अपने काम के पीछे भागें तो सफलता जरूर मिलेगी

मेहन्दी लगाना हम सबको पसन्द है, हर शुभ अवसर मेहन्दी लगायी भी जाती है मगर जब हमारे घरों में जब पेशेवर तरीके से मेहन्दी लगाने आता है तो हम उसके काम को सम्मान नहीं देते। मेहन्दी एक कला है और पेशेवर तरीके से मेहन्दी लगाने वाले भी सम्मान के हकदार हैं, बस यही लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही हैं सारा खान…सारा खान साराज मेहन्दी की प्रमुख हैं और खुद मेहन्दी बनाती हैं। कोन हाथ से बनाती हैं और यह उनका लक्ष्य है। शी द्वारा आयोजित ‘कोलकाता फेस्टिवल’ में ‘शुभजिता’ की मुलाकात इनसे हुई।ओजस्विनी में आपकी मुलाकात हम युवा उद्यमी सारा खान से करवा रहे हैं –
मेहन्दी लगाने वालों को कमतर समझा जाता है
मेहन्दी कला को ऊँचाई पर ले जाने की ख्वाहिश है। आम तौर पर मेहन्दी लगाने वाली महिलाओं को कमतर समझा जाता है और उनके व्यवसाय को वह सम्मान नहीं मिलता, जो मिलना चाहिए। मेहन्दी लगाने में काफी मेहनत है मगर उस मेहनत को दरकिनार करके लोग मोलभाव करते हैं। वे यह समझते हैं कि मेहन्दी लगाने वाले पेशेवर नहीं हो सकते या बेहद मामूली पृष्टभूमि से आते हैं इसलिए वे उसके काम की उपेक्षा करते हैं। मुझे यह धारणा तोड़नी थी।
मेहन्दी की कला को सम्मान दिलवाना ही मकसद है
ऐसे बहुत से विद्यार्थी हैं जो पॉकेट मनी के लिए यह काम है। लोग समझते हैं कि मेहन्दी लगाने वाली लड़कियाँ अशिक्षित हैं औऱ इसी कारण बहुत से लोग शौक होने पर भी अपनी कला का प्रदर्शन इसलिए नहीं करते कि उनका मजाक उड़ाया जाएगा। मुझे इस धारणा को तोड़ना था।। मैं नौकरी करती हूँ, कई संस्थाओं से भी जुड़ी हूँ मगर मुझे मेहन्दी की कला को सम्मान दिलाना है और इसके लिए मैं पूरी कोशिश कर रही हूँ।
मेहन्दी लगाते सब हैं मगर जिक्र कम होता है
मैं मेहन्दी को बनाना, पैकेट में डालना, मेहन्दी खुशी देती है इसलिए शादी में मेहन्दी लगायी जाती है। लड़कियाँ घर – घर में जाकर मेहन्दी लगाती हैं। जब भी प्रदर्शनी य़ा व्यवसाय का जिक्र होता है तो उसमें कपड़ों, गहनों का जिक्र होता है मगर मेहन्दी का नहीं और होता भी है तो बहुत कम होता है।
खुद ही सीखा है मैंने मेहन्दी लगाना
मैंने एक छोटी सी प्रदर्शनी से शुरू किया था। अपना मेहन्दी कोन और कार्ड लेकर बैठती हूँ और एक दिन मुफ्त में मेहन्दी लगाती हूँ। इस क्षेत्र में मैंने पैसा और सम्मान कमाया। जो मुझसे मेहन्दी लगवाते हैं और वह मुझसे मेहन्दी लगाने के लिए सम्पर्क करते हैं। मेहन्दी का बचपन से शौक था। पहले कॉपी पर बनाती थी, पेंटिंग करती थी, फिर अपने ही हाथ पर लगाने लगी, फिर ऑनलाइन कक्षाएं कीं…जो सीखा…खुद सीखा…यू ट्यूब और टीवी पर देखकर सीखा।
महिलाओं को सशक्त बनाना चाहती हूँ
परिवार ने समर्थन दिया, तारीफ की। काम करती हूँ. ऑफिस का काम भी करती हूँ। मैं सफल होना चाहती हूँ औऱ जरूरतमंद महिलाओं के लिए एक संस्था खोलना चाहती हूँ जिससे उत्पीड़न की शिकार महिलाओं को कला और काम सिखाकर आत्मनिर्भर बनाना चाहती हूँ।
अपने काम के पीछे भागें
खुद और अपने किसी भी हुनर को छोटा न समझें। पैसे के पीछे न भागें, अपने काम के पीछे भागें तो सफलता जरूर मिलेगी।

 

शुभजिता

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