हिन्दी दिवस पर विशेष : हिंदी की रेल चली

0
154
– डॉ. वसुंधरा मिश्र

हिंदी की रेल चली, हिंदी की रेल चली
हिंदुस्तान की सिरमौर रेख्ता, रेख्ती खड़ी बोली
आज हिंदी बन विकास की उच्च सीढ़ियों पर चढ़ती चली
इतराती इठलाती कई भाषाओं की सखी सहेली
हिंदी की रेल चली हिंदी की रेल चली

देश विदेश की सरहदें पार कर दिलों में बसने लगी
अरबी-फ़ारसी उर्दू पुर्तगीज को गले लगा सबकी स्नेही बनी
पूर्व से पश्चिम उत्तर से मध्य भारत में हिंदी के रंग की बेल चढ़ती चली
हिंदी की रेल चली हिंदी की रेल चली

होली दिवाली तीज-त्यौहार हिंदी के रंग में रंगे
विभिन्नता में एकता को मजबूत करती हिंदी की लहर हवाओं में घुली।
हिंदी की रेल चली हिंदी की रेल चली

देश के पार विदेशों में हिंदी की सुरभि फलीफूली
मेरे और तुम्हारे बीच संपर्क सेतु बनी
हमजोली बनी हिंदी
हिंदी की रेल चली हिंदी की रेल चली

नागपुर से भोपाल मॉरिशस युगांडा से फिजी फिर त्रिनिदाद गुयाना
दिल्ली की शान बनी हिंदी, राजभाषा बनी
निज भाषा की शान लगी हिंदी
हर दिल की आवाज़ बनी हिंदी
हिंदी की रेल चली हिंदी की रेल चली

सरल सहज और गतिशील धारा में बहती रही
वेदों और संस्कृत से निःसृत गंगा सी फैलती रही
भारत की विशाल धरती पर
दूब बनी देवों के सिर पर चढ़ती रही
भागीरथी देव भाषा की प्रहरी बन
संस्कृति और संस्कार बन बहने लगी
हिंदी की रेल चली हिंदी की रेल चली

Previous articleराज्य में उद्योगों की स्थिति बेहतर हुई है – डॉ. शशि पांजा
Next articleहिन्दी दिवस पर विशेष : हिन्दी
शुभजिता की कोशिश समस्याओं के साथ ही उत्कृष्ट सकारात्मक व सृजनात्मक खबरों को साभार संग्रहित कर आगे ले जाना है। अब आप भी शुभजिता में लिख सकते हैं, बस नियमों का ध्यान रखें। चयनित खबरें, आलेख व सृजनात्मक सामग्री इस वेबपत्रिका पर प्रकाशित की जाएगी। अगर आप भी कुछ सकारात्मक कर रहे हैं तो कमेन्ट्स बॉक्स में बताएँ या हमें ई मेल करें। इसके साथ ही प्रकाशित आलेखों के आधार पर किसी भी प्रकार की औषधि, नुस्खे उपयोग में लाने से पूर्व अपने चिकित्सक, सौंदर्य विशेषज्ञ या किसी भी विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें। इसके अतिरिक्त खबरों या ऑफर के आधार पर खरीददारी से पूर्व आप खुद पड़ताल अवश्य करें। इसके साथ ही कमेन्ट्स बॉक्स में टिप्पणी करते समय मर्यादित, संतुलित टिप्पणी ही करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

18 − twelve =