माँ

  • निखिता पांडेय

जो अपने गर्भ में नौ माह तक रखती है,वह है मां
जो उंगली पकड़ कर चलना सीखाये,वह है मां
जो पहली बार मुख से बोलना सीखाये,वह है मां
जो गिरने पर डांट लगाये,वह है मां
जो अपनी संतान को सबसे पहले खाना खिलाये,वह है मां
जो घर में सबसे देर से खाये,वह है मां
जो सबकी डांट सुनकर रह जाये,वह है मां
जो सुबह से रात तक काम करे,वह है मां
जो त्याग और समर्पण की देवी है,वह है मां
जो निस्तब्ध रहकर कुछ न बोले,वह है मां
जो अपने बच्चे के घर लौटने का इंतज़ार करे,वह है मां
जो नि:स्वार्थ प्रेम करे,वह है मां
जो बिना बोले मन की बात समझ जाये,वह है मां
मां वह संसार है,जो न हो तो जीवन व्यर्थ है और
जो दर्द सहकर भी मुस्कुराये,वह है मां।

निखिता पांडेय