अभावों के बीच प्रेम कहानी कहता नाटक “हजारों ख्वाहिशें ऐसी”

विगत 20 सितम्बर को लिटिल थेस्पियन ने अपनी 25वीं सालगिरह के अवसर पर अकादेमी ऑफ़ फाइन आर्ट्स में उमा झुनझुनवाला द्वारा लिखित व निर्देशित संगीतात्मक नाटक हज़ारां ख़्वाहिशां मंचन किया| राजस्थान की पृष्ठभूमि पर आधारित “हजारों ख्वाहिशें ऐसी” लोक शैली में लिखा गया नाटक है जिसमें समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता के कारण उत्पन्न भाव-प्रतिभाव हैं| इस नाटक में प्रेम कहानी है जहाँ अभिलाषाओं और धन-दौलत के मध्य द्वंद्व है जो गीतों के माध्यम से बड़ी सरलता से कथा को आगे बढ़ाती चलती है| राह चलते एक दिन शहर के सबसे बड़े अमीर सेठ निहालचंद को एक ग़रीब लड़की चारुधरा में अपनी मृतक बेटी की झलक दिखाई देती है| वह उसे अपनी बेटी के रूप में अपना लेता है| चारुधरा का एक प्रेमी किशन भी होता है मगर अपनी अमीरी के रुतबे के कारण उसे नहीं अपना पाता| चारुधरा अचानक मिले सुख और ऐश्वर्य के कारण ग़रीबी तो भुला देती है मगर किशन को नहीं भूला पाती है| अपने दत्तक पिता से जब चारुधरा किशन के साथ विवाह की इच्छा जाहिर करती है तो वे नहीं मानते और एक लम्बी बहस के बाद चारुधरा को उसके पुराने घर वापस भेज देते हैं…. लेकिन चारुधरा से जो वात्सल्य सुख मिला था निहालचंद को उसे किसी भी हाल में दोबारा खोना नहीं चाहता और इसीलिए दोनों को अपना लेता है|
नाटक का आकर्षण दृश्यों में बदलाव था जहाँ गानों के मध्य भांड बड़ी खूबसूरती से नाचते हुए आते हैं और सेट में परिवर्तन कर दृश्य को कभी हवेली तो कभी चारुधरा का ग़रीब घर और कभी किसी रास्ते में बदल देते हैं| वेशभूषा में राजस्थान का सौन्दर्य झलकता हुआ नज़र आता है| इस नाटक में संगीत बड़ा ही शानदार है| संगीत की परिकल्पना संगीत नाट्य अकादेमी से पुरस्कृत मुरारी राय चौधुरी ने की है| गीतों को गाया है – अवन्ती भट्टाचार्य और आनन्दवर्द्धन ने| प्रकाश-संयोजन भी दृश्यों को संवेदनशील बनाने में सफल हैं|


सागर सेनगुप्ता (निहालचंद), कुसुम वर्मा (चारुधरा), पार्वती शॉ (भैरवी), नीलांजन चटर्जी (किशन) हीना परवेज़ (रामप्यारी), शबरीन खातून (देवमती), अभिक महतो (सांगजी) ने अपने अभिनय को जीवंत किया तथा भांडों के रूप में शुभांकर शीट, मो. आतिफ अंसारी, सुमित गोस्वामी, मो. अरशद सादिक, प्रणय साहा, मारूफ खान, नाज़ आलम, तन्मय सिंह, इम्तियाज़ आलम ने अच्छा काम किया| एक बेहतरीन प्रस्तुति के लिए निर्देशिका-लेखिका उमा झुनझुनवाला के साथ लिटिल थेस्पियन को बहुत बहुत बधाई|
लिटिल थेस्पियन के बारे में : लिटिल थेस्पियन कलकत्ता महानगर की प्रख्यात हिन्दी नाट्य-संस्था है जिसने 1994 से लगातार नाट्य-प्रस्तुतियाँ देकर भारतीय रंगमंच में अपने लिए एक अलग जगह बनाई है l संस्थापक अजहर आलम और उमा झुनझुनवाला हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में नियमित प्रदर्शन करते रहते हैं| अजहर आलम कुशल अभिनेता और कल्पनाशील निर्देशक हैं उमा निर्देशन और अभिनय के साथ साथ संगठनात्मक काम, कार्यशालाओं का सञ्चालन आदि में भी संलग्न रहती हैं| नाट्य-प्रस्तुतियों के अलावा वक्तृता और सेमिनार भी आयोजित करते हैं| इसके साथ ही लिटिल थेस्पियन हर साल राष्ट्रीय नाट्य उत्सव का आयोजन करता है जिसमें थिएटर जगत की नामचीन हस्तियाँ तथा विख्यात नाटक देशभर से एक मंच पर एकत्रित होते हैं| कोलकाता में ये अपनी तरह का हिंदी का एकलौता राष्ट्रीय नाट्य उत्सव है जो 2010 से लगातार आयोजित किया जा रहा है| इस वर्ष नौवां नाट्य उत्सव नवम्बर से है|
समीक्षक
गुंजन अज़हर
छात्रा, शिक्षायतन कॉलेज

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