संपूर्ण संस्कृति की तलाश है रेणु का साहित्य : विजय बहादुर सिंह

कोलकाता : सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन द्वारा आयोजित 26वें हिंदी मेले के छठें दिन रेणु जन्मशती के अवसर पर ‘सांस्कृतिक महामारी और रेणु’ विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेब संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें देश-विदेश के मूर्धन्य साहित्यकारों ने हिस्सा लिया। यह संगोष्ठी दो सत्रों में आयोजित हुई। प्रथम सत्र की अध्यक्षता आलोचक रविभूषण ने किया।संगोष्ठी का विषय प्रवर्तन प्रो. अल्पना नायक ने किया। अध्यक्षीय भाषण देते हुए रविभूषण ने कहा कि रेणु ने मानवीय संस्कृति को पहचाना और नेचर को कल्चर से जोड़ा। आज नीड कल्चर की जगह डिजायर कल्चर विकसित हो रही है। पूँजी की संस्कृति ने संस्कृति की पूँजी को निगल लिया है। भारत यायावर ने कहा कि रेणु ने स्वयं महामारी की समस्या का सामना किया। रेणु के साहित्य में सिर्फ आँखों देखा ही नहीं बल्कि भविष्य की संभावनाएं भी हैं। रेणु ने कालबद्ध रचनाएं लिखते हुए काल से बाहर जाने की कोशिश भी की। प्रो.गोपेश्वर सिंह ने कहा कि रेणु आलोचनात्मक लेखक हैं, जो पहले खुद की आलोचना करते हैं। वर्तमान दौर रेणु की तुलना से हजार गुणा अपसंस्कृति का दौर है।प्रो. हितेंद्र पटेल ने कहा कि रेणु का साहित्य सांस्कृतिक विपन्नता के दौर में ज्यादा प्रासंगिक है।आज हमें रेणु के साहित्य में दर्ज ऐतिहासिक महत्व को समझने की जरूरत है।प्रो. जवरीमल्ल पारख ने कहा कि रेणु की राजनीतिक दृष्टि गहरी और प्रखर थी ।आज की महामारी का संबंध राजनीतिक है,परंतु अधिकांश इस सत्य को रेणु की तरह उद्घाटित नहीं करते। विषय का प्रवर्तन प्रो. प्रीति सिंघी ने किया। इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ आलोचक विजय बहादुर सिंह ने कहा कि रेणु आजादी के आस-पास के लेखक है। हमारे दौर की सांस्कृतिक महामारी यही है कि हम सभी एक भयानक आत्म विस्मृति के शिकार हैं। हमें इस आत्म विस्मृति से बाहर निकलने के लिए अपना रुख ‘सम्पूर्ण संस्कृति की तलाश’ में गाँवों की संस्कृति की ओर करना होगा।मारीशस से जुड़े प्रो. विनोद कुमार मिश्र ने कहा कि रेणु एक सांस्कृतिक भगीरथ थे, जिसकी धारा को निरंतरता प्रदान करने के लिए हमें आगे आना होगा।रेणु की वैचारिक प्रतिबद्धता मानवीय और लोकतांत्रिक मूल्यों से जुड़ी है।भारतीय भाषा परिषद के निदेशक शम्भुनाथ ने कहा कि हमें सांस्कृतिक महामारी से लड़ने के लिए एकबद्ध होना होगा। पूरा देश बहुलतावादी सांस्कृतिक महामारी का शिकार है। नीदरलैंड से जुड़ी प्रो.पुष्पिता अवस्थी ने कहा कि इस पृथ्वी का गौरव गाँव है। हमें कवि, लेखक आदि विशेषणों से ऊपर उठकर कार्यकर्ता की भूमिका में आना होगा। प्रथम सत्र का संचालन विनोद यादव ने तथा धन्यवाद ज्ञापन पूजा गुप्ता ने दिया। दूसरे सत्र का सफल संचालन प्रो.गुलनाज़ बेग़म तथा धन्यवाद ज्ञापन राहुल शर्मा ने दिया। वाद-विवाद प्रतियोगिता वर्ग ‘अ’ का शिखर सम्मान जय प्रकाश यादव, सेंट ल्युक्स डे स्कूल, प्रथम स्थान अनुराग गौतम, सरकारी वेंकट उच्च माध्यमिक एक्ससिलेंस स्कूल, सतना, द्वितीय स्थान श्रुति प्रसाद, सेंट ल्युक्स डे स्कूल, तृतीय स्थान छवि, मॉडर्न चाइल्ड पब्लिक स्कूल, दिल्ली को मिला तथा वर्ग ‘क’ का शिखर सम्मान राजेश सिंह, कलकत्ता विश्वविद्यालय, प्रथम स्थान षैजू के, कोच्चीन विश्वविद्यालय, केरल, द्वितीय स्थान बिक्रम साव, कलकत्ता विश्वविद्यालय और तृतीय स्थान ऋषभ द्विवेदी, हिन्दू कॉलेज, दिल्ली को मिला।रचनात्मक लेखन का शिखर सम्मान मधु सिंह,विद्यासागर विश्वविद्यालय, प्रथम स्थान स्वाती सौरभ,भोजपुर, द्वितीय आशीष वर्मा ,हैदराबाद विश्वविद्यालय, तृतीय सूर्यदेव रॉय,इग्नू तथा विशेष पुरस्कार पोलीरानी राऊत,वृंदा मिश्र,सुप्रिया श्रीवास्तव, गायत्री वाल्मीकि ,अर्चित डोकानिया को मिला।

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