देशराग अमृत – लेख एवं लघु कथा

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दीपा गुप्ता

आजादी के मायने
आजादी अर्थात स्वतंत्रता, मुक्ति। जब हमें कुछ एक में एक मुक्त मिलता है तो कितना अच्छा लगता है।कितनी खुशी होती है ना। सोचिए जब हमारे देश को अंग्रेजों के अत्याचार से मुक्ति मिली होगी तो वह पल कितना अनमोल होगा। सबके चेहरे पर एक सुकून देने वाली खुशी होगी।
लेकिन आजादी का अर्थ सिर्फ मुक्ति तक सीमित नही है। अपने इच्छानुसार कुछ भी करना आजादी नही कहलाता। अगर ऐसा होता तो पितृसत्तात्मक समाज द्वारा महिलाओं पर अत्याचार करना या फिर किसी को जान‌ से मार देना या भ्रष्टाचार के नाम पर जनता को लुटना भी आजादी कहलाता क्योंकि यह भी सब अपनी इच्छा से ही करते है ना। और ना ही आजादी का अर्थ घूमना-फिरना, खाना-पीना.. इत्यादि-इत्यादि है।
आजादी का अर्थ इन सबसे व्यापक है। सबको एक नजर से देखना, स्त्री-पुरुष में भेद नही करना, महिलाओं को भी बराबरी का हक देना, उन्हें भी सम्मान से जीने का अधिकार देना, सबको शिक्षा का अधिकार देना, जात-पात के नाम पर दूसरों का अपमान नही करना, झूठ की जगह ईमानदारी का बोलबाला होना ही सही अर्थ में आजादी है।
अफसोस की बात यह है कि हमें यह बातें सिर्फ पढ़ने-सुनने में अच्छी लगती हैं। सही मायने में तो आजादी के वास्तविक अर्थ को भूलते ही जा रहे हैं।
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लघुकथा

15 अगस्त का महत्व
इस बार 15 अगस्त अच्छा दिन पड़ा है,सोमवार। शनिवार आधा दिन,रविवार छुट्टी और सोमवार को भी छुट्टी। बहुत दिनों से शरीर को आराम नही मिला। अब तो अच्छे से सोऊॅंगा और बिरयानी खाऊॅंगा।
हाॅं, सही बोले! मेरी तो पूरे 3 दिन की छुट्टी है। सोचा रहा हूं कि परिवार को लेकर दीघा से घूम आऊॅं। थोड़ा परिवर्तन हो जाएगा।
10साल का बच्चा उनकी बात सुनकर बोला-“अंकल 15 अगस्त क्या एक छुट्टी का दिन है? मैंने तो पढ़ा है कि यह हर हिन्दुस्तानी के लिए बहुत गर्व का दिन है। स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने प्राण न्यौछावर किए ताकि हम आजाद देश में सांस ले सके।”
बच्चे की बात की सुन दोनों का सर शर्म से नीचे झुक गया,कि सिर्फ एक छुट्टी के लिए हमने सबसे महत्वपूर्ण दिन को आम दिन बना दिया।

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