कि बिस्किट केक बनाना। बच्चे के साथ उनका पसंदीदा भोजन बनाएं। उनसे कहें कि अगर तुम्हें ये खाना है, तो अंत तक ध्यान देना होगा।

भावनात्मक विकास
हाथों से खाना पकाने की गतिविधियां बच्चों में भरोसा और कौशल पैदा करने में मददगार होती हैं। रेसिपी सीखने से बच्चों को स्वतंत्र बनने की भी प्रेरणा मिलती है। इससे उन्हें निर्देशों पर अमल करने और समस्या सुलझाने की क्षमता विकसित करने की भी सीख मिलती है। दूसरों के लिए खाना बनाने से उनके प्रति प्रेम भाव भी विकसित होगा।
(साभार – दैनिक भास्कर)

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