सेना में भी महिलाओं को बराबरी का हक, स्थायी कमीशन का आदेश जारी

नयी दिल्ली: केन्द्र सरकार ने गत गुरुवार को सेना में भी महिलाओं को बराबरी का हक देने के लिए स्थायी कमीशन देने की विधिवत घोषणा कर दी। रक्षा मंत्रालय द्वारा जारी आदेश के मुताबिक शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) की महिला अधिकारियों को अब सेना की सभी दस शाखाओं में स्थायी कमीशन मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में एक ऐतिहासिक फैसले में एसएससी के तहत नियुक्त सभी महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन का रास्ता साफ कर दिया था। सेना के प्रवक्ता कर्नल अमन आनंद ने बताया, महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए संगठन में उन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। अब महिला अधिकारियों को आर्मी एयर डिफेंस, सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी एवियेशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं मेकैनिकल इंजीनियर (ईएमई), आर्मी सर्विस कोर, आर्मी आयुध कोर और इंटेलिजेंस कोर के अलावा मौजूदा शाखा जज एंड एडवोकेट जनरल और सैन्य शिक्षा कोर में स्थायी कमीशन मिलेगा। कर्नल आनंद ने कहा कि महिलाओं के चयन के लिए जल्द ही चयन बोर्ड सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को दिया था एक माह का वक्त
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सात जुलाई को केंद्र सरकार को एक माह का और वक्त देते हुए स्थायी कमीशन पर फरवरी का अपना फैसला लागू करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने फरवरी में कहा था कि महिलाओं को भी कमान देने पर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही लैंगिक भेदभाव समाप्त करते हुए कहा था कि सभी महिला अधिकारी स्थायी कमीशन की हकदार हैं।
सेवानिवृत्ति की उम्र तक मिलेगा सेवा का लाभ
सेना में फिलहाल महिला अधिकारियों को केवल दो शाखाओं जज एडवोकेट जनरल और शिक्षा कोर में ही स्थायी कमीशन मिलता था। एसएससी के तहत महिला अधिकारियों को शुरू में पांच वर्ष के लिए लिया जाता था, जिसे बढ़ा कर 14 वर्ष तक किया जा सकता था। स्थायी कमीशन मिलने से उन्हें सेवानिवृत्ति की उम्र तक सेवा का लाभ मिलेगा। लंबे अर्से से महिलाओं के लिए सेना में स्थायी कमीशन की मांग उठ रही थी।
युद्ध अभियानों में स्थायी नियुक्ति नहीं
लंबी कानूनी लड़ाई के बाद महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन का रास्ता तो साफ हो गया, लेकिन अब भी तकनीकी कारणों से उन्हें युद्ध अभियानों में स्थायी नियुक्ति नहीं दी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने भी युद्ध अभियानों में भेजने के फैसले को अपने आदेश से अलग रखा था। अभी शॉर्ट सर्विस कमीशन से आए पुरुष अधिकारियों को 10 साल बाद स्थायी कमीशन का विकल्प मिलता है, लेकिन महिला अधिकारियों को नहीं।
एसएससी अधिकारियों को नहीं मिलती है पेंशन
सेना में पेंशन पाने के लिए कम से कम 20 साल की सेवा जरूरी है। लिहाजा शॉर्ट सर्विस कमीशन से आए अधिकारियों को पेंशन की सुविधा नहीं मिलती है। अब महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन मिलने से उन्हें भी पेंशन का लाभ मिलेगा।
स्थायी कमीशन से क्या बदलेगा
स्थायी कमीशन दिये जाने का मतलब यह है कि महिला सैन्य अधिकारी अब रिटायरमेंट (सेनानिवृत्ति) की उम्र तक सेना में काम कर सकती हैं। अगर वे चाहें तो पहले भी नौकरी से इस्तीफा दे सकती हैं। अब तक शॉर्ट सर्विस कमीशन के तहत सेना में नौकरी कर रही महिला अधिकारियों को अब स्थायी कमीशन चुनने का विकल्प दिया जाएगा। स्थायी कमीशन के बाद महिला अधिकारी पेंशन की भी हकदार हो जाएंगी।
इन विभागों में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन
महिला अधिकारियों को न्यायाधीश एडवोकेट जनरल, सेना शिक्षा कोर, सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी एविएशन, आर्मी एयर डिफेंस, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर, आर्मी सर्विस कॉर्प्स, आर्मी ऑर्डिनेंस कॉर्प्स और इंटेलिजेंस कोर में स्थायी कमीशन दिया जाएगा।
क्या है शॉर्ट सर्विस कमीशन
भारतीय सैन्य सेवा में महिला अधिकारियों की शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) के माध्यम से भर्ती की जाती है। जिसके बाद वे 14 साल तक सेना में नौकरी कर सकती हैं। इस अवधि के बाद उन्हें रिटायर (सेनानिवृत्त) कर दिया जाता है। हालांकि 20 साल तक नौकरी न कर पाने के कारण रिटायरमेंट के बाद उन्हें पेंशन नहीं दी जाती है।

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