सॉल्टलेक, राजारहाट में कार्यालय और उ. कोलकाता में घर चाहते हैं कोलकातावासी

सारे देश में पहले बिखरा, बाद में सम्भला रियल इस्टेट बाजार,                                                         मध्य कोलकाता और पूर्व कोलकाता में स्थिति निराशाजनक
सॉल्टलेक को मिल रही है राजारहाट से टक्कर
स्टाम्प शुल्क में कटौती हो तो कोलकाता में सुधर सकता है बाजार

कोलकाता : रियल इस्टेट बाजार में राजारहाट अब कोलकाता का नया लोकप्रिय ठिकाना बन रहा है। नाइट फ्रैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक अब आवास और कार्यालय बनाने के लिए लोग सॉल्टलेक को पसन्द तो कर रहे हैं मगर राजारहाट का प्रदर्शन बेहतर है , वहीं कोलकाता इस लिहाज से पीछे है। वैसे सारे देश में कोरोना का असर पड़ा है और रियल इस्टेट बाजार भी इससे अछूता नहीं रहा है मगर महामारी के दौरान सरकार के प्रोत्साहन और रियल इस्टेट समूहों की लचीली नीतियों के कारण लोगों का भरोसा बना रहा और दिखा भी। कोलकाता में ही ऑफिस ट्रान्जैक्शन वॉल्यूम रिकॉर्ड स्तर पर गया और 0.09 एम एन वर्ग मीटर (0.92 एम एन वर्ग फीट) रहा। महानगर में औसत डील साइज 1338 वर्ग मीटर (14,400 वर्ग फीट) रही। 2020 के एच 2 के दौरान 5975 आवासीय बिक्री हुई। लोग मकान बनाने की जगह तैयार मकान खरीदने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं। हालांकि अनबिकी सम्पत्तियों की तादाद में कमी आयी है और 2020 में 14 प्रतिशत सम्पत्तियाँ नहीं बिक सकीं। नाइट फ्रैंक इंडिया के कोलकाता ब्रांच मैनेजर स्वपन दत्ता ने यह जानकारी दी।
अगर दफ्तरों के लिहाज से देखा जाए तो सॉल्टलेक लोगों की पसन्द भी और 48 प्रतिशत की हिस्सेदारी इसी इलाके की रही मगर वर्ष के दूसरे चरण में राजारहाट से सॉल्टलेक को कड़ी टक्कर मिली और इसकी साझेदारी 48 प्रतिशत रही। सलाहकार, टेलिकम्यूनिकेशन्स, मीडिया, फर्मा और कन्सल्टिंग कम्पनियों की पसन्द कोलकाता है। कार्यालय के लिए जगह की बात की जाये तो 42 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दक्षिण कोलकाता का प्रदर्शन अच्छा रहा। 2020 में कुल आवासीय इकाईयों की बिक्री में राजारहाट की हिस्सेदारी 21 प्रतिशत रही। आवास के लिहाज से देखा जाये तो उत्तर कोलकाता लोगों को भा रहा है औऱ इसका कारण गरिया से दमदम एयरपोर्ट लाइन में मेट्रो का विस्तार है। सोदपुर, बी टी रोड, मध्यमग्राम और जैसोर रोड में किफायती और मध्य – आय श्रेणी की परियोजनाएं प्रतिष्ठित डेवलपरों ने शुरू की हैं। इस इलाके में 20 प्रतिशत सम्पत्तियाँ अब तक बिकी हैं। पश्चिम कोलकाता में 12 प्रतिशत सम्पत्तियाँ बिकीं और सामाजिक संरचना के अभाव के कारण माँग में कमी आई है। यही स्थिति मध्य और पूर्वी रियल इस्टेट बाजार की है। 62 प्रतिशत लोगों ने 2.5 से 5 मिलियन रुपये तक की सम्पत्ति खरीदी। 22 प्रतिशत लोगों ने 5.0 मिलियन और 15 प्रतिशत लोगों ने 2.5 मिलियन की सम्पत्ति खरीदी। विशेषज्ञों का कहना है कि महाराष्ट्र की तरह अगर बंगाल में भी राज्य सरकार स्टाम्प ड्यूटी पर थोड़ी राहत दे तो स्थिति और बेहतर हो सकती है।

कोविड ने बाजार को धक्का पहुँचाया, 8 प्रमुख शहरों में बिक्री गिरी
कोविड-19 महामारी के चलते राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (दिल्ली-एनसीआर) में आवासीय बिक्री बीते वर्ष के दौरान सालाना आधार पर 50 प्रतिशत घटकर 21,234 इकाई रह गई। नाइट फ्रैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट ‘इंडिया रियल एस्टेट – आवासीय और कार्यालय अपडेट, दूसरी छमाही 2020’ में यह खुलासा किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2020 में आठ प्रमुख शहरों में आवासीय संपत्तियों की बिक्री घटकर 1,54,534 इकाई रह गई, जो इससे पिछले साल 2,45,861 इकाई थी।
रिपोर्ट के मुताबिक सभी आठ प्रमुख शहरों में आवासीय बिक्री में गिरावट आई, जिसमें अहमदाबाद में मांग में सबसे गिरावट और पुणे में सबसे कम गिरावट रही। आंकड़ों के अनुसार पुणे में बीते साल आवासीय बिक्री 18 प्रतिशत घटकर 26,919 इकाई रह गई, जो इससे पिछले साल 32,809 इकाई थी। इसी तरह मुंबई में बिक्री 20 प्रतिशत घटी।
स्टाम्प शुल्क में कटौती से सम्भला मुम्बई और पुणे का बाजार
रिपोर्ट में कहा गया कि संपत्तियों के पंजीकरण पर अस्थायी रूप से स्टांप शुल्क में कटौती के बाद 2020 के अंतिम चार महीनों के दौरान मुंबई और पुणे में बिक्री बढ़ी। दिल्ली-एनसीआर में 2020 के दौरान आवासीय बिक्री 50 प्रतिशत घटकर 21,234 इकाई रह गई, जो इससे पिछले साल में 42,828 इकाई थी। समीक्षाधीन अवधि के दौरान बेंगलुरु में मांग 51 प्रतिशत घटकर 23,079 इकाई रह गई। आवासीय बिक्री के लिहाज से अहमदाबाद सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ और यहां बिक्री 61 प्रतिशत घटकर 6,506 इकाई रह गयी।

 

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