‘सहृदयता और प्रतिबद्धता के प्रतिमान थे खगेंद्र ठाकुर’

कोलकाता : हिंदी के प्रसिद्घ साहित्यकार खगेंद्र ठाकुर की स्मृति में गत रविवार,19 जनवरी,2020 को भारतीय भाषा परिषद में एक शोकसभा का आयोजन किया गया ।गत 13 जनवरी को पटना में उनका निधन हो गया था ।
उनकी स्मृति में कोलकाता की साहित्यिक संस्था भारतीय भाषा परिषद, अपनी भाषा, साहित्यिकी,जनवादी लेखक संघ, नीलांबर, कला साहित्य मंच, हिंदी कारवाँ,हिंदी ज्ञान और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से शोकसभा का आयोजन किया गया ।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए श्रीनिवास शर्मा ने कहा कि खगेंद्र ठाकुर प्रगतिशील लेखक संघ के समर्पित कार्यकर्ता थे।वे प्रलेस में भीष्म साहनी के बाद नामवर सिंह, कमला प्रसाद के साथ मिलकर संगठन की परंपरा को मजबूती प्रदान किये। भारतीय भाषा परिषद के निदेशक प्रो शंभुनाथ ने कहा कि खगेंद्र ठाकुर सहृदयता और प्रतिबद्धता के मिसाल थे ।उन्होंने अपने लेखन में प्रतिरोध और लोकतांत्रिक मूल्यों को तरजीह दिया है ।साहित्यकार मृत्युंजय ने कहा कि वे लेखकों के लिए बेंचमार्क थे । वे अत्यंत सहज भाषा में लिखते थे। प्रो आशुतोष ने कहा कि खगेंद्र ठाकुर सभी विचारधाराओं का सम्मान करते हुए प्रतिक्रियावादी मूल्यों का विरोध करते थे ।अनुवादक #विनोद यादव ने कहा कि व्यवहार में वे जितने सहज नज़र आते थे मंच पर उतने ही प्रखर विद्वान के रूप में प्रभावित करते थे।#रंगकर्मी महेश जायसवाल ने कहा कि अक्सर हिंदी मेला में बोलते हुए सुना और देखा ।वे जितने संगठन के लिए समर्पित थे ,उतने ही लेखन के प्रति भी थे।#कथाकार सेराज खान बातिश ने कहा कि उनमें रामचंद्र शुक्ल जैसी वैचारिक समझ थी।#प्रो रामआह्लाद चौधरी ने कहा कि खगेंद्र ठाकुर सहज व्यक्तित्व के असाधारण संगठनकर्ता थे। संस्कृतिकर्मी रितेश पांडे ने कहा कि उनके लेखन और जीवन में कोई भेद नहीं था ।पत्रकार सुषमा त्रिपाठी न कहा कि उन्हें देखकर ऐसा लगता था कि जैसे वे हमारे अभिभावक हो।पंकज सिंह ने कहा कि अपना व्यक्तित्व गंवई और नागर के बीच का था ।डॉ राजेश मिश्र ने कहा कि खगेंद्र ठाकुर की सबसे अच्छी बात यह थी कि वे बहुत सहज और आत्मीय थे।मन बरबस उनकी ओर खींचा चला जाता है ।प्रो मधु सिंह ने कहा कि भारतीय भाषा परिषद में पिछले साल आयोजित साहित्य पत्रिका सम्मेलन उनसे मिलने का सौभाग्य मिला था । उम्रदराज़ होने पर भी वे सक्रिय थे।साहित्यप्रेमी रतन ने कहा कि खगेंद्र ठाकुर की आलोचनात्मक दृष्टि गम्भीर और प्रभावी है ।प्रो राहुल गौड़ ने कहा कि उनका व्यक्तित्व केदारनाथ सिंह की तरह आकर्षक और अनुकरणीय है ।रजनी गुप्ता ने कहा कि खगेंद्र ठाकुर का रचना संसार अर्थपूर्ण है ।कार्यक्रम का सफल संचालन करते हुए कवि #राज्यवर्द्धन ने कहा कि खगेंद्र ठाकुर के साथ कई अवसरों पर काम करने का अनुभव है ।वे प्रखर मार्क्सवादी आलोचक ही नहीं वरन कवि,व्यंगकार और सम्पादक भी थे ।उन्होंने चार दशक से ज्यादा समय तक प्रगतिशील लेखक संघ के विभन्न पदों पर रहते हुए कार्यभारको संभाला और संगठन को मजबूती प्रदान किये। फासिज्म के बढ़ते दौर में उनका जाना प्रगतिशील आंदोलन की बहुत बड़ी क्षति है।

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