लॉकडाउन में शुरू किया ऑनलाइन एम्बुलेंस और दवाइयों का स्टार्टअप

हर महीने 10 लाख का व्यवसाय, रोज 200 मरीजों की मदद
इंद्रभूषण मिश्र

पटना : बिहार के पटना जिले के रहने वाले नीरज झा पेशे से डॉक्टर हैं। कई अस्पतालों में हेल्थकेयर को लेकर काम कर चुके हैं। कुछ अस्पतालों में हॉस्पिटल मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में भी उन्होंने काम किया है। पिछले साल जब कोरोना फैला तो स्वास्थ्य सुविधा सबसे अधिक प्रभावित हुई। किसी को दवाइयां नहीं मिलती तो किसी को एम्बुलेंस नहीं मिल रही थी। ऐसे में नीरज को लगा कि इन सरोकारों को लेकर कुछ काम करना चाहिए। इसके बाद जुलाई 2020 में उन्होंने हनुमान नाम से एक स्टार्टअप लॉन्च किया। जिसके जरिये वे लोगों को एम्बुलेंस, दवाइयां, ऑक्सीजन और होम नर्सिंग की सुविधा मुहैया करा रहे हैं। अभी वे बिहार के 22 जिलों में एम्बुलेंस सर्विस चला रहे हैं। इससे हर महीने 10 से 12 लाख उनका रेवेन्यू हो रहा है।
नीरज कहते हैं कि इस काम को शुरू करने का आइडिया दो साल पहले आया था। तब मैं एक अस्पताल में मैनेजमेंट कंसल्टेंट के रूप में काम कर रहा था। उसी दौरान आईटी एक्सपर्ट दीपक से मेरी मुलाकात हुई जो अपने पिता के इलाज के लिए इधर-उधर भटक रहे थे। दीपक बेंगलुरु में जॉब कर रहे थे। अपने पिता के लिए उन्होंने ऑनलाइन मेडिकल हेल्प की कोशिश की, लेकिन कहीं से मदद नहीं मिली तो उन्हें खुद दरभंगा आना पड़ा। उस मुलाकात के बाद हम दोनों दूर के परिचित निकले। उसी दौरान हमारे दिमाग ये आइडिया आया कि इस तरह की कोई पहल की जाए ताकि लोगों को ऑनलाइन मेडिकल सहायता मिल जाए।
इसके बाद दीपक वापस अपने काम पर लौट गए और मैं भी अपने काम में लग गया, लेकिन हमने अपने आइडिया पर बात करना जारी रखा। फिर नवंबर 2019 में हमने एक और मीटिंग की और इस प्रोजेक्ट पर काम करना शुरू कर दिया। दीपक ने अपनी नौकरी छोड़ दी और मैंने भी इस्तीफा दे दिया। दीपक को आईटी का अच्छा खासा अनुभव था तो हमें टेक्नोलॉजी डेवलप करने और ऐप तैयार करने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई। बाकी मैं मेडिकल सेक्टर से जुड़ा था तो नेटवर्क डेवलप करने में आसानी हो गई।

कैसे करते हैं काम?
नीरज बताते हैं कि हमने ऑनलाइन ऐप, वेबसाइट और एक सॉफ्टवेयर डेवलप किया है। इसके जरिए कोई भी सर्विस रिक्वेस्ट कर सकता है। वे कहते हैं कि जिस तरह ओला से गाड़ियों की बुकिंग होती है। उसी तरह हमारे ऐप से एम्बुलेंस की बुकिंग होती है। इसके साथ ही वेबसाइट से भी हम लोग बुकिंग लेते हैं। अगर कोई ऐप या वेबसाइट पर नहीं जा सकता तो वो हमारी हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करके भी मेडिकल सहायता और एम्बुलेंस का अनुरोध कर सकता है। हम जल्द से जल्द उस जगह पर पहुंचने की कोशिश करते हैं। नीरज की टीम ने हेल्थ के क्षेत्र में काम करने वाली कई संस्थाओं से हाथ मिलाया है। कोई उनके लिए ऑक्सीजन मुहैया कराता है तो कोई दवाइयों और होम नर्सिंग विकसित करने के इक्विपमेंट्स की व्यवस्था करता है। जिस तरह की माँग आती है उसके हिसाब से उनकी टीम उस संस्था से बात करके ग्राहकों तक मदद पहुंचाती है।

क्या-क्या काम करते हैं?
नीरज कहते हैं कि अभी हमारे पास 350 एम्बुलेंस हैं। हमने कुछ ई रिक्शा एम्बुलेंस भी तैयार किया है जो पटना में चल रही है। इसके साथ ही हम लोग दवाइयों और दूसरे मेडिकल एसेसरीज की भी होम डिलीवरी करते हैं। हम सिर्फ दवाइयों का कॉस्ट लेते हैं, जबकि डिलीवरी चार्ज फ्री रखते हैं। इसके साथ ही ऑक्सीजन मुहैया कराने, मेडिकल टेस्ट कराने, कोरोना का टेस्ट कराने में भी लोगों की मदद करते हैं। हमारी टीम लोगों के घर जाकर यह काम करती है। साथ ही हमने 30 से ज्यादा घरों में नर्सिंग होम भी सेटअप किया है। वे बताते हैं कि एम्बुलेंस सर्विसेज का काम हम बिहार के 22 जिलों में कर रहे हैं। जबकि बाकी मेडिकल हेल्प की सर्विसेज सिर्फ पटना तक सीमित हैं। नीरज बताते हैं कि अभी हमारा स्टार्टअप नया है। साथ हम तब इसे रन कर रहे हैं, जब हेल्थ सिस्टम कोलैप्स कर गया है। इसलिए पूरे बिहार में या उसके बाहर हम अभी नहीं पहुंच सके हैं।
वे कहते हैं कि अभी देश में हालात खराब हैं। लोगों को जरूरत की चीजें नहीं मिल रहीं। इसलिए हमने तय किया है कि हम ऑक्सीजन भराने का पैसे नहीं लेंगे। कोई खाली सिलेंडर लाता है तो हम मुफ्त में उसे रिफिल करा देते हैं। साथ ही हम किसी को मेडिकल एसेसरीज प्रोवाइड करा रहे हैं, तो उसके लिए भी सिर्फ उसकी लागत ही कस्टमर्स से लेते हैं। कोई अतिरिक्त लाभ कमाने की कोशिश नहीं करते हैं।
नीरज की टीम में अभी 16 लोग काम करते हैं, जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं भी हैं। वे कहते हैं कि हर रोज अभी हमारे पास 500 से ज्यादा सर्विस रिक्वेस्ट आ रही हैं। जिसमें से 150 से ज्यादा एम्बुलेंस की होती है। इस तरह हर दिन हम 200 से ज्यादा लोगों तक सर्विस पहुंचा रहे हैं। चूंकि अभी रिसोर्सेस की कमी है इसलिए हम सब तक नहीं पहुंच पा रहे हैं।

आप भी सम्पर्क कर सकते हैं हनुमान से, बस इस लिंक पर क्लिक करें।

(साभार – दैनिक भास्कर)

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