अगर आप हैं कामकाजी मम्मी तो बनाएं इस तरह जिम्मेदारी आसान

बीते कुछ महीने आपके लिए बेहद हसीन थे। एक नन्हा मेहमान आपकी दुनिया में आया। उसका साथ पाकर आप अपनी सारी परेशानियां भूल गईं। उसके साथ हंसते-खिलखिलाते आपकी छुट्टियां कैसे खत्म हो जाती हैं, इसका पता ही नहीं चलता। अब आपको दोबारा अपनी पुरानी दुनिया में यानी काम पर लौटना है।

अपनी दिनचर्या को फिर से वैसा ही बनाना है, जैसी अब से कुछ महीने पहले थी। अब फिर आपके सामने हैं-ऑफिस की बदलती शिफ्ट्स, डेडलाइंस, असाइनमेंट्स, प्रोजेक्ट्स और आपका करियर, मगर इन सबके साथ है एक प्यारी और खूबसूरत-सी जिम्मेदारी भी।

उस नन्हे मेहमान को भी आपका पूरा वक्त चाहिए। छुट्टियां खत्म होने से पहले आपको अपने नवजात शिशु की हिफाजत की चिंता सताने लगती है। चिंताएं कई स्तरों पर होती हैं। जैसे-ऑफिस जाना शुरू करेंगी तो आपकी अनुपस्थिति में उसकी सही देखभाल हो पाएगी या नहीं? उसकी हर जरूरत आपसे शुरू होती है और आप पर ही खत्म। ऐसे में कैसे संभालें इस खूबसूरत लेकिन मुश्किल जिम्मेदारी को…इस सवाल के जवाब से रूबरू होना जरूरी है। अगर आप सोचती रहेंगी तो मुश्किल होगा, करना शुरू करेंगी, तो सब आसान हो जाएगा…आखिर सब करते हैं।

जरूरी है तैयारी

काम पर वापस लौटने के बाद सबसे जरूरी है- सही टाइम मैनेजमेंट। अपने दिन को पहले से प्लान करना आपकी काफी मदद कर सकता है। इससे सारे जरूरी काम समय पर पूरे होते रहेंगे और आपको हड़बड़ी में भागदौड़ भी नहीं करना पड़ेगी। हर काम के बीच में 10 मिनट का ब्रेक जरूर लें। इससे आपको थकान महसूस नहीं होगी। साथ ही ना कहने की आदत भी डालना होगी। इस समय खुद को ऐसे कामों में उलझाना ठीक नहीं होगा, जो ज्यादा जरूरी नहीं हैं।

जरूरी है अपनों का साथ

जॉब पर लौटने के बाद सारे कामकाज का बोझ अकेले न उठाएं। ऑफिस की जिम्मेदारियां तो खैर आपको खुद ही उठानी होंगी लेकिन बच्चे की देखभाल में पति, परिवार के अन्य सदस्यों और अपने करीबी दोस्तों से मदद लेने में संकोच न बरतें। आखिर जीवन के मुश्किल वक्त में अपने ही लोग एक-दूसरे के काम आते हैं। संभव हो तो कुछ दिनों के लिए मां, सास या किसी करीबी रिश्तेदार को अपने पास बुला लें।

धैर्य का साथ न छोड़ें

हो सकता है कि बच्चे की नई जिम्मेदारी के दबाव में ऑफिस के काम से आपका मन ऊबने लगे। ऐसे हालात में कुछ स्त्रियां घबराकर बहुत जल्दी जॉब छोड़ने का निर्णय ले लेती हैं, बाद में उन्हें बहुत पछतावा महसूस होता है। यह न भूलें कि हमारी जिंदगी के हर पड़ाव पर आने वाली खुशियां अपने साथ कुछ चुनौतियां भी लेकर आती हैं। यह भी आपके जीवन का एक ऐसा खूबसूरत मोड़ है, जिसे यादगार बनाया जा सकता है। बशर्ते बिना किसी घबराहट के आप धैर्य के साथ बच्चे की देखभाल और ऑफिस की जिम्मेदारियों का निर्वाह करें।

योग को अपनाएं

योग सिर्फ शरीर के लिए नहीं बल्कि मस्तिष्क के लिए भी बेहद फायदेमंद है। इसलिए रोजाना योगाभ्यास के लिए समय जरूर निकालें। इससे आप तनावमुक्त होकर घर और ऑफिस की जिम्मेदारियों पर पूरा ध्यान दे पाएंगी।

सेहत पर दें ध्यान

बच्चे के साथ शुरुआती कुछ महीने नई मांओं के लिए काफी मुश्किल होते हैं। ऐसे में उन्हें सोने का वक्त नहीं मिलता। नींद पूरी न होने से तनाव, सिरदर्द जैसी कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं। इससे बचने के लिए थोड़ा वक्त नींद के लिए जरूर निकालें। फिर चाहे दिन में कुछ पल के लिए सुस्ताना ही क्यों न पड़े।

इन दिनों आप मल्टीटास्कर की भूमिका में हैं इसलिए अपनी सेहत और खानपान का पूरा ध्यान रखें। शिशु के आने के बाद आमतौर पर महिलाएं अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो जाती हैं। ऐसा करना ठीक नहीं है। कोई भी तकलीफ होने पर अपने मन से दवा न लें। बिना देर किए डॉक्टर से सलाह लें और सभी सुझावों पर पूरी तरह अमल करें।

अभी आप पर दोहरी जिम्मेदारियां हैं और आप लैक्टेशन पीरियड के दौर से भी गुजर रही हैं। इसलिए आपकी डाइट में पोषक तत्वों का होना बहुत जरूरी है। अगर आप भी इन छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखेंगी तो तनावमुक्त होकर सभी जिम्मेदारियों को अच्छी तरह निभा पाएंगी और किसी तरह की परेशानी भी सामने नहीं आएगी।

अपराध-बोध से बचें

बच्चे की जिम्मेदारी के साथ जॉब करने का आपका फैसला गलत नहीं है। अक्सर मां बनने के बाद ऑफिस की जिम्मेदारियां निभाते हुए बच्चे को घर पर अकेला छोड़ना काफी मुश्किल साबित होता है। कई मामलों में स्त्रियां इसके लिए स्वयं को ही दोषी भी मानने लगती हैं, पर अपने मन में अपराध-बोध रखने के बजाय स्थिति को संभालना ज्यादा जरूरी है। अन्यथा ऐसी स्थिति से पोस्टपार्टम डिप्रेशन (डिलिवरी के बाद उपजने वाला अवसाद) की आशंका बढ़ जाती है।

इस समस्या से बचने के लिए जरूरी है अपनी सोच बदलना। परफेक्शन की कोई परिभाषा नहीं होती। खुद को परफेक्ट मां और परफेक्ट प्रोफेशनल बनाने की कोशिश में आपको अपने ऊपर जरूरत से ज्यादा दबाव डालने की कोई जरूरत नहीं है। जितनी क्षमता हो उतना ही काम करें और बाकी समय अपने बच्चे को दें।

 

 

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