सीएम मैटीरियल थे ममता के मेंटर सुब्रत मुखर्जी


लोकनाथ तिवारी

बंगाल के सीएम मैटीरियल सुब्रत मुखर्जी एक ऐसे राजनेता थे जिनमें दक्ष प्रशासक के गुण थे। कोलकाता के मेयर के रूप में उन्होंने 2000 से 2005 तक इसका प्रमाण भी दिय़ा था। स्वर्गीय इंदिरा गांधी उनको रॉयल बंगाल टाइगर कहती थी। ज्योति बाबू से उनके बेहद मधुर संबंध थे। जिस कोलकाता नगर निगम के कर्मचारियों को समय पर वेतन नहीं मिल पा रहा था, उसे न केवल लाभजनक निगम बना दिया बल्कि पेयजल, सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट, एरियावाइज टैक्स सिस्टम जैसी कई जन कल्याणकारी परियोजनाओं को मूर्त रूप दिया। उस दौरान मैं सन्मार्ग में रिपोर्टर था। लगभग रोज सायंकाल में हम सभी मेयर के कार्यालय में उनके साथ होते थे। राज्य, देश, दुनिया के विभिन्न विषयों पर चर्चा होती थी। इंदिरा गांधी, ज्योति बसु, प्रियरंजन दासमुंशी का जिक्र होने पर उनका चेहरा खिल उठता था। कई स्मृतियां हैं। इमरजेंसी की, छात्र राजनीति की, ज्योति बाबू के जमाने की, क्या-क्या लिखें, क्या छोड़ें….
बहुत कम लोग जानते होंगे कि समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेता रहे स्वर्गीय अमर सिंह की बुनियाद बनाने में सुब्रत मुखर्जी का अहम योगदान था। सुब्रत मुखर्जी ने जब 1982 के विधानसभा चुनाव में कोलकाता के बड़ाबाजार इलाके में स्थित जोड़बागान सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ा तो उनके प्रचार में हिंदी प्रदेशों से कई दिग्गज नेता प्रचार करने आये। चूंकि जोड़ाबागान हिंदीभाषी बहुल क्षेत्र है, इसलिए उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह भी आये। सुब्रत मुखर्जी ने बातों ही बातों में एक बार बताया था कि उस समय अमर सिंह उनके एक सहयोगी के सहयोगी थे (सुब्रत मुखर्जी के शब्दों में चमचे का चमचा)। वीर बहादुर सिंह को एयरपोर्ट से लाने की जिम्मेदारी किसे दी जाये, तब अमर सिंह का नाम सुझाया गया क्योंकि वह सुंदर, व्यवहार कुशल व हिंदी भाषी युवक थे। अमर सिंह उसी समय वीर बहादुर सिंह के करीब आये और उसके बाद उत्तर प्रदेश होते हुए केंद्र की राजनीति में कहां तक पहुंचे यह इतिहास है।
सुब्रत मुखर्जी को राज्य की वर्तमान सीएम ममता बनर्जी का भी मेंटर माना जाता है। तृणमूल कांग्रेस यानी टीएमसी के वरिष्ठ नेता और पश्चिम बंगाल सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री रहे सुब्रत मुखर्जी को इतिहास में एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर याद किया जाएगा, जिन्होंने बंगाल की राजनीति में 50 से भी अधिक वर्षों तक काम कर अपनी विशेष पहचान बनाई। सुब्रत मुखर्जी की 75 वर्ष की उम्र में दीपावली की रात गुरुवार को कोलकाता के एक अस्पताल में निधन हो गया था।
पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले में 1946 में जन्में मुखर्जी अपने पांच भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। बंगाल की राजनीति उन्होंने 1960 के दशक में एक छात्र नेता के रूप में शुरू किया। मुखर्जी ने 1967 में बंगबासी कॉलेज के छात्र नेता के रूप में उस समय राजनीति में प्रवेश किया, जब पश्चिम बंगाल में पहली गैर-कांग्रेसी सरकार थी। मुखर्जी ने अपनी संगठनात्मक क्षमता, वाकपटुता तथा भाषण देने के शानदार कौशल के जरिए राजनीति में तेजी से प्रगति की और जल्द ही कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक बन गए।
कांग्रेस के दिग्गज नेता प्रियरंजन दास मुंशी ने मुखर्जी की संगठनात्मक क्षमता को पहचाना और उसी तरह उन्हें निखरने का मौका दिया। दोनों नेताओं ने पश्चिम बंगाल में नक्सलियों और वामपंथियों के खिलाफ राजनीतिक तथा वैचारिक लड़ाई लड़ी और कांग्रेस की जड़ें मजबूत करने का काम किया। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी सुब्रत मुखर्जी की वाकपटुता और संगठनात्मक क्षमता से प्रभावित होकर उनकी प्रशंसा करते हुए उनको रॉयल बंगाल टाइगर कहा था। मुखर्जी ने 1971 में चुनावी राजनीति में प्रवेश किया और 25 साल की उम्र में बालीगंज विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर पश्चिम बंगाल में सबसे कम उम्र का विधायक बनने का गौरव हासिल किया।
मुखर्जी 1972 में बंगाल में कांग्रेस के भारी जनादेश के साथ सत्ता में लौटने के बाद मुख्यमंत्री सिद्धार्थ शंकर रॉय की कैबिनेट में सबसे कम उम्र के मंत्री बने। उन्हें सूचना और संस्कृति राज्य मंत्री बनाया गया था। वर्ष 1977 में चुनाव हारने के बावजूद कांग्रेस पार्टी में मुखर्जी की प्रतिष्ठा कम नहीं हुई और वह तेजी से आगे बढ़ते रहे। मुखर्जी ने 1982 के विधानसभा चुनाव में जोड़बागान सीट से जीत हासिल कर वापसी की।
सुब्रत मुखर्जी हरफनमौला व्यक्ति थे। 1980 के दशक में मुनमुन सेन के साथ एक टेलीविजन धारावाहिक में अभिनय भी किया। उन्होंने चौधरी फर्मास्यूटिकल नामक एक धारावाहिक में हीरो की भूमिका की थी। उनमें ग्लैमरस अभिनेत्री मुनमुन सेन के साथ स्विमिंग पुल का दृश्य बहुत चर्चित हुआ था। उस धारावाहिक के निर्माता थे अग्निदेव चटर्जी। धारावाहिक के 14 एपिसोड ही प्रचारित हो सके। सुब्रत मुखर्जी के स्विमिंग पुल वाले सीन के बाद ऐसी परिणति तो होनी ही थी।

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