महिला प्रधान बनी वैक्सीनेशन दूत, टीकाकरण अभियान को दी रफ्तार

मेरठ : महिला प्रधान सेबी के मजबूत इरादों की वजह से मेरठ से सटे दौराला ब्लॉक के बंशीपुरा गांव का हर नागरिक आज कोरोना से चिंतामुक्त हो गया है। हिंदू, मुस्लिम मिश्रित आबादी वाले इस गांव में हर आदमी वैक्सीन की पहली खुराक ले चुका है। गांव में दूसरे डोज की तैयारी चल रही है। यह सब गांव की प्रधान सेबी की मेहनत की वजह से मुमकिन हो पाया है। उन्होंने वैक्सीन के खिलाफ लोगों के मन में चल रही भ्रांतियों को तोड़ा। इसके लिए लोगों से काफी ताने भी सहे। लेकिन अंत तक हार नहीं मानीं। सेबी कहती हैं कि गांव वालों को समझाना बहुत मुश्किल है। पहले मैंने औरतों और युवाओं को वैक्सीन के लिए मनाया। गांव के हर घर की कुंडी पता नहीं कितनी दफा खटखटाई है।वह कहती हैं कि कई लोगों ने तो छत से मुझे आता देखकर दरवाजे खोलना ही बंद कर दिया था। लेकिन, मैंने भी ठान लिया था कि गांव के हर आदमी को वैक्सीन लगवाऊंगी। इसलिए सुबह जल्दी उठकर, कभी देर रात, कभी मिठाई के बहाने घरों में जाकर लोगों को मनाया। लोग कहते अगर हमने वैक्सीन लगवाई तो हमारी नसबंदी हो जाएगी। कुछ कहते हम मर जाएंगे, औरतें कहती हमारे बच्चे नहीं होंगे। गांव में डॉक्टर को बुलाकर ऐलान कराया कि वैक्सीन से ऐसा कुछ नहीं होगा। मिन्नतें कर लोगों को मनाया। आज गांव में हर आदमी टीके की पहली डोज लगवा चुका है, दूसरी डोज की तैयारी है। प्रधान को कोसने वाले लोग आज अपनी बहू, महिला प्रधान का शुक्रिया अदा करते हैं।

अपने गांव को कोरोना से बचाने के लिए सेबी ने लंबी लड़ाई लड़ी है। सेबी कहती हैं कि पहले मैंने औरतों और युवाओं को वैक्सीन के लिए मनाया। गांव के हर घर की कुंडी पता नहीं कितनी दफा खटखटाई है। लोगों की गलत बातें, ताने भी सुने, सहे हैं। औरतें कहतीं तुम क्यों हमारे पीछे पड़ी हो, हमें नही लगवाना जे टीका, तुम ही लगवा लो। सेबी कहती है औरतों को तो मैं खुद समझा लेती, कई आदमियों को भी समझाया कि वैक्सीन लगवाएं, बीमारी से बचाएगी। पूरा गांव सुरक्षित रहेगा। लेकिन, कई ऐसे लोग भी हैं जो बात नहीं मानते थे। मैं गांव की बहू हूँ, पद में बड़े आदमियों से पर्दा भी रखना पड़ता है। जहां ऐसा था वहां पति, भाई, देवर को भेजा। घर के आदमी उन पुरुषों के बीच बार-बार गए। सुबह 6 बजे से जाकर उन्हें उठाया और वैक्सीन के लिए लाए। कुछ लोगों से मनमुटाव भी हुआ मगर अपने गांव को बचाने के लिए मैं भी डटी रही। सेबी की रिश्ते की सास जाहिदा कहती हैं हमारे घर मा आज तक कोई औरत घर से बाहर न निकली। मैं भी सादी होकर आई थी तो घर में भीतर रहती, गांव की सारी औरतें पर्दे में रहे हैं। लेकिन जब से म्हारी बहू सेबी पिरधान बनी है वो ही बाहर जाती है। बीमारी में म्हारी बहू ने मुझे भी सुई लगवाई, औरतों को हाथ पकड़-पकड़ कर ले गई सुई लगवाने। जे मे सब सही रहें। जे ई बहू है जो बाहर निकले है। गाँव में अब तक 5 से 6 टीकाकरण शिविर लग चुके हैं। सेबी कहती हैं पहली डोज के वक्त शुरू के 2 शिविर बिल्कुल खाली रहे। डॉक्टर आते सारा दिन लोगों का इंतजार करते हम भी बैठे रहते मगर कोई वैक्सीन लगवाने नहीं आया। डॉक्टर और एएनएम ने घरों, पंचायत में जाकर लोगों को समझाया कि वैक्सीन लगवाएं। आज दूसरी डोज के लिए जो कैंप लग रहा है उसमें लोग खुद आकर वैक्सीन लगवा रहे हैं। सेबी मुस्लिम आबादी के उस गांव को वैक्सीन लगवाने में सफल रहीं जिसके सामने स्वास्थ्य विभाग ने भी हथियार डाल दिए। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में शुरू से वैक्सीनेशन कम रहा। अफवाहों से घिरे लोगों ने वैक्सीन लगवाने से इंकार कर दिया। प्रशासन ने मुनादी कराई, धर्मगुरुओं की मदद से जागरुकता फैलाई, मस्जिदों से ऐलान कराए कि लोग वैक्सीन लगवाएं। पुलिस, प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी खुद ई रिक्शे में बैठकर गलियों में घूमे, लोगों को वैक्सीन लगवाने को कहा। डीएम, सीएमओ, एसएसपी ने मुस्लिम इलाकों में जाकर लोगों से कहा वैक्सीन लगवाएं। लेकिन सेबी ने अपने गांव की पूरी हिंदू और मुस्लिम आबादी को वैक्सीन लगवा दी। वंशीपुरा के बाद सहरसा में वैक्सीनेशन करा रही हैं। वंशीपुरा गांव को कोरोना की पहली और दूसरी लहर छू भी नहीं सकी। ग्राम प्रधान के प्रयासों से गांव कोरोना से दूर रहा। सेबी कहती हैं दूसरी लहर में जब गांवों में कोरोना खूब फैला तो मैंने अपने गांव में रोजाना सैनिटाइज कराया, सफाई कराई, गांव की सीमा को बैरिकेड कर दिया ताकि न कोई बाहर जा सके, न बाहरी आदमी अंदर आए इसलिए हमारे गांव में न किसी को कोरोना हुआ न किसी की कोरोना से मौत हुई। वंशीपुरा गांव मेरठ जिले का पहला 100% वैक्सीन लगाने वाला गांव बन चुका है। डीएम के. बालाजी और सीएमओ ने ग्राम प्रधान और चिकित्सकों की टीम को सम्मानित किया। गांव में 18 से 93 साल के हर व्यक्ति को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है। टीके की दूसरी डोज भी रोजाना कैंप लगाकर लगवाई जा रही है। 517 लोगों ने यहां वैक्सीनेशन कराया है। एएनएम अलका और आंगनबाड़ी में काम करने वाली कविता, बबली ने भी इसमें मदद की है।

(साभार – दैनिक भास्कर)

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