हिंद महासागर में मौजूद है रहस्यमय ग्रेविटी होल

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वॉशिंगटन: आम तौर पर माना जाता है कि हमारी पृथ्वी पूरी तरह गोल है। लेकिन अगर इसका पूरा पानी हटा दिया जाए तो यह जगह-जगह पिचकी और उभरी दिखाई देगी। इसी तरह एक और धारणा है कि पृथ्वी पर सभी जगहों पर गुरुत्वाकर्षण समान है, लेकिन ऐसा नहीं है। वैज्ञानिकों नें हिंद महासागर में एक अनोखी चीज खोजी है, जिसे ग्रेविटी होल कहा जाता है। महासागर की इस गहराई में गुरुत्वकार्षण बल बाकी पृथ्वी से कमजोर पड़ जाता है। ग्रेविटी होल से जुड़ा एक नया अध्ययन सामने आया है, जिसमें दावा किया गया है कि वैज्ञानिकों ने इसके कारण का पता लगा लिया है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ग्रेविटी होल प्राचीन समुद्र के अवशेष हैं, जो करोड़ों वर्ष पहले खत्म हो गया। ग्रेविटी होल पृथ्वी की सबसे रहस्यमय गुरुत्वाकर्षण विसंगति मानी जाती है। इसे इंडियन ओशियन जियोइन लो (IOGL) के नाम से जाना जाता है। यह विशाल ग्रेविटी होल 30 लाख वर्ग किमी का इलाका है जो पृथ्वी की क्रस्ट के नीचे 950 वर्ग किमी तक फैला है। जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में प्रकाशित अध्ययन में कहा गया है कि IOGL में टेथिस महासागर के स्लैब शामिल हैं।
क्या है टेथिस महासागर
टेथिस महासागर एक प्राचीन महासागर था जो मेसोजोइक युग के दौरान गोंडवाना और लॉरेशिया महाद्वीपों के बीच मौजूद था। यह लंबे समय से खोया हुआ महासागर है जो लाखों साल पहले गृह की गहराई में डूब गया था। स्टडी के प्रमुख लेखक देबंजन पाल और अत्रेयी घोष ने कहा कि अभी तक पहले जो अध्ययन हुए उसमें सिर्फ इस विसंगति के बारे में बताया गया। लेकिन यह नहीं बताया गया कि इसके पीछे का कारण क्या है? अब शोधकर्ताओं ने इसके कारण के बारे में बताने का प्रयास किया है।
तीन करोड़ साल पहले बना था

शोधकर्ताओं के मुताबिक इस ग्रेविटी होल का जवाब पृथ्वी के क्रस्ट के एक हजार किमी नीचे छिपा है। यहां प्रचीन महासागर के ठंडे घने अवशेष अफ्रीका के नीचे तीन करोड़ साल पहले दब गए थे और गर्म पिघली चट्टानों को ऊपर लाने के कारण बने। हालांकि शोधकर्ताओं का यह दावा कंप्यूटर मॉडल पर बना है, जो शायद पर्याप्त न हो।

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