सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन के साहित्य संवाद में काव्य पाठ

कोलकाता :  सांस्कृतिक पुनर्निर्माण मिशन की ओर से साहित्य संवाद श्रृंखला के अंतर्गत काव्यपाठ का आयोजन किया गया। इस अवसर पर देश के विभिन्न हिस्सों से कवियों ने हिस्सा लिया। स्वागत वक्तव्य देते हुए प्रो.संजय जायसवाल ने कहा साहित्य संवाद का यह मंच दो पीढ़ियों के बीच सृजन और संवाद की एक सहयात्रा है। हमें रचनाधर्मिता को सह्दयता और प्रतिरोध का हिस्सा बनाने की जरूरत। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ आलोचक डॉ शंभुनाथ ने कहा कविता मानव जीवन की थाती है। कविता में सैकडों वर्षों की असंख्य आवाजें दर्ज हैं। हमें कविता को सिर्फ पढ़ना और लिखना नहीं बल्कि इसे सामाजिक एक्टिविज्म से जोड़ने की जरूरत है। इस अवसर पर देश के कोने-कोने से कवियों ने भाग लिया। चर्चित कवि बसंत त्रिपाठी ने अपनी कविताओं में मन की अंतर्दशा को प्रकृति के विभिन्न छटाओं के माध्यम से प्रस्तुत किया। वरिष्ठ आलोचक अजय तिवारी ने अपनी कविताओं में गांव की मिट्टी की महक का सुंदर चित्र प्रस्तुत किया। सेराज खान बातिश ने ग़ज़ल के माध्यम से व्यवस्था पर करारा प्रहार किया। मंजु श्रीवास्तव ने अपनी कविता में भविष्य को बचाने की बात कही। ज्योति चावला की कविताओं में स्त्री जीवन के कई रंग व्यक्त हुए। उन्होंने यौन-उत्पीड़न जैसी घटनाओं पर मार्मिक कविताओं का पाठ किया। दीपक कुमार ने व्यवस्था के भीतर की खामियों को उजागर किया। नीतू सिंह भदौरिया ने प्रकृति और प्रेम की कविताओं का पाठ किया।प्रदीप ठाकुर की कविताओं में वर्तमान समय की विडंबनाओं की कई छवियाँ दिखीं। शिवप्रकाश दास ने चटकल मजदूरों की पीडा़ओं को बड़ी आत्मीयता के साथ व्यक्त किया। मुकेश मंडल की कविताओं में आदमियत और हाशिये के लोगों को बचाने गहरी बेचैनी दिखी। रूपल साव ने अपनी कविताओं में काबुल की स्त्रियों के जीवन को सार्वभौम संवेदना से जोड़ा। जीवन और राजेश सिंह ने अपनी कविताओं में वर्तमान समय के सच को उकेरा।का पाठ किया। इस अवसर पर रामनिवास द्विवेदी, शुभ्रा उपाध्याय, उमरचंद जायसवाल, राजेश मिश्रा, अवधेश प्रसाद सिंह, अनिता राय, श्रीकांत द्विवेदी सहित भारी संख्या में साहित्य और संस्कृति प्रेमी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन मधु सिंह ने किया तथा धन्यवाद ज्ञापन मृत्युंजय श्रीवास्तव ने दिया। कार्यक्रम को सुचारू रूप से संचालन हेतु तकनीकी सहयोग उत्तम ठाकुर, राहुल गौंड़ और सूर्यदेव राय ने दिया।

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