पद्मश्री : पारंपरिक पोशाक में जब नंगे पांव पहुँचीं वनों की रक्षक तुलसी गौड़ा

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कर्नाटक की 72 वर्षीय पर्यावरणविद् तुलसी गौड़ा को पेड़ों के संरक्षण में उनके अपार योगदान के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने पद्मश्री से सम्मानित किया। भारत देश में ऐसे कई लोग हैे, जो बिना किसी स्वार्थ के लिए दूसरों के जीवन में परिवर्तन लाने के लिए अपना जीवन लगा देते हैं। बिना किसी को बताए। बिना किसी लालच के। गुमनामी में। ऐसा ही एक नाम है तुलसी गौड़ा।  भारत का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्मश्री प्राप्त करने के लिए राष्ट्रपति भवन के दरबार हाॅल में तुलसी अपनी पारंपरिक पोशाक में जब नंगे पांव पहुंची, तो उनकी इस सादगी ने सबका दिल जीत लिया। तुलसी गौड़ा के काम को भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार उन्हें 8 नवंबर 2021 को दिया गया। जब तुलसी को यह सम्मान मिला तो दरबार हाॅल तालियों से गूंज उठा। तालियों की इस गूंज में सम्मान था सच्चाई के लिए। सम्मान था देश की सेवा के लिए। सम्मान था आत्मसमर्पण के लिए। सम्मान था निःस्वार्थ सेवा के लिए। सम्मान था अपने जीवन के 60 साल बिना किसी उम्मीद के देश के लिए समर्पित करने के लिए।

जंगलों की इनसाइक्लोपीडिया

तुलसी गौड़ा को जंगल की ‘इनसाइक्लोपीडिया’ नाम से जाना जाता है। क्योंकि उन्हें दुनिया भर में पाई जाने वाली जड़ी-बूटियों और पौधों की प्रजातियों के बारे में व्यापक ज्ञान है, वे किशोर अवस्था से ही पर्यावरण की रक्षा में सक्रिय रूप से योगदाान दे रही हैं और बिना किसी आर्थिक मदद के हजारों पेड़ लगा चुकी हैं।

कौन हैं पर्यावरणविद तुलसी गौड़ा

आदिवासी महिला तुलसी गौड़ा पिछले 6 दशक से पर्यावरण के लिए काम कर रही हैं। अब तक वे 30 हजार से अधिक पौधे लगा चुकी हैं। वो भी बिना किसी आर्थिक मदद के। उनकी यह समाजसेवा सेवानिवृत्ति के बाद भी जारी है। गौड़ा जिन्हें वनों का ‘इंनसाइक्लोपीडिया’ माना जाता है। कर्नाटक के हेलक्की जनजाति से ताल्लुक रखती हैं। छोटी उम्र में अपने पिता को खो देने वाली तुलसी कभी स्कूल नहीं गईं। जब वह सिर्फ 12 साल की थीं, तब अपनी मां के साथ एक स्थानीय नर्सरी में काम करने लगीं गई और वहां काम करते हुए पौधों के बारे में उन्होंन अपार ज्ञान प्राप्त किया। तुलसी की शादी किशोरावस्था में पहुंचने से पहले ही हो गयी थी। लेकिन इससे प्रकृति के प्रति उनके प्रेम भावना में कमी नहीं आई। प्रक्रति की रक्षा के प्रति उनका यही समर्पण था, जिसने उन्हें वन विभाग में एक स्थायी नौकरी दिला दी। गणमान्य व्यक्तियों के साथ पद्मश्री पुरस्कार समारोह में भाग लेने के दौरान उनकी सादगी ने हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा। टिवटर यूजर्स ने दिग्गज पर्यावरणविद की विनम्रता की प्रशंसा करते हुए, उन्हें देश की ‘बेयर फुट वंडर वुमन’ बताया। देश का गौरव तुलसी समाज के लिए प्रेरणास्रोत हैं।

और भी कई पुरस्कारों से नवाजी जा चुकी हैं पद्मश्री तुलसी

भारत के चाैथे सर्वोच्च सम्मान पद्मश्री  के अलावा कर्नाटक वानिकी विभाग में उनके व्यापक कार्यकाल के लिए उन्हें और भी कई पुरस्कार और मान्यता मिली हैं। जैसे- 1986 में इंदिरा प्रियदर्शिनी व्रक्ष मित्र अवार्ड, 1999 में कर्नाटक राज्य सरकार का राजोत्सव अवार्ड प्रमुख हैं।

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