पटना समेत बिहार के 38 में से 31 जिलों का पानी पीने लायक ही नहीं : रिपोर्ट

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पटना: ग्रामीण बिहार के बड़े हिस्से में भूजल में बड़े पैमाने पर रासायनिक प्रदूषण है। यहां पीने के पानी का स्रोत ही ठीक नहीं है। साथ ही ये आबादी के लिए स्वास्थ्य को लेकर गंभीर जोखिम पैदा कर रहा है। बिहार की राज्य आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट (ईएसआर) 2021-22 में इस बात की जानकारी दी गई है। बड़ी बात ये है कि जिन जिलों का पानी पीने के लिए ठीक नहीं है उनमें राजधानी पटना तक शामिल हैं। इन जिलों के पानी में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की मात्रा काफी ज्यादा है।
इन जिलों का पानी पीने लायक नहीं
हाल ही में विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि 38 में से 31 जिलों के ग्रामीण इलाकों में भूजल आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन से प्रभावित है। प्रभावित जिलों में बेगूसराय, भागलपुर, भोजपुर, बक्सर, दरभंगा, कटिहार, खगड़िया, लखीसराय, मुंगेर, समस्तीपुर, सारण , सीतामढ़ी , पटना, वैशाली, औरंगाबाद, बांका, भागलपुर, गया , जमुई, कैमूर, मुंगेर, नालंदा, रोहतास, शेखपुरा, नवादा और अररिया शामिल हैं।
रिेपोर्ट में कहा गया है कि बिहार 38 में से 31 जिलों के ग्रामीण इलाकों में भूजल में आर्सेनिक, फ्लोराइड और आयरन की भारी मात्रा स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा खतरा पैदा कर रही है। 30,272 ग्रामीण वार्डों में भूजल में रासायनिक संदूषण यानि पानी में है। गंगा के किनारे स्थित 14 जिलों में कुल 4,742 ग्रामीण वार्ड विशेष रूप से आर्सेनिक से प्रभावित हैं। इसी रिपोर्ट के मुताबिक 11 जिलों के 3,791 ग्रामीण वार्डों में पेयजल स्रोत फ्लोराइड संदूषण से प्रभावित हैं। नौ कोसी बेसिन जिलों में और अन्य जिलों में कुछ क्षेत्रों में अतिरिक्त आयरन पाया गया है। दूषित पानी के सेवन से त्वचा, लीवर, किडनी और अन्य जल जनित रोग होते हैं।
रिपोर्ट में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचईडी) के जरिए बिहार के जल गुणवत्ता मानचित्रण से संबंधित आंतरिक मूल्यांकन और निष्कर्षों का उल्लेख किया गया है। इन प्रभावित जिलों में लोगों को सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार विभाग ने गहरे पानी के बोरवेल खोदना शुरू कर दिया है। पीएचईडी सचिव जितेंद्र श्रीवास्तव ने पीटीआई से कहा ‘हम स्थिति की गंभीरता को समझते हैं, जिसके कारण विभाग सतही जल और भूजल आधारित योजनाओं के मिश्रण के लिए गया है।’ उन्होंने कहा कि पाइप से जलापूर्ति योजना शुरू करने के अलावा, विभाग ने राज्य स्तरीय परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशाला (एनएबीएल) के लिए राष्ट्रीय प्रत्यायन बोर्ड के माध्यम से पानी की गुणवत्ता की निगरानी और निगरानी को भी मजबूत किया है।

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