नारायण हेल्थ ने स्थापित किया ‘ब्रेन स्ट्रोक’ के लिए स्पोक और हब मॉडल 

कोलकाता । बंगाल समेत पूरे देश में भीषण गर्मी का कहर जारी है और अब स्ट्रोक के मामले भी बढ़ रहे हैं। ब्रेन स्ट्रोक एक ऐसी बीमारी है जिसमें दिमाग में ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित हो जाता है और दिमाग को काम करने में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। यह बीमारी दूसरे सीजन में भी होती है लेकिन भीषण गर्मी, खास तौर पर जब शरीर की जरूरत से कम पानी होता है तो इसका असर हावी हो जाता है।

 ‘ब्रेन स्ट्रोक’ एक मेडिकल इमरजेंसी है जिसमें मस्तिष्क को रक्त की आपूर्ति गंभीर रूप से बाधित होती है। भारत में हर 40 सेकंड में एक मरीज को स्ट्रोक होता है और हर 4 मिनट में एक मरीज की स्ट्रोक के कारण मौत हो जाती है। स्ट्रोक भारत में विकलांगता का सबसे आम कारण है, जो एक व्यक्ति को जीवन भर के लिए अपंग और विकलांग बना देता है। यदि स्ट्रोक वाला रोगी समय पर अस्पताल पहुँचता है और स्वास्थ्य देखभाल केंद्र इस रोगी की तुरंत पहचान और उपचार करता है, तो स्ट्रोक का प्रभाव काफी कम हो जाता है। इस विजन को आगे ले जाने के प्रयास में नारायणा हेल्थ, ईस्टर्न क्लस्टर ने तीन क्षेत्रों- कोलकाता, हावड़ा और बारासात में स्ट्रोक के इलाज की सर्वोत्तम पहुंच सुनिश्चित करने के लिए स्पोक एंड हब स्ट्रोक मॉडल पेश किया है। इसे  महानगर कोलकाता के प्रेस क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान 7 मई 2022 को शुरू किया गया।

  नारायणा हेल्थ, ईस्टर्न क्लस्टर,  कॉम्प्रिहेंसिव स्ट्रोक केयर के लिए क्लिनिकल लीड  डॉ. कौशिक सुंदर ने कहा कि जब ब्रेन स्ट्रोक की बात आती है तब टाइम इज ब्रेन। कई बार ब्रेन स्ट्रोक के मरीज तत्काल देखभाल के लिए नजदीकी अस्पतालों में पहुंच जाते हैं। जब तक ब्रेन स्ट्रोक का निदान किया जाता है या कोई विशेषज्ञ इस रोगी को देखता है, तब तक महत्वपूर्ण समय नष्ट हो जाता है। अस्पतालों का नारायणा स्वास्थ्य समूह इस तरह से कुछ हट के है।  जैसे यदि कोई मरीज बारासात इकाई में भर्ती हो जाता है और सीटी स्कैन कराता है, तो रिपोर्ट तुरंत कोलकाता में बैठे स्ट्रोक टीम को उपलब्ध होगी। स्ट्रोक टीम तब यह तय कर सकती है कि उस मरीज को उन्नत चिकित्सीय विकल्पों के लिए उच्च केंद्र में स्थानांतरित करने की आवश्यकता है या नहीं। नारायणा हेल्थ बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के मरीजों को चौबीसों घंटे यह सेवा प्रदान कर रहा है। यह नेटवर्किंग पूरे दिन रोगी को निर्बाध रेफरल, विशेषज्ञ परामर्श और सर्वोत्तम उपचार सुनिश्चित करती है।”

 इस मजबूत टेलीस्ट्रोक और रेफरल सिस्टम के अलावा, एनएच रवींद्रनाथ टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियक साइंसेज कोलकाता ने भी अपने स्ट्रोक क्लीनिक शुरू करने की घोषणा की। जिन रोगियों को पहले ब्रेन स्ट्रोक हुआ , वे जांच और विशेषज्ञ की राय के लिए बहु-क्षेत्रीय अस्पतालों तक पहुंचते हैं। स्ट्रोक क्लिनिक ने सस्ती दरों पर एमआरआई ब्रेन सहित स्ट्रोक जांच पैकेज पेश किया। स्ट्रोक क्लिनिक विशेषज्ञ परामर्श सुनिश्चित करते हैं।

 डॉक्टर कौशिक सुंदर की माने तो नारायणा हेल्थ, अस्पतालों का पूर्वी समूह पिछले कुछ वर्षों में अत्याधुनिक, जटिल न्यूरोइंटरवेंशनल प्रक्रियाओं का प्रदर्शन किया है। उन्होंने हावड़ा जिले में अपनी तरह का पहला स्ट्रोक के रोगी के लिए मस्तिष्क के अंदर एक स्टेंट लगाया था।  इस अनूठी तकनीक को अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में रिपोर्ट और प्रकाशित किया गया था। वहीं एन्यूरिज्मल ब्लीड वाले रोगी के लिए पूर्वी भारत में पहली बार ‘सिल्क विस्टा फ्लो डायवर्टर’ नामक एक नए प्रकार के स्टेंट का इस्तेमाल किया गया था।

 एनएच हावड़ा के कंसल्टेंट न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अरिंदम घोष ने कहा, “हालांकि ये प्रक्रियाएं भविष्य और अत्याधुनिक हैं, लेकिन मुख्य मुद्दा यह है कि इनमें से कई मरीज ठीक समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते हैं।” “स्ट्रोक उपचार का सबसे अच्छा प्रभाव पड़ता है यदि रोगी तुरंत अस्पताल पहुंचता है और अस्पताल में तुरंत इस रोगी की जरूरतों को पूरा किया जाए”  एनएच समूह के अस्पतालों की एक पहल स्ट्रोक हीरो प्रोग्राम ने स्वास्थ्य देखभाल  कर्मियों और स्ट्रोक के रोगियों के रिश्तेदारों को सम्मानित किया, जो उन्हें जल्दी से अस्पताल ले आए और सुनिश्चित किया कि उन्हें तुरंत सर्वोत्तम उपचार उपलब्ध हो।

 आर वेंकटेश (सीओओ ईस्ट एंड साउथ नारायणा हेल्थ) ने कहा, “हमारे अस्पताल में मरीज उन्हें सर्वोत्तम देखभाल और उपचार प्रदान करने के हमारे सक्रिय प्रयासों के साक्षी रहे हैं। इन हाई-टेक परिवर्धन के साथ हम उनके इलाज के लिए सबसे उन्नत तकनीक लाने की अपनी प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करते हैं।

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