अपराजिता – जो माने कभी न हार

अपराजिता – यह शब्द जीजिविषा के साथ सृजनात्मकता की उर्जा से भरा है। अपराजिता एक कोशिश है जो महिलाओं के नजरिए से महिलाओं की बात करना चाहती है। घटना जीवन की हो या देश या फिर समाज की, उसका सबसे अधिक अच्छा या बुरा प्रभाव स्त्री पर पड़ता है। मेरा मानना है कि घटना हो या उसकी प्रतिक्रिया, इन सबका असर एक स्त्री के जीवन पर पड़ता है मगर खबरों की दुनिया में भी उसके हिस्से का कोना शायद खाली सा रह गया। आधुनिकता और परम्परा के बीच फँसी स्त्री खुद को भी दूसरों की नजर से तोल रही है। क्या करे कि सब खुश रहें मगर यह ख्याल एक क्षण के लिए नहीं आता कि एक क्षण उसका भी होना चाहिए। आम खबरों में महिलाओं पर होने वाला असर हो या महिलाओं से जुड़ी खबर, अपराजिता इनकी पड़ताल करने का काम करेगी। सौंदर्य, फैशन, घर बच्चे और सफलता की जद्दोजहद में जुटी स्त्री की दुनिया इससे आगे हो सकती है और उसे बहुत सी बातों से फर्क पड़ता है। अपराजिता का अर्थ पेज 3 की रोशनी में दिखने वाली औरते ही नहीं हैं बल्कि अपनी अलग जमीन की तलाश करने वाली स्त्रियाँ हैं। स्त्री तभी सशक्त होगी जब वह समझे और उसे समझा जाए इसलिए पुरुषों की सोच को समझना जरूरी है इसलिए होगा पुरुष क्षेत्र। गणतंत्र में स्त्री अपने अधिकारों की बात कर तो रही है उसे अपना विवेक औऱ सकारात्मक दृष्टिकोण साथ लेकर चलना होगा। यह सफर तो बस शुरू हो रहा है, राह अभी भी लम्बी है मगर विश्वास यह है कि यात्रा आरम्भ की है तो मंजिल भी जरूर मिलेगी क्योंकि हर स्त्री अपराजिता है।

शुभजिता

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