अर्चना संस्था की स्वरचित कविता गोष्ठी संपन्न 

कोलकाता । अर्चना संस्था की ओर से आयोजित गोष्ठी में सदस्यों ने अपनी स्वरचित कविताएँ सुनाई। दोहा, कुंडलियां, हाइकू गीत, कविता आदि विभिन्न विधाओं पर अपनी रचनात्मक प्रतिभा का परिचय दिया। संगीता चौधरी ने हाइकु -चैत्र मास में/ नीम की निबोरी/ अमृत तुल्य रसना सुख/ अकारण उदर/ भोगता दुख और दोहे सुनाए।
विद्या भंडारी ने लोग क्या कहेंगे,इसी धुन में बिता दी सारी उम्र और क्या सुनाई देगी लुप्त हुई लोरियाँ, हिम्मत चोरडिया ने कुण्डलिया -आओ अब अवतार लो एवं गीतिका- वीर का कर लें हम गुणगान। नौरतन भंडारी ने हे धीर-वीर,हे महावीर /हे जन नायक जन लोक पीर शत-शत मेरा प्रणाम, सुशीला चनानी ने नवरात्रि के अवसर पर माँ दुर्गा की स्तुति में कुछ दोहे जैसे–देवी पूजा में करूँ माँगू ये वरदान। अपनी रक्षा कर सकूंँ शक्ति रूप प्रतिमान।और रामनवमी पर सीता की पीडा उकेरी एवं समाज की विसंगतियों पर कविता पढ़ी। इंदू चांडक ने कुंडलिया-जीवन की कठिनाइयां,सिखलाती संघर्ष, गीत- मुश्किलों तुम संगिनी बन साथ मेरे चलती जाओ सुनाई, मृदुला कोठारी ने फिर से वीर एक बार आइए/हिंसा हो रही है बचाइए /होता हाहाकार है /छाया अंधकार है /दीपशिखा कोई तो जलाइये गीत गाते हुए भगवान महावीर की जयंती पर गीत प्रस्तुति दी। डॉ वसुंधरा मिश्र ने आओ बैठो बात करें गीत सुनाया जिसे सभी ने पसंद किया। इंदू चांडक के संयोजन में संचालन डॉ वसुंधरा मिश्र और धन्यवाद ज्ञापन दिया सुशीला चनानी ने ।कार्यक्रम जूम पर आयोजित किया गया।

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